नई दिल्ली : कांग्रेस नेता पी चिदम्बरम की इस स्वीकारोक्ति कि सलमान रश्दी के उपन्यास Сसैटेनिक वर्सेसТ पर पाबंदी का राजीव गांधी सरकार का फैसला गलत था, को रविवार को स्वतंत्र रूप से समर्थन मिला, जबकि भाजपा ने आश्चर्य जताया कि क्यों ना कहने में 27 साल लग गए और सलाह दी कि विपक्षी दल Сथोड़ा सहिष्णुТ बने। भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा, Сसवाल यह उठता है कि आखिर करीब तीन दशक बाद क्यों ऐसा करने (गलती स्वीकारने) की जरूरत पड़ी। यदि यह कांग्रेस के चिंतन की झलक है तो व्यक्ति को उसे वृहत परिप्रेक्ष्य में देखने की जरूरत और सभी जिसमें कांग्रेस विशेषकर शामिल है, को थोड़ा सहिष्णु होने की जरूरत है।Т उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि सभी को सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि Сसंविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर तर्कसंगत प्रतिबंध भी लगाता है।Т मशहूर लेखक अमिताव घोष ने कहा कि उन्हें खुशी है कि चिदम्बरम ने माना कि यह गलत निर्णय था। अक्तूबर, 1988 में जब रश्दी की पुस्तक पर पाबंदी लगायी गयी थी तब चिदम्बरम राजीव गांधी सरकार में गृहराज्य मंत्री थे। वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि वह चिदम्बरम से पूरी तरह सहमत हैं। उन्होंने कहा, Сइस तरह की पुस्तकें साहित्यिक कृतियां हैं और मेरे दृष्टिकोण से ऐसी पुस्तक पर प्रतिबंध की कोई वजह नहीं है।Т कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री बिल्कुल सही हैं और समय आ गया है कि देश पुस्तकों और अन्य सृजनात्मक सामग्री पर पाबंदी से आगे बढे। उन्होंने कहा, Сहमें इस देश में सहिष्णु मूल्य तैयार करने की जरूरत है।Т चिदम्बरम ने शनिवार को एक कार्यक्रम में कहा था, Сमुझे यह कहने में संकोच नहीं है कि सलमान रश्दी की पुस्तक पर पाबंदी गलत थी।Т