कुआलालंपुर : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में राजनीतिक संतुलन का विचार नहीं आना चाहिए और किसी भी देश को आतंकवाद का इस्तेमाल या समर्थन नहीं करना चाहिए। उन्होंने इसके विरूद्ध नये वैश्विक प्रण और रणनीति बनाये जाने पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने 10वें पूर्वी एशियाई शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में कहा कि वह आतंकवाद को धर्म से अलग करने की प्रतिबद्धता और हर आस्था को परिभाषित करने वाले मानवीय मूल्यों को आगे बढ़ाने के प्रयासों का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि इस मंच से हम अक्सर आतंकवाद पर किसी एक क्षेत्र की समस्या के रूप में विचार करते हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन पेरिस, अंकारा, बेरूत, माली की धरती और रूसी विमान पर हुए बर्बर आतंकी हमले इस बात को याद दिलाने के लिए काफी हैं कि आतंकवाद का साया हमारे समाजों और विश्वभर में फैल चुका है। विश्व भर से हो रही आतंकवादियों की भर्तियों और उनके द्वारा दुनिया भर में आतंकी हमले करना इस बात का सबूत है। मोदी ने कहा, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हमें नये वैश्विक प्रण और नयी वैश्विक रणनीति निर्मित करनी होगी, जो हमारी राजनीतिक मीमांसा को संतुलित करने से परे हो। किसी देश को आतंकवाद का इस्तेमाल या समर्थन नहीं करना चाहिए। समूहों के बीच कोई अंतर नहीं हो। कोई पनाहगाह न हो। कोई वित्त पोषण न हो। हथियारों तक पहुंच न हो। लेकिन साथ ही हमें हमारे समाजों और हमारे युवाओं के बीच भी काम करना चाहिए। मैं आतंकवाद से धर्म को अलग करने का स्वागत करता हूं और हर आस्था को परिभाषित करने वाले मानवीय मूल्यों को बढ़ाने के प्रयासों की भी सराहना करता हूं। दक्षिण चीन सागर विवाद की पृष्ठभूमि में मोदी ने कहा,समुद्र हमारी खुशहाली और सुरक्षा का रास्ता बना रहना चाहिए। भारत 1982 की संयुक्त राष्ट्र संधि पर समुद्री कानून समेत सभी स्वीकार्य अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप नौवहन, उड़ान भरने, निर्बाध वाणिज्य की स्वतंत्रता के बारे में आसियान की प्रतिबद्धता को साझा करता है। क्षेत्रीय विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से ही सुलझाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को उम्मीद है कि दक्षिण चीन सागर के विवाद से जुड़े सभी पक्ष दक्षिण चीन सागर में पक्षों के आचार व्यवहार संबंधी घोषणा को लागू करने के दिशानिर्देशों का पालन करेंगे और सर्वानुमति के आधार पर जल्द से जल्द एक आचार संहिता को अपनाने के प्रयासों को दोगुना करेंगे। मोदी ने कहा कि पूर्वी एशियाई शिखर बैठक सुरक्षा और सहयोग के लिए समावेशी, संतुलित, पारदर्शी और मुक्त क्षेत्रीय स्वरूप को समर्थन देना जारी रखे। साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में भी उन्होंने आसियान देशों के बीच मजबूत और नजदीकी सहयोग की वकालत की और कहा कि हमें इस क्षेत्र में आचार संबंधी कुछ कायदों पर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बाहरी आंतरिक्ष भी एक बड़ी सुरक्षा चिंता के रूप में उभर रहा है। हमें अप्रसार के क्षेत्र में भी नजदीकी सहयोग बनाये रखना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि आसियान देशों के साथ भारत की साझा भू और समुद्री सीमाएं हैं। भारत, आसियान और पूर्वी एशियाई शिखर साझेदारों के साथ द्विपक्षीस सुरक्षा साझेदारी गहराना जारी रखेगा। उन्होंने कहा, हम आसियान नीत सुरक्षा वार्ताओं और सहयोग के मंचों पर सक्रिय भागीदार बने रहेंगे। मोदी ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों और अनिश्चितताओं के समाधान के लिए दुनिया अभी भी हमारे क्षेत्र की ओर देख रही है। हमारा क्षेत्र भी एक स्थिर, शांतिपूर्ण और खुशहाल भविष्य के लिए बहुआयामी संक्रमणों से गुजर रहा है। मोदी ने कहा कि 18 महीने पहले उनकी सरकार बनने के बाद से भारत ने जितना एशिया और प्रशांत तथा हिन्द महासागर क्षेत्र के देशों के साथ सम्पर्क बनाया, उतना किसी और क्षेत्र के साथ नहीं। और यह इस बात का प्रतीक है कि भारत और विश्व के लिए यह क्षेत्र कितना महत्व रखता है। उन्होंने कहा कि हमें जल्द से जल्द एक संतुलित और क्षेत्रीय समग्र आर्थिक गठजोड़ को शीघ्र पूरा करने की दिशा में काम करना चाहिए। प्रशांत परीय साझेदारी भी एक बड़ा घटनाक्रम है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि यह प्रतिस्पर्धी न बनकर इस क्षेत्र के समन्वित आर्थिक समुदाय की आधारशिला बनेगा। उन्होंने कहा कि वह क्षेत्र में रणनीतिक, राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संबंधी पूर्वी एशियाई शिखर बैठक की चिंताओं को दृष्टिकोण से सहमत हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत आपदा प्रबंधन, ट्रामा केयर और नर्सिंग को लेकर पूर्व एशियाई आभासी ज्ञान पोर्टल स्थापित करने में पहल करेगा। उन्होंने यह भी बताया कि नालंदा विश्वविद्यालय एक विश्व स्तरीय ज्ञान के केंद्र का रूप ले रहा है।