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केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह चीन की यात्रा पर

नई दिल्ली : केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह आज चीन की यात्रा पर जाएंगे और इस दौरान वह सुरक्षा संबंधों को बढ़ावा देने तथा पूर्वोत्तर के आतंकियों को तस्करी के जरिए पहुंचाए जाने वाले हथियारों के मुद्दे पर चर्चा करेंगे। पिछले एक दशक में किसी भारतीय गृह मंत्री की यह पहली चीन यात्रा है।


सिंह की यह छह दिवसीय यात्रा दोनों देशों के बीच रिश्तों में आ रहे सतत सुधार की पृष्ठभूमि में हो रही है जिससे कि लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद से निपटने के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाया जा रहा है। सिंह ने यहां एक बयान में कहा, मैं अपनी चीन यात्रा को लेकर उत्सुक हूं। उम्मीद करता हूं कि इससे आपसी समझ और विश्वास को गहरा करने में मदद मिलेगी। मेरी चीन यात्रा के दौरान मेरा इरादा एक दूसरे से सीखने और बेहतर समझ विकसित करने की परंपरा को अधिक मजबूत करने का है।

इससे पहले चीन की यात्रा पर जाने वाले गृहमंत्री शिवराज पाटिल थे, जो वर्ष 2005 में चीन गए थे। अपनी यात्रा के दौरान सिंह तीन दिन बीजिंग में और फिर अगले तीन दिन शंघाई में बिताएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस साल मई में हुई चीन यात्रा के बाद, सिंह भारत के दूसरे सबसे बड़े नेता हैं, जो वहां जा रहे हैं।

चीन के राजनीतिक परिदृश्य में अपने समकक्षों के साथ वार्ताएं करने के अलावा सिंह चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री ली क्विंग से भी मुलाकात कर सकते हैं। सिंह की यात्रा से पहले चीन के एक शीर्ष सैन्य अधिकारी ने हाल ही में भारत की यात्रा की थी, जो कि अपने आप में दुर्लभ थी। चीन के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के उपाध्यक्ष जनरल फान चांगलोंग पिछले सप्ताह भारत और पाकिस्तान की यात्रा पर पहुंचे थे। यह एक दशक में हुई ऐसी पहली यात्रा थी, जिसमें चीन के उच्चतम स्तर के सैन्य अधिकारी ने दोनों देशों का दौरा किया।

सिंह की यात्रा को दोनों पक्षों की ओर से राजनीतिक विश्वास बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों को मजबूत करने के अवसर के रूप में देखा जा रहा है। इन प्रयासों की शुरूआत पिछले साल राष्ट्रपति शी चिनफिंग की भारत यात्रा और फिर मोदी की चीन यात्रा के दौरान हुई थी। सीमा पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच आमना-सामना होने की स्थितियों से जुड़े मुद्दों को जहां वर्किंग मेकैनिज्म फॉर कन्सल्टेशन एंड कॉर्डिनेशन के जरिए देखा जा रहा है, वहीं सिंह की यात्रा विभिन्न मोचरें पर सुरक्षा सहयोग को मजबूती दे सकती है।

चीन ने शिनजियांग में अलकायदा से जुड़े ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट के आतंकियों पर कार्रवाई के लिए बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को लगाया हुआ है। इन आतंकियों का प्रमुख आधार पाकिस्तान के कबीलाई इलाकों में है। भारत भी नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तान से पैदा होने वाले आतंकवाद के सतत खतरे का सामना कर रहा है।

आतंकवाद से जुड़े मुद्दों के अलावा सिंह की वार्ताएं दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग को एक निश्चित रूप दे सकती हैं। इस सुरक्षा सहयोग में पूर्वोत्तर राज्यों में मौजूद आतंकी समूहों को हथियारों की आपूर्ति पर लगाम लगाने की दिशा में चीन द्वारा अधिक प्रभावी कार्रवाई शामिल है। दोनों देशों की सेनाओं द्वारा आतंकवाद से निपटने में सीखे गए सबक वार्षिक चीनी-भारतीय साझा सैन्य अभ्यासों के पांच चरणों का एक अभिन्न हिस्सा बने हैं।

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