वाराणसी ( ईन्यूज़ एमपी ) - प्राचीन महादेव की नगरी काशी की तो दुनिया में किसी पहचान की जरूरत नहीं फिर भी जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां से सांसद हुये विदेशी राष्ट्राध्यक्ष व विशिष्ट जनों के आगमन का सिलसिला सा शुरू हो गया। इसी कड़ी में दो साल पहले खुद प्रधानमंत्री मोदी जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे को लेकर आए और गंगा पूजन के साथ गंगा आरती देखी। फिर अभी कुछ ही दिन पूर्व प्रधानमंत्री फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुअल मैंक्रों के साथ आए और नौका विहार कर काशी में गंगा की छटा निहारी। आज जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक वॉल्टर स्टेनमियर के यहाँ आने से एक बार फिर यहां आने नगर के साथ ही गंगा घाटों को आकर्षक ढंग से दुल्हन की तरह सजाया गया है। तथागत की उपदेश स्थली सारनाथ के भ्रमण के बाद जर्मन राष्ट्राध्यक्ष ने महामना मदन मोहन मालवीय की कर्मस्थली काशी हिंदू विश्वविद्यालय के केंद्रीय कार्यालय के सभागार में चुनिंदा छात्रों के साथ संवाद स्थापित किया और जिज्ञासु छात्र-छात्राओं के सवालों का बखूबी जवाब दिया। साथ ही उन्हें आटोग्रफ दिए और उनके साथ सेल्फी भी खिंचवाई।आज की शाम दशाश्वमेध घाट पर मां गंगा की खास आरती की गई। असंख्य दीपों से घाटों के जगमगाने से देव दीपाली सा नजारा देखने को मिला। जर्मनी के राष्ट्रपति गंगा आरती के बाद भारतीय संस्कृति से काफी प्रभावित हुये और वापसी के दौरान अस्सी घाट पर फोक डांस कर रहे लोगो का डांस भी देखा। उनके गुजरने वाले मार्ग पर स्वागत में पूरा शहर यहां की सड़कों उमड़ पड़ा था। कार्यक्रम स्थल की ओर जाने वाली सड़कों पर उत्सव का नजारा देखने को मिला।सभी जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक वॉल्टर स्टेनमियर की एक झलक पाने के बेताब रहे।जर्मन राष्ट्राध्यक्ष ने अस्सी घाट से लेकर दशाश्वमेध घाट तक गंगा की सैर की और इस दौरान विभिन्न घाटों पर आयोजित कार्यक्रम के माध्यम से यहाँ की सांस्कृतिक विरासत से अवगत हुये।