सीधी/पथरौला(ईन्यूज एमपी)-जिले के आदिवासी बाहुल्य विकाष खण्ड कुषमी अन्र्तगत संचालित शासकिय विद्यालयों में पदस्थ षिक्षकों सहित अन्य कर्मचारियों को नबम्वर 2017 से वेतन नहीं मिला लिहाजा यहां पदस्थ षिक्षा विभाग के कर्मचारियों को अपने परिवार के भरण पोषण में परेषानियों का सामना करना पड रहा है। ऐसा भी नहीं की जिम्मेदार अधिकारी इस बात से अनजान हों किन्तु यहां तो अपना काम बनता, भाड में जाय जनता वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। विभागीय सूत्रों के द्वारा बताया गया कि पिछले पांच माह से वेतन नही मिली जिससे परिवार भूखों मरनें के कगार पर पहुंच गया है, और विभागीय अधिकारियों से वेतन के संबंध में चर्चा करनें पर बजट का रोना रोया जाता है। अब विचायणीय पहलू यह है कि आखिर सरकार द्वारा जब काम कराया जाता है तो बजट क्यों नही भेजा जाता क्या उन षिक्षकों के परिवार की चिन्ता सरकार को नहीं है ना ही आला अधिकारियों को आखिर कब तक कोई भूखे पेट काम करेगा। बताया जाता है कि जिन दुकानदारों व साहूकारों से उधारी लेकर काम चलाते थे वो भी अब उधारी देने से मना करनें लगे है तथा आये दिन वसूली के लिये कमरें मे आ धमते है और पैसा नही देने पर तरह तरह की बाते करते है जिससे अपनें ही परिवार के सामनें अपमान का घंूट पीना पडता है। अपना दर्द गयां करते हुये षिक्षकों नें बताया कि होली तो फीकी थी ही अब तो लगता है परिवार वालों का देवी पूजन का अरमान भी पूरा नही को पायेगा चैत्र की नव रात्रि भी फीकी ही रहेगी। अतिथि षिक्षकों को नही मिली फूटी कौडीः- भले ही सरकार द्वारा अतिथि षिक्षकों की सेवा 28 फरवरी से समाप्त कर दी गयी है किन्तु तकरीबन आठ माह सेवा देने के बाद भी कुषमी विकाष खण्ड की विद्यालयों में सेवा देने वाले अतिथि षिक्षकों को मानदेय के नाम पर फूटी कौडी नही मिली तथा उनके लिये भी बजट की ही कमी बताई जाती है। दूरस्थ अंचलों की विद्यालयों में सेवा देने वाले अतिथि षिक्षकों नें बताया गया कि जिन साहूकारों से उधारी लेकर पेट भरते थे उनके द्वारा कमरा में रखा सामान तक नही उठानें दिया गया साथ ही माकन मालिकों के द्वारा कमरे का किराया नही देने के कारण खटिया विस्तर ही रखवा लिया गया।