रीवा (ईन्यूज़ एमपी): तहसील में भ्रष्टाचार का घुन अब लोकायुक्त की पैनी नजर से बच नहीं सका। ज़मीन के सीमांकन जैसे जरूरी काम में 'मलाई' खाने की कोशिश करने वाले मध्यप्रदेश के मैहर तहसील में पदस्थ राजस्व निरीक्षक राघवेंद्र सिंह और पटवारी अरुण सिंह लोकायुक्त टीम के हत्थे चढ़ गए। लोकायुक्त संभाग रीवा की टीम ने इन्हें 20 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़कर पूरे सिस्टम को आइना दिखा दिया। शिकायतकर्ता अनिल कुशवाहा ने लोकायुक्त में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसकी जमीन का सीमांकन करने के बदले आरोपी राघवेंद्र सिंह और अरुण सिंह ने कुल 45 हजार रुपये की मांग की। जिसमें से 25 हजार रुपये पहले ही वसूल लिए गए थे। बची हुई रकम के लिए बार-बार दबाव बनाया जा रहा था। शिकायत की गंभीरता को देखते हुए लोकायुक्त रीवा के पुलिस अधीक्षक प्रवीण सिंह परिहार ने शिकायत का सत्यापन कराया। सत्यापन में आरोप सही पाए गए, जिसके बाद पूरी योजना बनाकर निरीक्षक जिया उल हक के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई। आज 17 दिसंबर 2024 को लोकायुक्त की टीम ने तहसील कार्यालय, मैहर में दबिश देकर पटवारी और राजस्व निरीक्षक को रिश्वत की रकम 20 हजार रुपये लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया। शिकायतकर्ता अनिल कुशवाहा ने बताया कि जमीन के सीमांकन जैसे बुनियादी काम में रिश्वत मांगकर अधिकारियों ने उसे परेशान कर रखा था। "पैसा दो, तभी काम होगा" जैसी रवैया सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार की जड़ें दिखाता है। लोकायुक्त टीम की कार्यवाही में आरोपी राघवेंद्र सिंह और अरुण सिंह के चेहरे पर छाई चमक उस समय फीकी पड़ गई, जब हाथों में पाउडर से सजी रिश्वत की रकम और लोकायुक्त टीम का दबाव दोनों एकसाथ उनके सामने आ खड़ा हुआ। निरीक्षक जिया उल हक और उनकी टीम ने इस कार्रवाई को अंजाम देकर साबित कर दिया कि भ्रष्टाचार की चक्की अब और नहीं चलेगी। लोकायुक्त की ताबड़तोड़ कार्रवाई लोकायुक्त की इस कार्रवाई से तहसील कार्यालय में हड़कंप मच गया। सरकारी दफ्तरों में लंबे समय से जड़ें जमा चुके भ्रष्टाचारियों के लिए यह कार्यवाही एक कड़ा संदेश है।