भोपाल(ईन्यूज एमपी)- बीजेपी की दूसरी सूची के 39 उम्मीदवारों में तीन केन्द्रीय मंत्रियों के साथ कुल सात सांसदों को विधानसभा के रण में उतारा जाना, बिल्कुल ऐसा है कि खिलाड़ियों की जगह खुद कोच मैदान में उतार दिए जाएं. चुनाव मैदान के रण में उतरे इन चेहरों में नरेन्द्र सिंह तोमर से लेकर कैलाश विजयवर्गीय प्रहलाद पटेल फग्गन सिंह कुलस्ते जैसे वो दिग्गज भी हैं. जिनके चेहरे पर पार्टी पूरे प्रदेश में वोट मांग रही थी. क्या 2023 का विधानसभा चुनाव वाकई बीजेपी के लिए डू एण्ड डाय का चुनाव है. या बीजेपी हाईकमान ने इन सांसदों को मैदान में उतारकर आगे का रास्ता साफ किया है. ऐसी घेराबंदी की चुनाव लड़ाने वाले मैदान में उतार दिए: बीजेपी के कार्यकर्ता महाकुंभ में आज जो सांसद और केन्द्रीय मंत्री मंच पर बैठे थे. तब उनको ये अंदाजा था क्या कि शाम को उनका नाम भी उसी सूची में होगा. जिस सूची के कर्णधार मानकर उनसे अब तक मीडिया सवाल करता रहा है. बीजेपी के चुनाव अभियान की कमान संभाले केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय जिन्हें पार्टी ने पश्चिम बंगाल की जवाबदारी दी थी. वो फिर उसी मैदान में आएंगे जहां से शुरुआत की है. केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जो पार्टी कार्यकर्ता के बारे में फैसला करती है. कार्यकर्ता उस फैसले का पालन करती है. पार्टी में देश सर्वोपरि फिर पार्टी और फिर व्यक्ति इसी क्रम पर हम चलते हैं. चुनाव जीते तो किसके लिए चुनौती बनेंगे दिग्गज: कांग्रेस ने इस सूची में मध्यप्रदेश से पार्टी के दिग्गजों को चुनाव मैदान में उतारने पर तंज कसा है. पूर्व सीएम कमलनाथ के मीडिया सलाहकार पीयुष बबेले ने ट्वीट कर कहा है कि आज की बीजेपी की उम्मीदवारों की सूची ने शिवराज और महाराज दोनों के राजनीतिक करियर पर पूर्ण विराम लगा दिया है. वहीं वीडी शर्मा और नरोत्तम मिश्रा के लिए राजनीतिक वनवास का मार्ग प्रशस्त हो गया है. वैसे इसमें दो राय नहीं कि पार्टी हाईकमान ने एक साथ पार्टी के समकालीन दिग्गजों की साख दांव पर लगा दी है. अगर ये दिग्गज विधानसभा का चुना हार जाते हैं, तो लोकसभा चुनाव का भी रास्ता पार्टी साफ कर लेगी.