भोपाल(ईन्यूज एमपी)-प्रदेश में महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सरकार अब स्व-सहायता समूहों को राशन दुकानों के संचालन का काम भी देगी। साढ़े तीन हजार उचित मूल्य की राशन दुकानें समूह की महिलाएं चलाएंगी। इनसे समर्थन मूल्य पर उपार्जन का कार्य भी कराया जाएगा। इसके लिए खाद, नागरिक आपूर्ति विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया है, जिस पर अंतिम निर्णय सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट बैठक में लिया जाएगा। बैठक में इसके अलावा 18 अन्य प्रस्तावों पर विचार होगा। प्रदेश में 26 हजार 63 उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से एक करोड़ 11 लाख परिवारों को प्रतिमाह सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत खाद्यान्न् वितरण किया जाता है। दो हजार 760 राशन दुकानें ऐसी हैं, जिनमें अलग से विक्रेता नहीं हैं। इसके कारण दूसरी दुकानों के विक्रेताओं द्वारा आकर खाद्यान्न् वितरण किया जाता है। इसमें समय लगता है और उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है। मुख्यमंत्री जन सेवा अभियान के दौरान मुख्यमंत्री को समय पर राश्ान वितरण न होने की शिकायतें भी मिलीं थीं। इसके आधार पर तीन जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई भी की गई। खाद्य विभाग ने राशन वितरण में आ रही परेशानी का पता लगाने के लिए दुकानों का निरीक्षण भी कराया जा रहा है। इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए अब तय किया गया है कि दुकानों के संचालन का जिम्मा ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़े स्व-सहायता समूहों को दिया जाएगा। इसमें प्राथमिकता उन दुकानों को दी जाएगी, जहां वर्तमान में विक्रेता नहीं हैं। इसके अलावा उन दुकानों के संचालन का काम भी समूहों को दिया जाएगा, जहां प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति, उपभोक्ता भंडार या अन्य संस्थाएं उपभोक्ताओं को समय पर सेवाएं उपलब्ध नहीं करा पा रही हैं। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि समूहों द्वारा संचालित की जाने वाली दुकानों में प्राथमिकता के आधार पर विक्रेता महिलाएं रखीं जाएंगी। यदि कहीं महिलाएं तैयार नहीं होती हैं तो वहां पुरुषों को मौका दिया जाएगा। संस्था से धान, गेहूं सहित अन्य उपज के उपार्जन का कार्य भी कराया जाएगा। प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षण दिलाकर विदेश में रोजगार दिलाने सरकार योजना प्रारंभ करेगी। इसके लिए पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के प्रस्ताव तैयार किया है, जिस पर कैबिनेट द्वारा अंतिम निर्णय लिया जाएगा। योजना के अंतर्गत चयनित युवाओं को कौशल विकास और विदेश में प्रचलित भाषा का प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। प्रथम वर्ष में दो सौ युवाओं को तीन से पांच साल के लिए जापान भेजा जाएगा। स्वदेश वापसी पर भी उन्हें रोजगार दिलाने में सहायता की जाएगी। योजना में पचास प्रतिशत राशि राज्य सरकार लगाएगी और इतनी ही राशि लाभार्थी युवा को लगानी होगी। इसके लिए उसे 75 प्रतिशत तक ऋण मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा।