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कुर्सी को लेकर भोपाल में दो आइएफएस अधिकारियों में संग्राम

भोपाल (ईन्यूज एमपी)- कुर्सी को लेकर भोपाल में दो आइएफएस अधिकारी ऐसे भिड़े कि मामला थाने तक पहुंचने की नौबत आ गई। दिनभर चले घटनाक्रम का पटाक्षेप तब हुआ, जब वनसंरक्षक हरिशंकर मिश्रा ने आवक-जावक पंजी लौटाई। तबादले पर हाईकोर्ट का स्थगन आदेश लेकर कार्यभार ग्रहण करने पहुंचे मिश्रा दिनभर कार्यालय में बैठे और शाम को दोनों रजिस्टर लेकर घर चले गए थे। इसकी भनक जब भोपाल वनमंडल अधिकारी आलोक पाठक को लगी, तो उन्होंने रेंजर सुनील वर्मा को भेजकर कार्यालय को सील करा दिया।

इसके बाद मिश्रा को पंजी न लौटाने पर एफआइआर कराने की चेतावनी दी गई थी। ज्ञात हो कि मिश्रा का पर्यावरण वानिकी वनमंडल भोपाल से 27 जुलाई को सिवनी तबादला किया गया है। तबादला निरस्त कराने को लेकर मिश्रा हाईकोर्ट गए, तो शासन ने एकतरफा रिलीव करते हुए आलोक पाठक को वनमंडल का प्रभार दिला दिया।

राज्य शासन ने 27 जुलाई को हरिशंकर मिश्रा का तबादला अनुसंधान विस्तार सिवनी किया और अगले ही दिन आदेश में संशोधन कर कार्यआयोजना सिवनी कर दिया। इससे मिश्रा नाराज हैं। उन्होंने अधिकारियों से संशोधन करने को कहा, तो वे तैयार नहीं हुए।

आखिर मिश्रा ने हाईकोर्ट की शरण ली। उन्होंने तर्क दिया कि वे वर्ष 2016-17 में रीवा-सीधी जिले की कार्यआयोजना बना चुके हैं। वहीं नियमानुसार वरिष्ठता के क्रम से अधिकारियों को कार्यआयोजना में भेजा जाता है और नौ वरिष्ठों को छोड़कर उन्हें भेजा जा रहा है। मिश्रा ने सहयोगी दस्तावेज के रूप में आरसी विश्वकर्मा के प्रकरण में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण का आदेश भी लगाया।

मामला कोर्ट में था इसलिए मिश्रा रिलीव नहीं हुए। आखिर 17 अगस्त तो उन्हें एकतरफा रिलीव करते हुए आलोक पाठक ने कार्यभार ग्रहण कर लिया। 29 अगस्त को कोर्ट का जैसे ही आदेश आया। मिश्रा कार्यालय पहुंच गए और मुख्य वनसंरक्षक को कार्यभार ग्रहण करने का पत्र लिख दिया। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने मिश्रा को वर्तमान स्थल पर रखने और सक्षम अधिकारी को 45 दिन में फिर से आदेश जारी करने के आदेश दिए हैं।

दूसरे दिन खुला कार्यालय का ताला

सूत्र बताते हैं कि मिश्रा द्वारा रजिस्टर लेकर घर जाने पर प्रमुख सचिव वन अशोक बर्णवाल ने मामले में वनमंडल अधिकारी आलोक पाठक को कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। वहीं सोमवार शाम को सील किए गए कार्यालय का ताला मंगलवार को खोला गया और पाठक ने अधिकारियों-कर्मचारियों की बैठक ली।

इनका कहना है

मिश्रा को कोर्ट से स्थगन नहीं मिला है। उन्हें जब यह बात समझ में आई, तो उन्होंने आवक-जावक पंजी वापस भेज दी।
आलोक पाठक, वनमंडल अधिकारी भोपाल

कोर्ट ने वर्तमान स्थल पर रखने का आदेश दिया है। मैं तो कर्मचारियों का वेतन निकालने के लिए कार्यालय आ गया। उन्हें दो माह से वेतन नहीं मिला है। आवक-जावक पंजी देखने के लिए घर बुलाई थी और तुरंत वापस रखवा दीं। एफआइआर की चेतावनी मुझे नहीं दी गई।

हरिशंकर मिश्रा, सीएफ, पर्यावरण वानिकी वनमंडल

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