जबलपुर(ईन्यूज एमपी)- मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस पुलिस आरक्षकों को उनकी पसंद के अनुरूप पदस्थापना नहीं दिए जाने के रवैये को चुनौती संबंधी याचिका पर जवाब-तलब कर लिया है। इस सिलसिले में गृह सचिव, डीजीपी, पुलिस उप महानिदेशक (चयन) के अलावा व्यापमं को नाेटिस जारी किया है। न्यायमूर्ति नंदिता दुबे की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता प्रदेश की विभिन्न एसएएफ बटालियनों में अारक्षक के पद पर पदस्थ ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों का पक्ष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने रखा। उन्होंने दलील दी कि 2016-17 में भर्ती हुई थी।इस दौरान आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में चयनित करके, उन्हें उनकी च्वाइस फिलिंग में दर्शित वरीयता के आधार पर पदस्थापना नहीं दी गई थी। वहीं दूसरी ओर भेदभाव करते हुए याचिकाकर्ताओं से कम अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थियों को उनकी प्रथम वरीयता के आधार पर जिला पुलिस बल, स्पेशल ब्रांच, क्राइम ब्रांच आदि में पदस्थापना की सौगात दे दी गई। एसएएफ की पदस्थापना लूप लाइन जैसी है। यह पुरस्कार के योग्यों को दरकिनार करने जैसा अनुचित कदम था। इसीलिए विरोध किया गया है।सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों की बेंच ने इंद्रा शाहनी के मामले में जो आदेश पारित किया था, उसकी अवलेहना हुई है।लिहाजा,इंसाफ होना चाहिए।