भोपाल (ईन्यूज एमपी)- मध्य प्रदेश में 80 लाख से ज्यादा बच्चों और गर्भवती धात्री माताओं को शुद्ध एवं पौष्टिक पोषण आहार देने के लिए सरकार अब बाजार पर निर्भर नहीं रहेगी। पोषण आहार के लिए कच्चा माल (हल्दी, सोयाबीन, चना दाल, मूंग दाल, गेहूं, चावल सहित अन्य) अब स्थानीय स्तर पर किसानों से सीधे खरीदा जाएगा। राज्य आजीविका मिशन सर्वे करा रहा है कि प्रदेश में कहां कौन-सी सामग्री आसानी से मिल सकती है। सर्वे के आधार पर रणनीति तैयार की जाएगी कि कहां से क्या खरीदना है। फिर समूहों के माध्यम से सामग्री खरीदी जाएगी और समूह की महिलाएं उसे साफ कर उपयोग लायक बनाएंगी। मध्य प्रदेश में 97 हजार 135 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनमें हर माह 12 हजार टन पोषण आहार की जरूरत होती है। इसकी पूर्ति पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत संचालित सात और एमपी एग्रो का एक संयंत्र करता है। पिछले दिनों पंचायत विभाग के संयंत्रों में ठेकेदारों द्वारा उपलब्ध कराई गई सामग्री गुणवत्ताहीन पाई गई। उसमें मिट्टी और कंकर की मिलावट भी थी। जांच में गड़बड़ी पकड़ाने के बाद सामग्री लौटाई गई। इसी के साथ राज्य आजीविका मिशन ने बाजार के बजाय सीधे किसानों से सामग्री खरीदने के विचार पर अमल शुरू कर दिया। मिशन ने समूहों से अपने-अपने क्षेत्र में सर्वे कर यह बताने को कहा है कि कहां क्या उपज मिल सकती है। किसानों को भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी आजीविका मिशन के अधिकारी बताते हैं कि किसानों से सीधे सामग्री खरीदने के कई फायदे होंगे। अव्वल तो ठेकेदारों की घुसपैठ पर नियंत्रण होगा। इसके अलावा शुद्ध सामग्री मिल सकेगी। इतना ही नहीं, किसानों की उपज बेचने के लिए होने वाली भागदौड़ बचेगी और समूह की महिलाओं को भी आमदनी बढ़ाने के लिए काम मिलेगा। ठेकेदार उपलब्ध कराते हैं सामग्री प्रदेश सहित अन्य राज्य के सप्लायर (ठेकेदार) सामग्री उपलब्ध कराते हैं। इसके लिए निविदा निकाली जाती है। ठेकेदार रेट डालते हैं और सामग्री की गुणवत्ता एवं दर के आधार पर ठेकेदार को आर्डर दिया जाता है। ज्ञात हो कि पोषण आहार उत्पादन का काम इसी साल आजीविका मिशन के पास है।