सीधी (ईन्यूज एमपी)-यूं तो बिजली के तार का नाम सुनते ही हमें ऊंचे ऊंचे खंभों और उनमें लगे कई सारे तार ध्यान में आते हैं, लेकिन सीधी में कुछ भी सीधा नहीं है। यहां बिजली के तार खंभों से उतरकर जमीन में रेंग रहे हैं, उन्हें इंतजार है कब कौन दुर्घटना का शिकार हो तो हम फिर वापस खंभों पर जाएं। वैसे तो सरकार ने विद्युत दुर्घटनाओं को कम करने के उद्देश्य से खुले नंगे तारों को करोड़ों. अरबों खर्च कर केवलीकरण कर दिया, और खंभों में टांग दिया, लेकिन इसमें भी लापरवाही इतनी की हल्की सी हवा चली और तार सांप की तरह नीचे आ लोटने लगे। अब आपको लग रहा होगा हम कहां की बात कर रहे हैं, जरूर ही जिला मुख्यालय से १०० कि. मी. दूर का पिछड़ा इलाका होगा, जी नहीं! हम बात कर रहे हैं जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर सीधी सिंगरौली राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित गांव मड़वा की। पिछले 2/3 दिनों से जिले में मौसम ने करवट ली है, आंधी के साथ बौछारें भी पड़ी हैं, अब आंधी पानी आये और बिजली के तार न टूटें ऐसा तो हो नहीं सकता, मानो तार टूटने के लिए इंतजार में रहते हैं की कब आंधी आएं और हम धरती मां के गले मिल लें। आंधी तूफान में तार टूटना एक स्वाभाविक घटना है, लेकिन 4 दिन बीत जाएं और तार जमीन पर ही आराम कर रहे हों तब तो एक बार सोचने पर विवश होना ही पड़ता है। हालाकि मड़वा में बिजली विभाग को खबर लिखे जाने तक यह तार टूटा नजर नहीं आया है, ग्रामीण परेशान हैं न जाने कब कौन इस तार को छू कर काल के मुंह में समा जाए, लेकिन इन ग्रामीणों की देखने सुनने वाला कोई नजर नहीं आ रहा है। अब बिजली विभाग को शायद किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार है, और दुर्घटना होने के बाद ही शायद विभाग और प्रशासन सक्रिय हों।