भोपाल (ईन्यूज एमपी)-मध्यप्रदेश में पंचायत और नगरीय निकायों के चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ कराए जाएंगे। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एएम खानविलकर की पीठ ने राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए मप्र पिछड़ा वर्ग आयोग की ट्रिपल टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनावों में ओबीसी का आरक्षण मंजूर कर दिया। हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कुल आरक्षण (एससी+एसटी+ओबीसी) 50% से ज्यादा न हो। राज्य सरकार एक हफ्ते में निकायवार आरक्षण की अधिसूचना जारी करे। इसके एक सप्ताह में राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की घोषणा करे। चुनाव किसी भी स्थिति में नहीं टलेंगे। इस आदेश के हिसाब से 25 मई तक निकायों के आरक्षण की रिपोर्ट आ जाएगी और 31 मई तक चुनाव घोषित हो जाएंगे। कोर्ट का आदेश आने के बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और नगरीय प्रशासन विभाग ने बैठक बुलाई। इसमें निकायवार आरक्षण की रिपोर्ट पर चर्चा हुई। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि ओबीसी आरक्षण पर पिछड़ा गर्व आयोग की रिपोर्ट प्रथम दृष्टता है। यदि रिपोर्ट को कोर्ट में चुनौती दी जाती है तो इसे ऑन मेरिट देखा जाएगा। कोर्ट ने राज्य सरकार की 10 मई 2022 की स्थिति में बनी परिसीमन रिपोर्ट मान ली है। यानी पंचायत चुनाव 2022 के परिसीमन तो नगरीय चुनाव 2020 के हिसाब से माने जाएंगे। कोर्ट के फैसले के बाद नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि मप्र पहला राज्य होगा, जो निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ कराएगा। महाराष्ट्र को बिना आरक्षण चुनाव कराना पड़ रहा है। - ट्रिपल टेस्ट क्या है? अनुच्छेद 243 डी (6) और 243 टी (6) के तहत स्थानीय निकायों में ओबीसी वर्ग के पिछड़ेपन की प्रकृति और पहचान की जांच के लिए राज्य आयोग बनाए। आयोग निकायवार आरक्षण का पुनरीक्षण करे। एससी-एसटी को आबादी के अनुपात में आरक्षण और फिर ओबीसी आरक्षण निर्धारित हो। कुल आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा न हो। पहले 56 जनपद अध्यक्ष मिलते थे, अब 30 मिलेंगे। 168 जिला पंचायत सदस्य ओबीसी थे, अब 102 होंगे। 1280 जनपद सदस्य ओबीसी थे, अब 771 होंगे। 4023 सरपंच ओबीसी थे, अब 2985 होंगे। (विभागीय सूत्रों से मिले इन आंकड़ों में आरक्षण प्रक्रिया के बाद बदलाव हो सकता है।)