सीधी (ईन्यूज एमपी)-ब्यास पीठ का मंगलाचरण करते हुए महराज पं बाला ब्यंकटेश शास्त्री जी ने बताया कि बिना श्रद्धा और विश्वास के न तो धर्म की प्राप्ति होती है और न ज्ञान की तथा न इसके बिना भक्ति भाव ही जागृत होता है।अतएव भक्तों के लिए प्रारम्भिक पाठ यही है कि अपने हृदय के सिंहासन में श्रद्धा को बैठा लें। महराज जी ने कहा कि जहां पर निष्ठा है वही कनिष्ठा है।एकलव्य की अपने गुरु द्रोणाचार्य पर निष्ठा थी,उसी निष्ठा के कारण एकलव्य प्रतिष्ठित हो गये। कथा के अनुभवी प्रवक्ता जो भक्ति परक कथा के लिए पूरे देश और प्रदेश में जाने- माने जाते हैं ने आज के प्रसंग में बताया कि राधा रानी के प्रेमाश्रु से प्रेम सरोबर बना हुआ है। उस सरोबर की महिमा है कि जो भी उस स्थल पर पहुँच जाता है उसे सहज ही प्रेमा भक्ति मिल जाती है। सूरदास जी को गिरधर का दर्शन वही हुआ था।सूरदास जी वहीं पद का गायन किये थे। कथा में गिरिराज प्रसंग को आरेखित करते हुए महराज जी ने यह भी बताया कि यदि आप भगवान के मार्ग में आना चाहते हो,भगवान की कृपा पाना चाहते हो तो मानव मात्र के प्रति ईर्ष्या का भाव मत रखना। क्योंकि प्रेम का भूॅखा सावरिया है।ब्रज की गोपियों में यह निर्विकार गुण था जिससे उनको अंततः प्रेमाभक्ति मिल कर रही है। कथा के प्रसंग को बोधगम्य शैली में,सार्थक दृष्टान्त से श्रीमद्भागवत कथा के कई दुर्लभ प्रसंग से श्रोताओं को अवगत कराया।एकादशी उपबास की कथा का महत्व और ऊससे प्राप्त होने बाले फल की महिमा श्लोक के माध्यम से महराज जी ने बताया। आगे महराज जी ने कही गई कि जितनी सेवा हमारी भगवान कर सकता है उतनी और कोई नही। उससे अच्छा सद्गुरु सद् मित्र और कोई नही होसकता है।मजे का उद्धरण देते हुए महराज जी ने बताया कि आपके बस्त्र में लिपट कर यदि कीडी बृन्दावन पहुँच सकती है तो क्या आप सब भक्त गुरु कृपा से नही पहुॅच सकते अर्थात पहुँच सकते हैं कथा की शुरुआत करने के पूर्व सोंधी माटी लोनी बघेली साहित्यिक मंच के अध्यक्ष डाॅ श्रीनिवास शुक्ल सरस तथा कवि अंजनी सिंह सौरभ,संरक्षक लाल मणि सिंह चौहान बरिष्ठ अधिवक्ता,इन्द्र शरण सिंह भाजपा अध्यक्ष,रंजना मिश्रा, श्री कृष्ण रसामृत सेवा समिति के संरक्षक सुरेन्द्र सिंह बोरा, अध्यक्ष श्रीमती कुमुदिनी सिंह,एपी सिंह,कृष्ण कुमार शुक्ल 'राजमणि मिश्रा आदि ने कथा व्यास पं बाला व्यंकटेश जी शास्त्री को माल्यार्पण से स्वागत अभिनन्दन किया।