सीधी(ईन्यूज एमपी)- जिले केपूजा पार्क मे 11 मार्च से चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास पं बाला व्यंकटेश शास्त्री जी ने श्रद्धालु श्रोताओ को सम्बोधित करते हुए कहा कि कथा श्रवण क रने का पहला और सबसे महत्वपूर्ण सूत्र यह है कि कथा स्थल में हम सबसे पहले अहंकार की चादर उतार कर आयें और श्रद्धापूर्वक कथा का श्रवण करें। यदि हम ऐसा करते हैं तो आनन्दमयी रसमयी तथा करुणामयी कथा विना प्रयास से ही भक्त के भीतर उतर कर जीवन को धन धन्य कर देगी। कथा व्यास जी ने परीक्षित जी का उदाहरण देते हुए बताया कि जब जीवन के सात दिन बचे थे तब परीक्षित जी भक्ति के तट पर यानी गंगा के तट पर आये और तट के बट को पाकर परमधाम की प्राप्ति कर लिए। एक उद्धरण देते हुए ब्यास जी ने कहा कि जो हमारे अंतःकरण में आग लगाकर हमें आशान्त करके विचलित कर दिया उसके तो पीछे पीछे चलते हैं लेकिन हमारा कृष्ण जो हमें शान्ति देकर हमारी ब्यथा हरण करता है उससे हम सब दूर भागते हैं। चलो रे मन यमुना गंगा तीर भजन कीर्तन करते हुए ब्यास जी ने बताया कि शरीर को सुखमय करने बाला सिर्फ हमारा समदर्शी कृष्ण है।इसलिए आनन्द कन्द भगवान की कथा राग द्वेश छोड़कर अनुराग के साथ सुनना चाहिए। कथा के एक प्रसंग को आरेखित करते हुए ब्यास जी ने कहा कि गंगा के तट पर रहते हुए परीक्षित जी ने जल तक नही ग्रहण किया । इस त्याग को दर्शन से जोड़ते हुए कथा प्रबक्ता ने बताया कि परीक्षित जी की प्यास को सुकदेव जी ने भगवान की ओर मोड़कर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त कर दिया।महराज जी ने परीक्षित और शुकदेव सम्वाद को विवेचित करते हुए कहा कि परीक्षित की शरणागति और शुकदेव की कृपा इतनी प्रबल हुई कि स्पर्श दीक्षा का सुअवसर अपने आप सुनिर्मित हो गया।प्रसंग को और अधिक विस्तार देते हुए महराज जी ने कहा कि मिट्टी कैसी भी हो किन्तु यदि घट बनाने बाला चतुर हो तो आसानी से घडा बना लेता है।इसी प्रकार यदि गुरु सचमुच सद्ज्ञानी हो तो शिष्य को समर्थ बनाकर उसका रुख परमपिता के चरणों की ओर मोड़ देता है। संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के सुप्रतिष्ठित कथा व्यास पं बाला व्यंकटेश शास्त्री जी ने अपने श्रीमुख से अनेक कारुणिक तथा मार्मिक प्रसंगो को छेड़कर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। कथा के प्रारंभ में व्यास पीठ एवं कथा व्यास जी की पूजा -अर्चना श्री कृष्ण रसामृत सेवा समिति के अध्यक्ष श्रीमती कुमुदिनी सिंह तथा संरक्षक सुरेन्द्र सिंह बोरा और सोमालोब साहित्यिक मंच के अध्यक्ष डाॅ श्रीनिवास शुक्ल सरस एवं कार्यकारी अध्यक्ष अंजनी सिंह सौरभ ने किया। इस अवसर पर माल्यार्पण से महराज जी का अभिनन्दन डाॅ आई पी गौतम,सत्येंद्रधर अधिवक्ता,डाॅ वरुण सिंह बघेल,धीरेन्द्र सिंह परिहार,ए पी सिंह बघेल,तथा संतोश सिंह माधुरी जमोडी एवं अधिवक्ता लालमणि सिंह चौहान आदि ने किया। यह कथा प्रतिदिन 3बजे से सायं 6बजे तक 17मार्च तक चलती रहेगी। आयोजक मण्डल ने अधिक से अधिक भक्तों से पधारकर कथा श्रवण करने की अपील की है।