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सीधी-लाखों की चोरी में कंप्यूटर ऑपरेटर जिम्मेदार भ्रष्टाचार की परत खोलने में सक्रिय दिखे केदार

सीधी (ईन्यूज एमपी)- अपने बेबाक बयानों एवं जनहित मुद्दों के लिए बखिया उधेड़ने के लिए जाने जाने वाले सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ला द्वारा एक बार फिर ऐसे ही एक ज्वलंत मुद्दे को सार्वजनिक किया गया है जहां हरिजन आदिवासियों को दी जाने वाली संहायता राशि पर पलीता लगाने का काम किया गया था लेकिन सीधी विधायक की पहल के कारण इस भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो गया और आनन-फानन में एक ऑपरेटर को दोषी बना कर उसके खिलाफ मामला पंजीबद्ध करने की पेशकश की गई है यह पूरा मामला तत्कालीन संहायक आयुक्त डिप्टी कलेक्टर श्रेयस गोखले के कार्यकाल का बताया जा रहा है ।

बता दें कि सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ला द्वारा ट्राइबल विभाग के माध्यम से हरिजन आदिवासियों को दी जाने वाली राहत राशि के घोटाले का पर्दाफाश किया गया जहां अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत 25 लोगों को राहत राशि स्वीकृत हुई थी लेकिन 5 लोगों की राहत राशि 7 लाख 9 हजार उनके खाते में नहीं पहुंची , विभागीय कर्मचारियों द्वारा लीपापोती कर उसे किसी अन्य के खाते व अपने खाते में डाल कर आहरित कर लिया गया था लेकिन सीधी विधायक को जब इस बात की जानकारी हुई तो उन्होंने इस बात को विधानसभा के पटल पर रखा जिसके बाद आनन-फानन में जांच शुरू हुई और कंप्यूटर ऑपरेटर को दोषी मानते हुए उस पर मामला पंजीबद्ध कराया जा रहा है । पूरे मामले पर यदि गौर करें तो यह मामला तत्कालीन प्रभारी एसी ट्राईबल डिप्टी कलेक्टर श्रेयस गोखले के कार्यकाल का है और उक्त फाइल राहत राशि प्रभारी लेखापाल, कैशियर और डिप्टी कलेक्टर श्रेयस गोखले सहित 4 लोगों के पास से गुजरी लेकिन बलि का बकरा केबल छोटे कर्मचारियों को बनाया जा रहा है यह कहां तक उचित है मगरमच्छों पर कोई कार्यवाही नही की जा रही है । खैर कागजों की माने तो कंप्यूटर ऑपरेटर ने आधे से अधिक राशि सरकारी खजाने में जमा कर दी है लेकिन अभी भी दो लाख के करीब राशि शेष है सवाल यह नहीं उठता की राशि वापस की गई या नहीं सवाल यह उठता है कि गरीब हरिजन आदिवासियों को दी जाने वाली इतनी बड़ी राहत राशि अकेले कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा कैसे इधर से उधर कर दी गई अगर यह बात सही है तो इस पर उचित कार्यवाही होनी चाहिए लेकिन सबसे पहले पूरे मामले की निष्पक्ष और सही जांच होनी चाहिए जिससे भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति ना हो सके मामले को अगर जेहन में रखकर कल्पना करें तो न जाने कितने घोटाले हो चुके होंगे जिनकी आम आदमी को खबर ही नहीं प्रशासन को इस मामले में ऐसे ठोस कदम उठाने चाहिए कि भ्रष्टाचारियों को सबक मिले और भ्रष्टाचार पर लगाम लगे और जिम्मेदार तथाकथित बड़ी मछली पर गाज गिरना लाजिमी होगा ।

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