सीधी ( ईन्यूज एमपी) जिले में विगत तीन दिनों से अपनी जायज मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठे फल सब्जी विक्रेताओ के बीच अब फूट देखने को मिल रही है कारण की बड़े व्यापारियो के तो धन कलश भरे पड़े है , लेकिन दिनभर ठेले को ठेल कर जीवन की गाड़ी हांकने वाले को यंहा तो अब फांके पड़ने लगे हैं और अपनी पूंजी लगाकर सामान खरीद कर बैठे इन छोटे व्यापारिओं को तो अब सामान ख़राब होने का डर भी सता रहा है, जिसके कारण अब गरीब का ठेला बाजार में निकल चुका है और वह सब दो फांक हो गये हैं जिसकी पुष्ठि हम नही वायरल तस्वीरें व वीडियो क्लिप कर रही हैं । गौरतलब है की जिले में कुछ चुनिन्दा लोगो के द्वारा हड़ताल करने का निर्णय किया गया बिना यह सोचे की इसका असर आम लोगो के अलावा छोटे व्यापारियो क्या होगा ...? रसूखदार और बड़े व्यापारी तो हड़ताल में बैठ गए लेकिन छोटे व्यापारिओं को जबरन हड़ताल में साथ देना पड़ा लेकिन हड़ताल का समय लम्बा खिंचता देख अब उनका सब्र जबाब दे बैठा और अपनी जीविका के आधार के साथ वो व्यापर पे उतर आये । हलाकि हड़ताल चाहने वालो के समर्थक बाजार भर में दहशत के साथ इन्हें रोकने में लगे हैं लेकिन पेट की भूख और जरूरत हर डर को निगल जाती है जो की आज देखने को मिला है । गौरतलब है कि अपनी विभिन्न मांगो को लेकर व्यापारी हड़ताल पर बैठे है, और इन हड़ताल जीविओ में वो लोग ही बढचढकर आगे है जिनका लम्बे समय से बाजार और व्यापर में एकाधिकार है , इनका ही फरमान है कि न तो कोई सब्जी व फल खरीदेगा और न ही बेंचेगा, यंहा तक की ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले फल सब्जी विक्रेताओं को भी बाजार में सब्जी बेंचने से रोका जा रहा है, एक तरह से कुछ चुनिन्दा व्यापारियो के द्वारा शहर भर में आम आदमी को परेशान करने के उद्देश्य से जो व्यापारी व्यापर करना चाहते हैं ठेला लेकर सड़कों में उतर आये हैं उन्हें धमकाया जा रहा है । बतादे कि शहर में चल रहे फल और सब्जी विक्रेताओ के आन्दोलन के निराकरण के लिए आज पंहुचे राजस्व अमले के साथ भी अनशनरत व्यापारिओं के द्वारा गरमा गर्मी दिखाई गयी और व्यापारियो व प्रशासन के बीच कोई सहमती नहीं बन सकी लिहाजा राजस्व अमले को लौटना पड़ा । जिले में चल रहा यह आन्दोलन जायज है या नहीं इससे कोई फर्क नहीं पड़ता सभी को अपनी बात कहने और अपनी मांग रखने का अधिकार है लेकिन प्रशासन व पुलिस को भी अपनी नैतिक जिम्मेदारी याद रखनी होगी कि किसी के दबाब य प्रभाव के कारण किसी का परिवार भूखों न मरे आन्दोलन सर्वसम्मति से होना चाहिए डर से नहीं और वर्तमान में बड़े व्यापारिओं का खौफ छोटे व्यापारियों व देहात से आने वाले फल सब्जी विक्रेताओं पर देखा जा रहा है उन्हें जबरन बाजार में आने से रोका जा रहा है जो सर्वथा अनुचित है और कानून व्यवस्था बनाने कि जिम्मेदारी जिन लोगो पर है उन्हें इसका ख्याल रखना होगा....