सीधी(ईन्यूज एमपी)- स्मार्ट सिटी हेतु प्रस्तावित सीधी शहर में कुकुरमुत्ते की तरह फैल रहे अतिक्रमण पर स्थाननीय विधायक केदार नाथ शुक्ल की चिंता वाजिब है। शासन की बेसकीमती जमीन पर राजस्व अधिकारियों, कर्मचारियों व नगरीय प्रशासन के मौन समर्थन की बदौलत मध्य प्रदेश शासन की जमीन पर भू-माफिया द्वारा दिन-रात काम लगाकर पक्के निर्माण कराये जा रहे हैं। अतिक्रमणकरियों को कोई रोकने टोकने वाला नहीं है। शहर में फैल रहे अतिक्रमण में लगाम लगाने के लिये सीधी विधायक श्री शुक्ल ने 12 फरवरी 2022 को कलेक्टर सीधी को एक पत्र लिखा है। पत्र में लेख किया गया है कि सीधी नगर एवं शैक्षणिक संस्थान (कालेज, हायर सेकंड्री, माध्यमिक एवं प्राथमिक विद्यालयों) के परिसर अतिक्रमण के चपेट में आ रहे हैं। अभियान चलाकर अतिक्रमण हटाने कि अवश्यकता है। पिछले महीने सी.एम.राईज़ के लिये चयनित शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक सीधी के अतिक्रमण पर भी आपका ध्यान आकृष्ट किया गया था। मीडिया और जन चर्चाओं में ये अतिक्रमण चर्चित हैं। सीधी विधायक द्वारा एक माह पूर्व ध्यान आकृष्ट कराने व 12 फरवरी को लिखे गये पत्र पर जिला प्रशासन की चुप्पी समझ से परे है। जिला अधिवक्ता संघ के पूर्व सह-सचिव के.पी.सिंह ने भी अर्जुन नगर में दो दबंग महिलाओं द्वारा मध्य प्रदेश शासन की भूमि पर अवैध निर्माण रोकने हेतु लिखित शिकायत कलेक्टर सीधी से कर चुके हैं। नगर पालिका परिषद सीधी ने हालही में सूखा नाला के किनारे सड़क निर्माण पूर्ण करने का समाचार प्रकाशित कराया था। तब बरबस सीधी के पूर्व कलेक्टर अभिषेक सिंह की याद आना लाज़मी था। कलेक्टर अभिषेक सिंह ने सूखा नाला के किनारे अतिक्रमण कर बनी अट्टालिकाओं को गिरवाने में कोई भेद भाव नहीं किया था। उन्होने एक डिप्टी कलेक्टर के मकान तक को नहीं बख्शा। मध्य प्रदेश शासन ने 31 दिसंबर 2014 के पूर्व सेटेलाइट से ली गई तस्वीर में चिन्हित शासकीय भूमि के धारकों को धारणाधिकार देने का निर्णय किया था। इसी की आड़ में भू-फमिया ने राजस्व कर्मियों की मिली भगत से शहर में रिक्त पड़ी शासन की भूमि पर कब्जा कराने का अभियान चला रखा है। अभी यदि कारगर कार्यवाही नहीं हुई तो सीधी शहर में प्रशासन ही भूमिहीन की श्रेणी में आ जायेगा।