सीधी (ईन्यूज एमपी)- किराए के कर्मचारियों पर संचालित, फर्जी दस्तावेजो का गढ़ और फर्जी सील सिक्के लगाने के लिए प्रसिद्ध जिला परिवहन कार्यालय सीधी एक बार फिर से चर्चा में हैं, जहां की लाइसेंस नवीनीकरण में ट्रेनिंग स्कूल की सील के नाम पर लोगों को लूटा जा रहा है। जी हां बता दें कि जिला परिवहन कार्यालय सीधी अपनी करतूतों के लिए काफी बदनाम है यहां आने वाले अधिकारी कर्मचारी अपनी मर्जी का कानून लादकर आम जनमानस को लूटने का काम करते हैं, और इस बात के पूर्व में भी कई उदाहरण है, जहां लाइसेंस बनवाने पहुंचने वाले लोगों को गंभीर समस्याओं से दो चार होना पड़ता है बिना चढ़ावे या बिना एजेंट के किसी का कोई काम नहीं हो पाता है और तो और आमजन की माने तो परिवहन कार्यालय में सभी थानों की सील चरित्र प्रमाण पत्र बनाने के लिए मौजूद रहती है, डॉक्टरों की सील मेडिकल सर्टिफिकेट तैयार करने के लिए मौजूद रहती है और तो और बिना मार्कशीट पहुंचने वाले लोगों की भी समस्या का निदान यहीं से हो जाता है लेकिन वर्तमान समस्या नवागत परिवहन अधिकारी के आने के बाद से शुरू हुई है जहां परिवहन अधिकारी द्वारा नए लाइसेंस बनवाने में तो ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल के सर्टिफिकेट को अनिवार्य कर ही दिया गया है बल्कि लाइसेंस के नवीनीकरण में भी इसे अनिवार्य किया गया है, जिसका फायदा सीधे-सीधे ड्राइविंग ट्रेंनिंग स्कूल खोल कर बैठे लोगों को हो रहा है उनके द्वारा महज एक सील लगाकर ट्रेनिंग सर्टिफिकेट दिया जा रहा है और इसके बदले में 7 से ₹800 वसूले जा रहे हैं जिसका अब आमजन विरोध कर रहे हैं। कलेक्टर के नाम ज्ञापन देकर लोगों ने यह मांग उठाई है कि नवागत परिवहन अधिकारी द्वारा लाइसेंस नवीनीकरण में भी ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल का प्रमाण पत्र अनिवार्य कर दिया गया है जबकि यह नियम मध्यप्रदेश में अन्य किसी भी स्थान पर नही है खुद परिवहन अधिकारी जो कि शहडोल में वर्तमान में पदस्थ हैं वहां भी यह नियम नहीं लागू है लेकिन सीधी जिले में एक ड्राइविंग स्कूल के संचालक के साथ मिलकर इनके द्वारा यह नियम लागू किया गया है जो कि सर्वदा गलत है। आमजन द्वारा इस आशय की शिकायत जिला कलेक्टर से करते हुए जांच की मांग की गई है। बता दें कि यदि जिला प्रशासन द्वारा निष्पक्षता से जांच की जाए एवं आम आदमियों से चर्चा की जाए तो यह तथ्य निकलकर सामने आएगा कि शासन द्वारा निर्धारित राशि से 4 से 5 गुना अधिक राशि लेकर लोगों के लाइसेंस बनवाए जा रहे हैं, जिसमें की वहां के एजेंट भी मजबूरन लोगों से राशि लेने को विवश हैं कारण कि निर्धारित शुल्क साहब तक नहीं पहुंचने पर साहब की कलम दौड़ती ही नहीं है, नियम पहले भी यही था लेकिन पहले दर इतनी अधिक नहीं थी लेकिन वर्तमान महंगाई को देखते हुए शायद साहब द्वारा दर को उच्चतम कर दिया गया है तभी तो लाइसेंस बनवाने पर रिनुअल करवाने में लोगों के पसीने छूट रहे हैं कहने को तो एजेंट लूट रहे हैं लेकिन वास्तव में लूट कोई और रहा है लेकिन कोई कुछ बताने को तैयार नहीं जरूरत है तो गहनता और गोपनीयता से जांच की जिससे दूध का दूध और पानी का पानी अलग हो सके।