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उप पंजीयक दफ्तर में प्राइवेट लोगों का बोलबाला,न सरकारी न संविदा न दैनिक वेतनभोगी फिर भी दफ्तर में दस्तक.....

सिंगरौली(ईन्यूज एमपी)- उप पंजीयक दफ्तर दलालों का अड्डा बन चुका है। इस तरह का आरोप कई क्रेता-विक्रेता के द्वारा लगाया जा रहा है। वहीं दफ्तर में बाहर से लोग बैठकर स्लाट बुक होने वाले रजिस्टर का हिसाब किताब कर रहे हैं। आखिरकार कैमरे में कैद यह युवक कौन है किसके परमिशन से यहां काम कर रहा है। कहा जा रहा है कि वह न तो सरकारी है और संविदा पर फिर संरक्षणकर्ता कौन है।
दरअसल कलेक्टोरेट भवन में संचालित उप पंजीयक दफ्तर में भर्रेशाही का बोलबाला है। सबसे बड़ा जीता जागता उदाहरण मीडिया कर्मियों के कैमरे में कैद एक युवक है। जो बकायदे रोजाना 10.30 से 11 बजे के बीच उप पंजीयक दफ्तर में पहुंचता है और वहां के दस्तावेजों को खंगालने लगता है। टेबल, कुर्सी पर विधिवत बैठकर क्रेता, विक्रेताओं के साथ-साथ सेवा प्रदाताओं से भी बातचीत करता है। सूत्र बता रहे हैं कि संबंधित युवक इस जिले का नहीं है और वह सरकारी, संविदा तथा दैनिक वेतनभोगी के रूप में भी कार्य नहीं कर रहा है। फिर इतने महत्वपूर्ण दस्तावेज की जबावदेही किसने सौंपा है। सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि उक्त युवक कई महीने से इसी दफ्तर में आता जाता रहता है। इसकी जानकारी उप पंजीयक को भी है। लेकिन मजाल क्या है कि कोई भी व्यक्ति टीका-टिप्पणी कर दे। यदि कोई सेवा प्रदाता या क्रेता-विक्रेता सवाल-जबाव कर दिया तो उन्हें परेशानियों से झेलना पड़ता है। सवाल उठने लगा है कि कलेक्टोरेट के नाक के नीचे उप पंजीयक दफतर में इतनी भर्रेशाही क्यों मची है और प्राइवेट लोगों का दबदबा किस बात को लेकर है। यह भी बड़ा सवाल है। साथ ही प्रभारी पंजीयक बेखबर व उप पंजीयक की चुप्पी को लेकर कई तरह के सवाल खड़े होने लगे हैं। अब इस दफ्तर में मची भर्रेशाही का चि_ा धीरे-धीरे प्याज के छिलकों की तरह परत दर परत सामने आने लगा है। उधर कुछेक क्रेता-विक्रेताओं ने कलेक्टर एवं अपर कलेक्टर का ध्यान आकृष्ट कराते हुए उप पंजीयक दफ्तर में प्राइवेट लोगों के दखल से मुक्ति दिलाये जाने की मांग की है।

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