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चेहरे चर्चित चार, चिकित्सक - शिक्षक - साहित्यकार और कथाकार ....

आदरणीय पाठक बंधु
सादर अभिवादन स्वीकार हो।
हम आपके लिए एक ऐसा धारावाहिक लेख प्रस्तुत कर रहे है, जिसमे चार ऐसे लोंगो की जानकारी विशेष है , जिन्होंने विभिन्न अलग अलग क्षेत्रो पर बहुत अच्छा कार्य करके लोंगो का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है, जैसा कि आप हेडिंग से उन कार्यक्षेत्रों के बारे में समझ गए होंगे।
मेरी पूरी कोशिश होगी कि उन लोंगो के जीवन के कुछ रोचक, सुखद, और संघर्ष के बारे में जानकारी इकट्ठा करके लिख सकूं, और सहज शब्दो के माध्यम से उस भाव को आपके सामने प्रकट कर सकूं, जिससे आप किसी भी घटना क्रम को पूर्ण रूप से सही समर्थन दे सकें।
आपका
सचीन्द्र मिश्र
सीधी

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📱 चेहरे चर्चित चार📱
चिकित्सक - शिक्षक - साहित्यकार और कथाकार ....


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✍️ डॉक्टर ब्रजेश पाण्डेय📱
वरिष्ठ चिकित्सक

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चेहरे चर्चित चार में आज चिकित्सा जगत से हमारे साथ मौजूद हैं जिले के चर्चित चिकित्सक एवं ख्यति प्राप्त राजनेता के रिश्तेदार डॉक्टर ब्रजेश पाण्डेय ....जी हां वर्तमान सीधी विधायक के दामाद डॉक्टर ब्रजेश पांडे सीधी जिला चिकित्सालय के चिकित्सकों में से एक जाना पहचाना नाम है जिन्होंने अलग-अलग जगहों पर अपनी स्वास्थ्य सेवाएं दी हैं ।
डॉक्टर ब्रजेश का जन्म 31जुलाई1975 को रीवा जिले में हुआ। आपने शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मनिकवार रीवा से 10वी, मार्तण्ड क्रमांक 1 रीवा से 12वी कि शिक्षा ग्रहण की है । और
आप अपने पिता जी से प्रेरित होकर चिकित्सा क्षेत्र मे आ गए। और आज अपने कार्य के बलबूते अपनी नेक पहचान बनाने में कामयाब हैं ।

आपने मेडिकल क्षेत्र में पढ़ाई करते हुए सन 2001मे क्रीमिया मेडिकल यूनिवर्सिटी सिम्फेरोपोल यूक्रेन से एम डी फिजीशियन की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद गांधी मेडिकल कालेज भोपाल से 1 वर्ष की इंटर्नशिप पूरी कर • 2003 में प्राथमिक स्वास्थ केंद्र बरिंगवा सीधी मे चिकित्सा अधिकारी के पद पर पदस्थ हुए। आपने सन 2004 से 2006 तक जिला टीकाकरण अधिकारी का कार्य भार निभाया और 2008 से 2009 तक खण्ड चिकित्सा अधिकारी सेमरिया का पदभार भी आपके पास रहा। इसके बाद सन 2009 से 2015 तक आप जिला चिकित्सालय सीधी में पदस्थ रहकर मानव सेवा में लगे रहे।
सन 2015 से 2021 तक आपने राजधानी भोपाल की जयप्रकाश जिला चिकित्सालय में चिकित्सा अधिकारी के रूप में क्रिटिकल केयर मैनेजमेंट के साथ मेडिकल एवं ट्रामा मैनेजमेंट में कार्य किया और एक वार फिर 2021 से पुनः जिला चिकित्सालय सीधी में दूसरी पारी खेल रहे हैं। डॉक्टर ब्रजेश पाण्डेय वर्तमान में सामान्य रूप से मैडिसिन से सम्बंधित सभी बीमारियो जैसे डायबीटीज, हृदय, पेट, किडनी, फेफड़ा, त्वचा रोग आदि का उपचार कर रहे हैं। साथ ही आकस्मिक चिकित्सा एवं क्रिटिकल केयर मैनेजमेंट का कार्य भी जिला चिकित्सालय सीधी में आपके द्वारा संपादित किया जा रहा है।

डॉ ब्रजेश पाण्डेय को किस्मत से विधायक केदारनाथ शुक्ल का दामाद होने का सौभाग्य जरूर हांसिल है किंतु वह उनके नाम और ओहदे की कभी दुहाई देते नही दिखते । यह कटु सत्य है जिसकी लाठी उसकी भैंस किंतु डॉक्टर ब्रजेश आज भी दुनियादारी से दूर रहकर स्वास्थ्य मुहकमें के मलाई से मीलों दूर हैं । स्वास्थ्य विभाग एक ऐसा विभाग जो कुर्सी के किस्सों को लेकर हमेशा मशहूर रहा है ...? ससुर जी आज सत्ताधारी विधायक हैं वह चाहें तो किसी जिम्मेदार ओहदे की सौगात दिलाने में सक्ष्म हैं लेकिन वह ऐसा नही करेंगें ...? और दामाद भी केवल और केवल निश्चय मन के साथ नि:स्वार्थ जनसेवा करना अपना नैतिक धर्म समझते हैं । ऐनकेन प्रकारेण दोनों विभूतियों के विचार जनहित में है और अच्छे हैं ।


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✍️ शिबांगी मिश्रा📱
व्याख्याता

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चेहरे चर्चित चार में शिक्षा के क्षेत्र से एक बेहद ही कम उम्र की व्याख्याता जो पेसे से तकनीकी शिक्षक है लेकिन मनसे शुरू से खेलने वाली सुरप्रिया हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं शासकीय पीपीटी कॉलेज सीधी की व्याख्याता शिवांगी मिश्रा की जिन्होंने कम आयु से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ग्रहण की और कई राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं व अन्य कार्यक्रमों में अपनी धाक जमाई।
शिवांगी का जन्म 27 सितंबर 1992 को सतना में हुआ इनके पिता सत्यनारायण मिश्रा कृषि विभाग में आर ए ई ओ है जबकि माता श्रीमती अर्चना मिश्रा गणित विषय की व्याख्याता है।

आप की प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर केशव नगर सतना में संपन्न हुई जबकि हाईस्कूल व हायर सेकेंडरी की पढ़ाई आपने संत माइकल सीनियर सेकेंडरी स्कूल सतना से पूर्ण हुई। आपने शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय रीवा से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में बी ई किया है।
शिवांगी ने 9 वर्ष की आयु से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा शुरू कर दी थी आपके गुरु श्री किशोर कुमार द्विवेदी प्रोफेसर डिग्री कॉलेज सतना और ख्यात शास्त्री गायक विनोद मिश्रा रहे हैं। इसके अतिरिक्त आपने प्रयाग संगीत समिति से 6 वर्षीय पाठ्यक्रम प्रभाकर खैरागढ़ यूनिवर्सिटी से 6 वर्षीय पाठ्यक्रम विद की शिक्षा प्राप्त की जहां खैरागढ़ यूनिवर्सिटी से गोल्ड मेडलिस्ट भी रही हैं। बात करें आपके नौकरी पेशा जीवन की तो आपने सबसे पहले एसोसिएट सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर कार्य शुरू किया इसके बाद एक्सेंचर मुंबई में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन के लेक्चरर पद पर भी कार्य किया और 2015 में GATE की प्रतियोगी परीक्षा पास कर शासकीय पॉलिटेक्निक महा विद्यालय सीधी में आप बतौर व्याख्याता कार्यरत हैं।


आप राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता सुर संगम की लगातार तीन बार विजेता और "सुर श्री " की उपाधि से सम्मानित हो चुकी है। इसके अलावा युवा उत्सव शास्त्रीय संगीत विधा में राज्य स्तर पर प्रस्तुति, राष्ट्रीय स्तर की ग़ज़ल गायन प्रतियोगिता किरण, लता मंगेशकर अलंकरण आदि में आपने अपनी प्रस्तुति दी है । साथ ही आपने वॉइस ऑफ एमपी, एक शाम शहीदों के नाम, बेस्ट सिंगर अवॉर्ड नाइट इत्यादि लोकल लेवल तथा विंध्य स्तर की लगभग 40-50 प्रतियोगिताओं में विजेता रही है। आप अपने दादाजी भैयालाल मिश्र जी से काफी प्रेरित रही है और आपके आध्यात्मिक ज्ञान पर गौर करें तो आपने 14 वर्ष की आयु में गीता के कई अध्याय कंठस्थ कर लिए थे। सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय की बौद्धिक प्रतियोगिता में गीता गायन में लगातार सात बार मध्यस्टेट ( महाकौशल+ छत्तीसगढ़ + मध्य भारत) मे प्रथम स्थान पर रहीं हैं।
इसी प्रकार चिन्मय मिशन की अंतरराष्ट्रीय गीता गायन प्रतियोगिता में आपने राज्य स्तर में द्वितीय स्थान अर्जित किया। आपके द्वारा गीता के द्वितीय व तृतीय अध्याय को जीवन में उतारने का अनवरत प्रयास जारी ।

शिवांगी के संगीत प्रेम का आंकलन इसी बात से लगाया जा सकता है कि आपका अधिकांश समय संगीत में ही व्यतीत होता है आपने घर में स्टूडियो भी बना रखा है और यूट्यूब चैनल के माध्यम से भी अपनी मधुर मोहक आवाज लोगों तक पहुंचा रहीं हैं। साथ ही प्रतिभावान व लगनशील विद्यार्थियों को संगीत शिक्षा भी देने का काम आपके द्वारा किया जा रहा है ।
शिवांगी की इंजीनियरिंग में एनालॉग कम्युनिकेशन के ऊपर एक पुस्तक निर्माणाधीन है। भविष्य में हिंदी इंजीनियरिंग विद्यार्थियों के लिए सभी विषयों में क्वालिटी बुक्स लिखने का लक्ष्य है। शिक्षण कार्य के अलावा महाविद्यालय के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट ऑफिसर का भी प्रभार आपके पास है, जहां महाविद्यालय से प्रति वर्ष विद्यार्थियों का राष्ट्रीय स्तर की कंपनियों में प्लेसमेंट किया जा रहा है ।आप विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास की पक्षधर है । इलेक्ट्रॉनिक्स की शिक्षा के साथ साथ कम्युनिकेशन स्किल्स, मोरल एंड एथिकल बेहवियर, व्यावसायिक रुझान तथा तकनीकी नवाचार (वर्तमान में सोलर एनर्जी) की तरफ विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जा रहा है ।
बता करें आपकि रुचि कि तो नए लोगों से मिलना, बौद्धिक व तार्किक चर्चाओं को सुनना व भाग लेना, व जीवन के विषय में चिंतन करना । कभी कभी वेब सीरीज देखना, दुनिया के हर कोने, हर भाषा का संगीत सुनना आदि शिवांगी के सौक है।
इसके अतिरिक्त नई नई कंप्यूटर टेक्नोलॉजी के बारे में पढ़ना । आप वर्तमान में डाटा साइंस व मशीन लर्निंग का बाकायदा कोर्स कर रही है । आपको क्रिप्टो करंसी, व स्टाक मार्केट के समाचार पढ़ने का सौंक है,साथ ही कामयाब और हुनरमंद लोगों के साक्षात्कार देखने में भी रुचि है, निश्चित ही शिबांगी एक दिन समाज में नाम रोशन करेगी ।

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✍️ मैथिली शरण शुक्ल📱
साहित्यकार

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जब हम विंध्य के रचनाधर्मी हस्तियों की बात करते हैं तो उनमें एक नाम मैथिली शरण शुक्ल का आता है। ये वही बघेली साहित्यकार हैं, जिनकी रचनाएं रीवा विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाती हैं । श्री शुक्ल जी का जन्म रीवा के एक मशहूर गांव तिवनी के समीप पिपरवार में सन् 1949 में हुआ, जो उनका ननिहाल गांव था। इनके पिता स्व. श्री राम सुन्दर शुक्ल और माता स्व. श्रीमती रामकली शुक्ला थीं। शुक्ल जी की बचपन की शिक्षा दीक्षा भी गांव की विद्यालय में ही हुई। मिडिल तिवनी से और हायर सेकेण्डरी बैकुण्ठपुर, रीवा से पास की। तकनीकी शिक्षा ग्रहण करने के बाद सन् एकहत्तर में आपने विद्युत मण्डल में नौकरी कर ली। और फिर अन्ततः परीक्षण सहायक श्रेणी -एक के पद से सन् 2007 में सेवानिवृत्त हो गए।

जब हम इनके जीवन के एक दूसरे महत्वपूर्ण पक्ष को खंगालते हैं, तब जाकर हमें कवि कर्म की उजास दीखती है। साहित्य साधना की लौ जलती दिखाई देती है।
22 वर्ष के तरुण युवा मैथिली शरण जैसे ही नौकरी पेशा में आते हैं, आर्थिक स्थायित्व होता है, तब उनके अंतस् में रचनाधर्मिता का अंकुर फूटने लगता है। तुकबंदी करने लगते हैं। तीस वर्ष की अवस्था से आपका गम्भीर लेखन शुरू होता है।
मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग से प्रकाशित 'सोन रेवा' के संयुक्त संकलन में - मैथिली शरण शुक्ल जी की रचनाएं भी छपी हैं। जबलपुर से प्रकाशित होने वाली 'विन्ध्यिका' पत्रिका, लखनऊ से प्रकाशित 'अवध ज्योति पत्रिका' में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। आपके कविता संग्रह भोपाल से प्रकाशित हुए हैं। 'गीत बघेली गाबा' में रचनाएं छपी हैं। स्थानीय कई प्रकाशित साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

जब सम्मानों और पुरस्कारों पर नजर डालते हैं तो पाते हैं कि श्री शुक्ल जी को 'बघेली रचना शिविर' द्वारा स्थापित प्रतिष्ठित 'बैजू सम्मान' से नवाजा गया है। स्वर्गीय राकेश त्रिपाठी स्मृति सम्मान सतना से भी सम्मानित हैं। स्थानीय नगरपालिका तथा लघु पत्रकार संघ द्वारा भी सम्मानित
किये गये हैं। 1992 में ग्रामोदय विश्वविद्यालय द्वारा भी पुरस्कृत किये जा चुके हैं। बहत्तर साल पार चुके शुक्ल जी इन दिनों शिवाजी नगर, नौढ़िया सीधी में रहा करते हैं, और उम्र के इस पड़ाव में भी सृजनरत हैं। साहित्य-, साधना अनवरत जारी है।



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✍️ ब्रजेश तिवारी📱
कथाकार

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आज एक ऐसे कथा वाचक से आप लोगो को रूबरू कराने जा रहा हूँ जिसने अपनी पढाई एक गणित के छात्र के रूप में शुरू किया और 12 वी उत्तीर्ण करने के पश्चात इनका मन संस्कृत भाषा की पढ़ाई की ओर खींच कर वृन्दावन धाम ले गया वह चेहरा है वाल योगी बृजेश तिवारी का जिनका जन्म 1/09/1995 को ग्राम वेलहा मऊगंज जिला रीवा में हुआ था ।
इनकी प्रारंभिक शिक्षा सीधी के सरस्वती स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद भगवत प्रेरणा से संत- गौ सेवा के प्रति समर्पण भाव से वृन्दावन (मथुरा) व्रज- मंडल के श्री रामा चार्य कुटी संत कालोनी परिक्रमा मार्ग में महंत रामकुमार दास जी के सानिध्य में रहकर पूज्य गुरुदेव संत श्री मलुक पीठाधीस्वर श्री राजेंद्र दास जी महराज के कथा श्रवण का आश्रय लेकर कुंज बिहारी संस्कृति महाविद्यालय से व्याकरण विषय पर आचार्य की उपाधि प्राप्त की।

इसके उपरांत सन 2017 में मध्यप्रदेश के सीधी जिले के अंतर्गत बढौरा शिव मंदिर में भागवत कथा का श्रवण रस पान कराया। इसके उपरांत मां राधा रानी समित( हाउसिंग बोर्ड सीधी) के माध्यम से अनवरत कथा का क्रम चलता आ रहा है। इसके उपरांत रीवा के मऊगंज तहसील के अंतर्गत श्री हनुमत धाम गेडूहा में कथा का रस पान कराया और अनेक प्रांत उत्तरप्रदेश राजस्थान हरियाणा छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र दिल्ली आदि के भक्त जनों को कथा सेवा एवम संत सेवा एवम गौ सेवा के प्रति प्रेरित कर रहे हैं। कथावाचक ब्रजेश जी महराज श्रीकृष्ण भक्ति में लीन देश प्रदेश के कयी स्थानो मे संगीतमय श्रीमद् भागवत कर चुके हैं इनकी कथा की चर्चा खूब रहती है ।

सामान्य साधारण परिवार में जन्मा एक मैथ का छात्र क्या धर्म कर्म भारतीय संस्कृति की ओर रुख करेगा ... शायद यह किसी को आभाष नही था विश्वास नही था । किंतु श्री कृष्ण की कृपा और पिता ज्ञानेन्द्र तिवारी का पुण्य आज इस उंचाई पर पंहुचाया कि वह आज खुद किसी के परिचय के मुहताज नही हैं । श्री कृष्ण के मार्ग पर चल पड़े ब्रजेश निश्चित ही आने वाले समय पर सीधी का नाम रोशन करेंगें ।

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