सिंगरौली(ईन्यूज एमपी)- एनसीएल बीना परियोजना के खदान में प्रबंधन की लापरवाही एक बार फिर से सामने आई है। बतादे कि बीती रात बीना खदान में 100 टन छमता वाले होलपैक डम्पर में अचानक आग लगने से खदान में हड़कंप मच गया। आग लगे डम्पर से ऑपरेटर किसी तरह कूद कर अपना जान बचाया। वही डम्पर में लगे आग से एनसीएल को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। जानकारों के अनुसार एनसीएल परियोजनाओ में सुरक्षा मानकों को दरकिनार कर कार्य कराया जा रहा है। जिसका परिणाम है कि एनसीएल के खदानों में घटना दर घटना होती जा रही है। ऐसा नही है कि यह कोई पहली घटना है,वल्कि इसके पहले भी बीना,ककरी, खड़िया,दूधिचुआ,जयंत अमलोरी परियोजना के खदानों में कई घटनाएं हो चुकी हैं। जिससे सेफ्टी व सुरक्षा को लेकर एनसीएल के कोयला खदानों में प्रबंधन की घोर लापरवाही को उजागर करता हैं। फिर भी इनके सेहत पर कोई असर नही पड़ रहा। जबकि सुरक्षा,सेफ्टी के नाम पर प्रबंधन खदानों में पखवाड़ा अभियान चलाकर लाखों रुपये खर्च करता है। इसके बावजूद भी खदानों में बराबर लाखों करोड़ों की संपत्ति जल कर खाक हो रही हैं। यह गंभीर व चिंतनीय हैं। परियोजनाओ में बराबर हो रही घटनाओं से अब एनसीएल प्रबंधन पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे है। मिली जानकारी के अनुसार बीना परियोजना खदान के दूसरे पाली में 8:00 बजे के लगभग कोयला लोड कर उक्त होलपैक डम्पर कोलयार्ड नम्बर 2 में खाली करने को जा रहा था की अचानक आग भड़की और देखते ही देखते आग की लपटों ने बिकराल रूप धारण कर लिया। आनन फानन में मौके पर पहुंचे अधिकारीयो ने फायर ब्रिगेड को सूचित किया, फायर ब्रिगेड पहुँचते ही सीआईएसएफ जवानों के कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू तो पा लिया गया, लेकिन तब तक आधे से ज्यादा डम्पर जलकर खाक हो गया था। होलपैक डम्पर में आग कैसे लगा..? जिसकी मुख्य वजह अधिकारीयो द्वारा बैट्री में शार्ट सर्किट होना बताया जा रहा है। विचारणीय पहलू तो यह है कि इसके पहले अमलोरी खदान के डीजल टैंकर भी आग लगा था, उसमें भी अधिकारियो द्वारा बैट्री से ही सार्ट सर्किट होना बताया गया था। आखिर ऐसा क्या है कि, वाहनों में लगने वाली आग की मुख्य वजह बैट्री से ही सार्ट शर्किट होना बताया जाता हैं ? यह जांच का विषय है।