भोपाल(ईन्यूज एमपी)- मध्य प्रदेश के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए शुक्रवार का दिन बेहद महत्वपूर्ण साबित होने वाला है। दरअसल, पौने छह साल बाद सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को पदोन्नति में आरक्षण मामले का फैसला सुनाएगा। यह प्रकरण फैसले के लिए सूचीबद्ध कर लिया गया है। मंत्रालय में भी चहलकदमी रही यही कारण है कि गुरुवार को इस मसले को लेकर मंत्रालय में भी चहलकदमी रही। पदोन्नति का विकल्प तलाश करने के लिए गठित की गई मंत्रिमंडल उप समिति की बैठक भी हो गई। अप्रैल 2016 से पदोन्नति में रोक है मध्य प्रदेश में मध्य प्रदेश में अप्रैल 2016 से पदोन्नति में रोक है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल को 'मप्र लोक सेवा (पदोन्नत) नियम 2002" खारिज कर दिया था। इसके बाद से अधिकारी और कर्मचारी पदोन्नति को लेकर परेशान हैं और लगातार सरकार से पदोन्नति शुरू करने की मांग कर रहे हैं। इस अवधि में 60 हजार से अधिक कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इनमें से 32 हजार कर्मचारी बगैर पदोन्नति के ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं। सामान्य वर्ग के अधिकारियों और कर्मचारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण नियम खारिज किए थे। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई और मई 2016 में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने प्रकरण में यथास्थिति के निर्देश दे दिए। तभी से प्रदेश में पदोन्नति पर रोक लगी है।