इंदौर (ईन्यूज एमपी)-हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने राज्य सरकार के खिलाफ पांच लाख रुपए की कॉस्ट लगाई है। मामला एक इंजीनियर काे सस्पेंड करने का है। दरअसल, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने इंदौर में पदस्थ रहे इंजीनियर अशोक कुमार संतोषी को भ्रष्टाचार के आरोप में क्लीनचिट मिलने के बाद भी सस्पेंड कर दिया था। विभागीय मंत्री ने इंजीनियर के खिलाफ जबरन एक नोटशीट चला इंजीनियर इन चीफ की अध्यक्षता में जांच कमेटी बना दी। खास बात यह है कि हाईलेवल कमेटी ने जांच में उल्लेख किया कि जिस छगनलाल के नाम से शिकायत हुई, उस नाम का काेई व्यक्ति दिए गए पते पर मिला ही नहीं। इंजीनियर पर जो आरोप लगाए, वे सब बेबुनियाद निकले। इसके बावजूद संतोषी को सस्पेंड कर दिया गया। याचिका में तर्क- 30 साल की सर्विस में कभी नोटिस नहीं मिला निलंबन के खिलाफ संतोषी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जस्टिस विवेक रुसिया की खंडपीठ के समक्ष इस मामले की सुनवाई हुई। याचिका में उल्लेख किया कि विगत 27 मार्च को निलंबन की कार्रवाई कर दी गई, जबकि कुछ दिन बाद रिटायरमेंट था। रिटायरमेंट से पहले इस तरह सस्पेंड कर शासन ने मेरी छवि खराब कर दी। 30 साल से अधिक की सर्विस में मुझे कभी एक नोटिस तक नहीं मिला। कमेटी द्वारा मुझे क्लीनचिट दी गई। इसके बावजूद बगैर कारण सस्पेंड कर दिया। निलंबन से पहले भी नोटिस तक नहीं दिया। पक्ष भी नहीं सुना।