भोपाल(ईन्यूज एमपी)- सुप्रीम कोर्ट द्वारा त्रिस्तरीय पंचायत के चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण पर रोक लगाए जाने के मामले में तीन जनवरी को सुनवाई होगी। इस दौरान केंद्र सरकार ने अर्जी दाखिल कर खुद को पक्षकार बनाने की मांग की है। राज्य सरकार द्वारा इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर की गई है, जिस पर जल्द सुनवाई से इन्कार कर दिया था। उधर, सुप्रीम कोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ओबीसी को आरक्षण देने के लिए उनके आबादी के आंकड़े जुटाने का आदेश दिया है। महाराष्ट्र के संदर्भ में दिए गए इस आदेश की वजह से पंचायत चुनाव में ओबीसी के लिए आरक्षित पदों के चुनाव पर रोक लग गई है। आगे भी यदि ओबीसी को आरक्षण का लाभ पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव में देना है तो उसके लिए आबादी का आधार देना होगा। इसमें भी कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक तभी हो सकता है, जब सुप्रीम कोर्ट विशेष अनुमति दे। इसके लिए कोर्ट के समक्ष आंकड़े प्रस्तुत करने होंगे। इसके मद्देनजर सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग विभाग के माध्यम से ओबीसी मतदाताओं की गिनती कराने का काम प्रारंभ किया है। सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि सात जनवरी तक यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाए और पंचायतवार व वार्डवार जानकारी शासन को भेजी जाए। मुख्यमंत्री ने सालिसिटर जनरल के साथ की चर्चा : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई रोक को बहाल कराने के लिए शिवराज सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की जा चुकी है। इस पर तीन जनवरी को सुनवाई प्रस्तावित है। इसको लेकर मुख्यमंत्री ने रविवार को दिल्ली में सालिसिटर जनरल तुषार मेहता सहित विधि विशेषज्ञों के साथ बैठक की।