रीवा (ईन्यूज एमपी)-सिद्ध श्री चिरहुला नाथ मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण के द्वितीय दिवस कथा व्यास परम पूज्य पंडित बाला व्यंकटेश शास्त्री जी ने बताया कि राधा कृष्ण की लीला चल रही थी उसी समय एक कपटा सुर नाम का दैत्य आया और राधा जी के साथ रासलीला करने का विचार करने लगा उसी समय भगवान श्री कृष्ण गिरधारी का स्वरूप धारण कर मां राधा जी को बता दिए तब राधा जी ने कपटा सुर नामक दैत्य का अंत करके भगवान श्री कृष्ण के साथ रासलीला प्रारंभ की तब मां राधा जी का नाम पड़ा था रासेश्वरी इसके उपरांत शास्त्री जी ने भगवान के 24 अवतारों का बड़े ही विस्तार से वर्णन करते हुए पंचविद्या के स्वरूप का वर्णन किए शास्त्री जी ने बताया कि पंचविद्या एवं पंच अविद्या होती हैं जो पंच विद्या का आश्रय ले लेते हैं उनका कल्याण हो जाता है एवं जो पंच अविद्या का आश्रय लेते हैं वह इस संसार में भटक जाते हैं इसके बाद शास्त्री जी ने भागवत के 10 लक्षण का बड़े ही विस्तार से वर्णन क किए इस अवसर पर श्री चिरहुला नाथ जी के सेवक गोकर्ण स्वामी शत्रुघ्न शुक्ल जी टोनी महाराज बृजेंद्र शुक्ला सुरेश द्विवेदी बालक दास जी एवं काफी संख्या में भक्तगण बहुत ही भाव विभोर होकर कथा का रसपान किये.