जबलपुर (ईन्यूज एमपी)-राज्य में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर आरक्षण प्रक्रिया के मामले में सरकार उलझती दिख रही है। गुरुवार 9 दिसंबर को एक साथ पंचायत चुनाव को लेकर दायर याचिकाओं की सुनवाई होगी। हाईकोर्ट में याचिका के जरिए जिला, जनपद और ग्राम पंचायत चुनाव में आरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना व मनमाने प्रावधानों को चुनौती दी गई है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ पिछले सोमवार को ही नौ नवम्बर को अन्य याचिकाओं के साथ इस मामले की सुनवाई की व्यवस्था दी थी। इस मामले में पूर्व में अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई के बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव, पंचायत राज संचालनालय के आयुक्त सह संचालक सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया गया है। वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर ने भी दायर की है याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर की ओर से दायर याचिका में पंचायत चुनाव कराने को लेकर वर्षगत आधार पर चुनौती दी गई है। वहीं, पुरानी याचिकाओं में कहा गया है कि राज्य सरकार ने 21 नवंबर 2021 को अधिसूचना जारी कर आगामी पंचायत चुनाव में 2014 के आरक्षण रोस्टर के आधार पर चुनाव कराने की घोषणा की है। इसके पहले 2019-20 में पंचायत चुनाव का आरक्षण निर्धारित कर दिया गया है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में पुराने आरक्षण व्यवस्था से बरपा हंगामा। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में पुराने आरक्षण व्यवस्था से बरपा हंगामा। सिंगरौली के लल्ला प्रसाद ने राज्य सरकार के अधिसूचना को चुनौती दी है दरअसल, राज्य सरकार ने आरक्षण के पुरानी व्यवस्था के आधार पर चुनाव कराने का निर्णय लिया है। इस अधिसूचना को सिंगरौली के देवसर निवासी लल्ला प्रसाद वैश्य ने याचिका दायर कर चुनौती दी। उनकी दलील है कि सरकार ने 2019-20 का पंचायत चुनाव का रोस्टर निरस्त किए बिना ही नई अधिसूचना जारी कर दी है, जो कि अवैधानिक है। अब नई अधिसूचना के कारण इन पंचायतों का आरक्षण रोस्टर पुन: बदल जाएगा। याचिका में मांग की गई है कि या तो राज्य सरकार की अधिसूचना को निरस्त किया जाए या फिर नए सिरे से आरक्षण निर्धारित किया जाए। नए आरक्षण की बजाए 2014 के आरक्षण पर चुनाव कराना संविधान का उल्लंघन प्रदेश में जिला, जनपद और ग्राम पंचायत चुनाव में नए आरक्षण की बजाय साल 2014 के आरक्षण पर चुनाव करवाने के मामले में हाईकोर्ट में आज अहम सुनवाई होगी। आज आरक्षण और पंचायत चुनाव से जुड़ी दूसरी याचिकाओं को एक साथ सुना जाएगा। नरसिंहपुर निवासी संदीप पटेल और भोपाल निवासी मनमोहन नागर ने भी याचिका दायर की है। याचिकाओं में 7 साल पुराने परिसीमन और आरक्षण पर चुनाव करवाने को चुनौती दी गई है। इसमें सीनियर एडवोकेट और कांग्रेस लीडर विवेक तन्खा कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखेंगे। पिछली सुनवाई में उन्होंने कहा था कि संविधान की धारा 243 C और D का मप्र सरकार ने स्पष्ट उल्लंघन किया है। जबलपुर, ग्वालियर व इंदौर में लंबित थी याचिकाएं दरअसल, पंचायत चुनाव को लेकर ग्वालियर, इंदौर और जबलपुर में अलग-अलग याचिकाएं लगाई गई हैं। सभी याचिकाओं में आरक्षण की प्रक्रिया को चुनौती दी गई है। इस कारण चीफ जस्टिस रवि मलिमथ और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने सभी याचिकाओं को एक साथ 9 दिसंबर को सुनवाई का निर्णय लिया था। सरकार की ओर से जहां महाधिवक्ता पक्ष रखेंगे। वहीं, याचिकाकर्ताओं के विभिन्न अधिवक्ताओं के साथ राज्य सभा सांसद एवं वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा पैरवी करेंगे।