आदरणीय पाठक बंधु सादर अभिवादन स्वीकार हो। हम आपके लिए एक ऐसा धारावाहिक लेख प्रस्तुत कर रहे है, जिसमे चार ऐसे लोंगो की जानकारी विशेष है , जिन्होंने विभिन्न अलग अलग क्षेत्रो पर बहुत अच्छा कार्य करके लोंगो का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है, जैसा कि आप हेडिंग से उन कार्यक्षेत्रों के बारे में समझ गए होंगे। मेरी पूरी कोशिश होगी कि उन लोंगो के जीवन के कुछ रोचक, सुखद, और संघर्ष के बारे में जानकारी इकट्ठा करके लिख सकूं, और सहज शब्दो के माध्यम से उस भाव को आपके सामने प्रकट कर सकूं, जिससे आप किसी भी घटना क्रम को पूर्ण रूप से सही समर्थन दे सकें। आपका सचीन्द्र मिश्र सीधी ................................................... 📱 चेहरे चर्चित चार📱 शिक्षक - चिकित्सक - संविदकार और कलाकार.... ................................................. ✍️ लक्ष्मीकांत शर्मा📱 विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी ................................................... सीधी जिले के चर्चित चेहरों में आज हम बात करेंगे शिक्षा विभाग में पदस्थ सीधी के B.E.O. लक्ष्मीकांत शर्मा की, जी हां शर्मा जी जिन्होंने शिक्षा विभाग में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहकर जिले की शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने का काम किया है, और वर्तमान में जनपद शिक्षा केंद्र में बतौर B.E.O पदस्थ हैं, साथ ही उत्कृष्ट विद्यालय क्रमांक 2 के प्राचार्य के प्रभार पर भी है । शर्मा जी का जन्म सीधी जिले के सिहावल विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत अमिरती ग्राम में 6 अगस्त 1962 को हुआ इनकी प्रारंभिक शिक्षा कक्षा 1 से हाई सेकेंडरी तक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हिनौती में संपन्न हुई । संजय गांधी महाविद्यालय से इन्होंने Bsc व msc की पढ़ाई की| इसके बाद शासकीय शिक्षा महाविद्यालय रीवा से b.ed व m.ed की डिग्री हासिल की। शिक्षा विभाग में इनकी प्रथम नियुक्ति 5 फरवरी 1987 को बतौर शिक्षक शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय धुम्मा में हुई। एवं व्याख्याता पद पर उनकी पदोन्नति 12 अगस्त 1996 को हुई थी। ऐसा नहीं है कि इन्होंने सीधे शिक्षा विभाग में नौकरी करना प्रारंभ कर दिया बल्कि msc कंप्लीट होने के बाद शासकीय सेवा में आने के लिए इन्होंने तैयारियां शुरू कर दी, जिसमें मध्य प्रदेश मिनी psc का एग्जाम इन्होंने 1985 में RAEO पद हेतु दिया था जिसमें चयन होने के बाद इन्हें मध्य प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ एवं इनके द्वारा कृषि प्रशिक्षण केंद्र नौगांव छतरपुर में 6 माह प्रशिक्षण भी प्राप्त किया गया लेकिन इनकी नियुक्ति उस जमाने में कालापानी के नाम से बदनाम वैढन में होने के कारण इन्होंने इस पद हेतु ज्वाइन नहीं किया, जिसके बाद 5 फरवरी 1987 को ये शिक्षक पद पर चयनित हुए और शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय धुम्मा से शिक्षा के कार्य में लग गए। शिक्षक बनने के बाद इन्होंने वहीं रहते हुए b.ed की डिग्री हासिल की जिसके बाद शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सिहावल में रहते हुए व्याख्याता पद पर पदोन्नत हुए एवं m.ed के लिए उनका चयन हुआ और रीवा से m.ed की परीक्षा में इन्हें ए पी एस यूनिवर्सिटी रीवा में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। m.ed के पश्चात व्याख्याता के रूप में इनका पदांकन शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक 1 में हुआ, पदांकन के बाद ये रसायन विज्ञान के व्याख्याता रहे एवं वर्ष 2000 में क्रमांक 1 सीधी में परीक्षा प्रभारी का दायित्व इन्हें प्राप्त हुआ| परीक्षा प्रभारी के रूप में विद्यालयीन परीक्षाओं के साथ-साथ व्यवसायिक परीक्षा मंडल की प्रतियोगी परीक्षाएं की परीक्षा एवं अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं का संचालन शासन के निर्देशानुसार उनके द्वारा किया जाता रहा| 1 मई 2017 को शासकीय स्तर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक 1 सीधी में इन्हें प्राचार्य का दायित्व प्राप्त हुआ जिका निर्वहन इनके द्वारा किया जाता रहा| बतौर BEO के रूप में सीधी विकासखंड की शैक्षणिक व्यवस्था को सुधारने का उनके द्वारा पूरा प्रयास किया गया एवं सीधी विकासखंड के विद्यालयों के पठन-पाठन में गुणवत्ता सुधार का काम उनके द्वारा किया जाता रहा।। 1 जनवरी 2020 से इन्हें BEO के साथ साथ शासकीय उत्तर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक 2 में बतौर प्रचार का दायित्व भी सौंपा गया, क्रमांक 2 में प्राचार्य के रूप में विद्यालय की प्रशासनिक व्यवस्था एवं अध्ययन अध्यापन के व्यवस्थाओं में सुधार लाने के लिए इनके द्वारा निरंतर प्रयास जारी रहा, विद्यालय के पठन-पाठन व्यवस्था में पहले की तुलना में काफी सुधार आया और अभी भी उसी दिशा में अग्रसर है| लक्ष्मीकांत शर्मा संजय गांधी महाविद्यालय के छात्र रहते हुए वर्ष 1981 में NCC के सदस्य भी रहे और आप सीनियर परेड आफिसर भी रहे जिसमें 26 जनवरी परेड में प्लाटून कमांडर के साथ में भाग लिया एवं अपनी प्लाटून को प्रथम श्रेणी का पुरस्कार दिलाया । .............................. .................... ✍️ अशोक दुबे📱 चिकित्सक ................................................... आज चर्चित चेहरे में हम एक ऐसे शख्स के बारे में बात करेगें जो विगत 33 वर्षो से सीधी में मानव सेवा कर रहा है जी हाँ सीधी जिले के चिकित्सा क्षेत्र की बात करे तो एक नाम अशोक कुमार दुबे का काफी चर्चित है, किसी व्यक्ति को आंख से जुड़ी समस्या होने पर अशोक दुबे की याद पहले आती है काफी लंबे समय से सीधी जिले में पदस्थ डॉ अशोक दुबे को करीब-करीब जिले का हर व्यक्ति जानता है और जाने भी क्यों ना बीते 33 वर्षों से ये जिले मे अपनी सेवाएं दे रहे हैं । डॉ अशोक दुबे का जन्म उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में 13 जून 1963 को एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिवार में हुआ एक क्रांतिकारी के पोते होने के कारण डॉ अशोक दुबे के मन में बचपन से ही देश प्रेम और समाज सेवा की भावना बनी रही। इनकी प्राथमिक शिक्षा मिर्जापुर से ही शुरू हुई, बचपन से ही इनकी रूचि विज्ञान विषय में ज्यादा रही है इन्होंने 12वीं तक की शिक्षा मिर्जापुर से प्राप्त की इसके बाद इन्होंने मध्यप्रदेश की ओर अपना रुख किया और साइंस कॉलेज रीवा से बीएससी की डिग्री प्राप्त की। बीएससी करने के बाद इन्होंने चंडीगढ़ पंजाब के देश भगत विश्वविद्यालय से BOMS की पढ़ाई पूरी की। इन्होंने गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल से अफ्पैल्मिलाजी में डिप्लोमा करने के बाद एमएसडब्ल्यू की डिग्री इलाहाबाद उत्तर प्रदेश से प्राप्त की| वर्ष 1988 में इन्होंने हमीदिया अस्पताल भोपाल के नेत्र विभाग से अपनी शासकीय सेवा की शुरुआत की और वर्ष 1989 से सीधी जिला चिकित्सालय में पदस्थ हैं, अपने 33 वर्षों की सेवा में अंधत्व निवारण राष्ट्रीय कार्यक्रम को देखते हुए अनेकों नेत्र शिविरों के माध्यम से जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जाकर मोतियाबिंद के रोगियों को ऑपरेशन के द्वारा आंखों की रोशनी प्रदान कर रहे हैं। अंधत्व निवारण कार्यक्रम के अंतर्गत जिले के सरकारी स्कूली बच्चों की हर वर्ष निशुल्क जांच करके चश्मे वितरण करने के कार्यक्रम में इनकी भूमिका सराहनीय रही है, वर्ष 1995 से 2002 तक उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर अपने एसोसिएशन से निशुल्क मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया| सीधी के बाहरी क्षेत्र में आयोजित नेत्र शिविरों में गरीब मरीजों का आपरेशन करके सीधी जिले के लोगों की सेवा करते आ रहे हैं। डॉ अशोक कुमार दुबे नेशन अफ्थैल्मिक एसोसिएशन के उपाध्यक्ष के पद पर कार्य कर रहे हैं एवं मध्य प्रदेश राज्य कर्मचारी संघ के जिला सचिव के पद का निर्वहन करते हुए कर्मचारियों के हित के लिए आवाज उठाते रहते हैं। ................................................... ✍️ जीवेन्द्र सिंह लल्लू📱 वरिष्ठ संविदकार ................................................ सीधी जिले के ठेकेदारों की अगर बात करे तो हंसमुख मिजाज के धनी जीवेन्द्र सिंह 'लल्लू' को भला कौन नहीं जनता, सम्पन्नता के साथ साथ शालीनता और मधुर वाणी व्यवहार के धनी जीवेन्द्र सिंह सीधी जिले के बेहद चर्चित चेहरे है जिन्हें उनके वास्तविक नाम के बदले उपनाम से ज्यादा लोग जानते है | जीवेन्द्र सिंह का जन्म सीधी जिले के सपही कुबरी में 1 मार्च 1967 में हुआ, इन्होने स्नातक तक की पढाई संजय गांधी महाविद्यालय सीधी से पूर्ण करने के बाद 1995 से ठेकेदारी को अपना पेशा बनाया और शुरुआत पंचायतो से करके अब प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क में लगातार कार्य कर वड़े ठेकेदारों में नाम सुमार हैं । जीवेन्द्र सिंह के संघर्ष का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि कुबरी जैसी जगह से निकल कर सीधी जिले में हर कोने में अपने कामो के बल पर इन्होने अपनी पहचान बनाई है| इन्होने पंचायतो में होने वाले निर्माण कार्यो से शुरुआत की और फिर लोकनिर्माण विभाग और अब 2012 से लगातार प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क में करीब 1000 किलोमीटर की सड़को का निर्माण आपके द्वारा कराया जा चुका है, इसके अतिरिक्त सैकड़ो भवनों, पुल पुलिया का निर्माण भी अब तक आपके द्वारा कराया जा चुका है| कई मामले तो ऐसे है की आजादी के बाद से अब तक वहां सड़के ही नही थी और अब मंजूर हुई उन सड़को का निर्माण भी जीवेन्द्र सिंह द्वारा कराया जा रहा है, रामडीह बहेरा सड़क मार्ग इसका आज भी उदाहरण है | कांग्रेस विचारधारा से प्रेरित जीवेन्द्र सिंह बेहद सरल सहज और मृदुभाषी व्यक्तित्व के धनी है, एक ठेकेदार होने के साथ साथ आप सामाज सेवक के रूप में भी जाने जाते है, जरूरतमंदो की मदद को हमेशा आगे रहते है, सपही से शुरू हुई इनकी यात्रा जिले के कोने में दिखाई व सुनाई देती है । ................................................... ✍️ उमा प्रसाद शर्मा📱 शिक्षक / कलाकार ................................................... आज हम सीधी जिले के एक ऐसे कलाकार की बात करेंगे जिन्होंने अपनी कला को अपने पास सहेजने के बजाय उसे दूसरों को सिखाने पर ज्यादा जोर दिया और जिले के कई कलाकारों को प्रशिक्षण देकर उन्हें इस काबिल बनाया कि किसी मंच पर अपनी प्रस्तुति दे सके, इतना ही नहीं अपने विभाग के माध्यम से अनेक सांस्कृतिक व सामाजिक कार्यक्रमों में भी उनकी भूमिका अहम रही है, जी हां हम बात कर रहे हैं शिक्षा विभाग में पदस्थ उमा प्रसाद शर्मा जी कि| उमा प्रसाद शर्मा एक ऐसा नाम है जो संगीत गायन वादन से जुड़ा हुआ नाम है| सीधी के पड़ोसी जिले रीवा में 28 फरवरी 1962 को जन्मे उमा प्रसाद शर्मा ने स्नातक बीटीआई तक की शिक्षा हासिल की और वर्तमान में सीधी जिले में शिक्षा विभाग में पदस्थ हैं। बताते चलें कि कक्षा 6 से स्नातक तक की इनकी पढ़ाई सीधी जिले में ही हुई पढ़ाई के साथ साथ संगीत में भी रुचि होने के कारण ये छोटी कक्षाओं से ही गीत संगीत के कार्यक्रमों में भाग लेते थे, साथ ही विद्यालय वार्षिकोत्सव में पुरस्कृत भी होते थे, धीरे धीरे लगन बढ़ती गई और इसी दौरान इन्होंने गायन हारमोनियम व कांगो वादन का प्रशिक्षण प्राप्त किया साथ ही सीधी में कांगो वादन का प्रशिक्षण देकर कई कलाकारों को भी तैयार किया। वर्ष 1980 में शिक्षक पद पर इनकी नियुक्ति हुई इस दौरान विभाग ने इन्हें संगीत एवं कला अकादमी भोपाल में प्रशिक्षण हेतु भेजा, जहां कि प्रत्येक जिले से केवल एक ही व्यक्ति को भेजा गया था, प्रशिक्षण पश्चात इन्हें भोपाल से ही जिला बाल रंग एवं सांस्कृतिक प्रभारी के रूप में नियुक्ति मिल गई, स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली बाल रंग प्रतियोगिता, कालिदास प्रतियोगिता, सामूहिक सूर्य नमस्कार, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, मोगली बाल महोत्सव आदि के कार्यक्रमों का संचालन जिले में उनके द्वारा ही किया जाता है, इसके अतिरिक्त विभिन्न स्तरों पर होने वाली प्रतियोगिताओं एवं कार्यक्रमों में इनके प्रयास से ही छात्र छात्राएं प्रदेश स्तर पर प्रतिवर्ष प्रथम स्थान प्राप्त करते हैं, इसके अतिरिक्त 15 अगस्त 26 जनवरी पर आयोजित जिला स्तरीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का संयोजन व 3000 छात्र छात्राओं की सामूहिक पीटी का आयोजन भी इन्ही के द्वारा किया जाता है। और तो और गैर उमा शिक्षा विभाग की सांस्कृतिक गतिविधियां अधूरी है , जव तक उनका हांथ न लगे ...समझो गतिविधियां अधूरी है , वह एक अच्छे शिक्षक के साथ साथ अच्छे कलाकार भी हैं । बता दें कि जिला मुख्यालय में कलेक्ट्रेट में माह के प्रथम कार्य दिवस पर राष्ट्रगान, राष्ट्रगीत एवं मध्य प्रदेश गान की प्रस्तुति इनके द्वारा दी जाती है| वर्तमान में 40 वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके उमा प्रसाद जी शासकीय सेवा के अतिरिक्त हिंदू जागरण मंच के जिला सांस्कृतिक प्रमुख का दायित्व भी सम्हाल रहे है एवं संस्कार भारती में जिला सचिव के दायित्व का भी निर्वहन इनके द्वारा किया जा रहा है| बात करें उमा प्रसाद जी की उपलब्धियों की तो इन्हें वर्ष 1996, 1999, 2006 एवं 2009 में जिला स्तरीय शिक्षक सम्मान प्राप्त हो चुका है, गणतंत्रता दिवस एवं स्वतंत्रता दिवस पर अनगिनत सम्मान कि ट्राफियां इन्हें प्राप्त हो चुकी है इसके साथ ही करीब 150 जिला स्तरीय प्रशस्ति पत्र भी इन्हें प्राप्त हो चुके है। अभिव्यक्त सांस्कृतिक संस्था के माध्यम से ग्रीष्मावकाश के दौरान इनके द्वारा छात्र छात्राओं को हारमोनियम व कांगो वादन का प्रशिक्षण दिया जाता है, इसके अतिरिक्त कला की उपलब्धि के लिए रीवा में विंध्य शिखर सम्मान से भी ये सम्मानित हो चुके हैं|