भोपाल(ईन्यूज एमपी)-माननीय मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में आज ओबीसी के 27% आरक्षण के मुद्दे पर सुनवाई हुई। माननीय न्यायालय ने सुनवाई की अगली तारीख 7 अक्टूबर तय की है। माननीय न्यायालय में तारीख हर बार बढ़ जाने के पीछे मुख्य वजह यही है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार अदालत में इस मामले को सक्षम तरीके से उठाना ही नहीं चाहती। पूर्व मंत्री और विधायक श्री कमलेश्वर पटेल ने आज जारी एक बयान में यह बात कही। श्री पटेल ने कहा कि माननीय कमलनाथ सरकार ने मध्य प्रदेश में 27% आरक्षण लागू किया था। शिवराज सिंह चौहान सरकार के महाधिवक्ता द्वारा मुख्य सचिव को दिनाँक 25 अगस्त को पत्र लिखकर प्रशासन में सभी वर्गों के प्रतिनिधित्व के डेटा चाहे थे,जो अप्राप्त है, इसलिए 20 सितंबर को केस की सुनवाई नही हो सकी। जिस तरह से शासन माननीय उच्च न्यायालय को ओबीसी से जुड़ा डाटा उपलब्ध नहीं करा रहा है, उससे साफ पता चलता है कि सरकार की मंशा को अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण बनाए रखने की नहीं है। श्री पटेल ने कहा कि शिवराज सरकार के मंत्री भूपेंद्र सिंह लगातार ओबीसी आरक्षण को लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। ओबीसी को 27% आरक्षण माननीय कमलनाथ जी की सरकार ने दिया था और आगे भी जब कोर्ट से मामला सुलझ जाएगा तो कमलनाथ जी के द्वारा बनाए गए कानून से ही ओबीसी को 27% आरक्षण मिलेगा। बीजेपी की मानसिकता हमेशा से ओबीसी विरोधी रही है। 17 साल की सरकार में यह एक बार भी विधानसभा में ओबीसी रिजर्वेशन को 27% करने का प्रस्ताव लेकर नहीं आए। श्री पटेल ने कहा कि सरकार की इस मंशा को देखते हुए कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह और अभिषेक मनु सिंघवी को पैरवी के लिए उतारा है। श्री पटेल ने बताया कि शिवराज सिंह चौहान सरकार पिछले 17 महीने से जानबूझकर कमलनाथ सरकार द्वारा ओबीसी को दिए गए 27% आरक्षण पर बैठी रही। उसके महाधिवक्ता को अदालत के फैसले को समझने में 17 महीने लग गए। उन विभागों में भी आरक्षण नहीं दिया गया, जिन पर हाईकोर्ट में कोई रोक नहीं लगाई थी। सरकार और उसके वकीलों की इस नियत को देखते हुए माननीय श्री कमलनाथ जी ने कांग्रेस की ओर से इन दोनों वरिष्ठ वकीलों को पैरवी के लिए उतारा है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अदालत के आज के सुनवाई के बाद यह स्पष्ट है कि प्रदेश में पीजी नीट, शिक्षक भर्ती को छोड़कर बाकी विभागों में ओबीसी को 27% आरक्षण का फैसला ज्यों के त्यों लागू है। श्री पटेल ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री भूपेंद्र सिंह बार-बार जनता को भ्रमित करने की कोशिश करते हैं। वह बार-बार यह प्रचारित करने की कोशिश करते हैं कि शिवराज सिंह चौहान ने आरक्षण दिया है। जबकि यह तथ्य आप सबके सामने है कि ओबीसी के लिए 27% आरक्षण का जो कानून माननीय कमलनाथ जी की सरकार ने बनाया था, इसी कानून और आदेश के आधार पर प्रदेश में ओबीसी को 27% आरक्षण दिया जा रहा है। शिवराज सरकार ने इस पूरे मामले में खलनायक की भूमिका निभाई है और जानबूझकर 17 महीने तक हाईकोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या करके सभी पदों पर 27 फ़ीसदी आरक्षण के आधार पर भर्तियां नहीं होने दी। इस पूरी अवधि के दौरान जो लोग सरकारी नौकरी और पढ़ाई में प्रवेश पाने से वंचित रह गए ओबीसी वर्ग के उन सभी युवाओं से शिवराज सिंह चौहान को माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि माननीय कमलनाथ जी ने मध्य प्रदेश के ओबीसी समाज को 27% आरक्षण दिया है और इसे बचाने के लिए कांग्रेश पार्टी हर स्तर पर संघर्ष करने को तैयार है। माननीय कमलनाथ जी ओबीसी को 27% आरक्षण लागू करा कर ही रहेंगे।