खरगोन (ईन्यूज एमपी)- गुमशुदा पुत्र की संपत्ति बेचने के लिए साजिश रचने के मामले में पुलिस ने पिता सहित पांच आरोपितों को गिरफ्तार किया है। सोमवार को पुलिस ने इस घटना का राजफाश किया। पुलिस अधीक्षक शैलेंद्रसिंह चौहान ने बताया कि फरियादी मनोज यादव निवासी शिकारपुर (मुरैना) ने थाने में 11 जुलाई को आवेदन दिया था। इसमें बताया था कि उनके पति नेत्रपालसिंह छह वर्ष से लापता हैं। उनकी गुमशुदगी पुलिस थाना माता बसैया (मुरैना) में दर्ज है। पति के नाम की गांव कटघड़ा थाना बड़वाह में स्थित कृषि भूमि को कोई व्यक्ति फर्जी नेत्रपालसिंह बनकर हड़पना चाहता है। इस संबंध में रजिस्ट्रार कार्यालय बड़वाह में 23 जनवरी को नेत्रपालसिंह के नाम से अरविंद तिवारी नाम के व्यक्ति के पक्ष में पावर आफ अटार्नी संपादित कराई गई। इसके आधार पर अरविंद तिवारी ने चार अगस्त को रजिस्ट्रार कार्यालय खरगोन से राजेश वर्मा नामक व्यक्ति को कृषि भूमि विक्रय कर रजिस्ट्री कर दी। आवेदन पत्र की जांच के आधार पर थाना बड़वाह मे अपराध दर्ज किया गया। छत्तीसगढ़ से कहानी बनाकर लाए सिम मामला शुरुआत में पेचीदा था क्योंकि जो व्यक्ति छह साल से गुमशुदा है, उसके आधार कार्ड, पहचान संबंधी अन्य दस्तावेज व जमीन के दस्तावेजों के बिना पावर आफ अटार्नी व रजिस्ट्री की प्रक्रिया संपादित कराना संभव नहीं था। ये दस्तावेज भूमि स्वामी के किसी स्वजन से ही प्राप्त किए जा सकते थे। पुलिस ने पता लगाया कि 2015 में नेत्रपालसिंह के लापता होने के बाद उनके मोबाइल नंबर की सिम बंद हो गई थी। वर्ष 2019 में यह सिम छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के रेवतपुर गांव के एक व्यक्ति को आवंटित कर दी गई थी। आरोपितों ने रेवतपुर जाकर सिम धारक बुधनी से प्राप्त कर ले ली। सिम का उपयोग कर ओटीपी के जरिए नेत्रपाल का नया आधार कार्ड प्राप्त किया गया। जमीन संबंधी डुप्लीकेट दस्तावेज पावती आदि तैयार कराए गए। इसमें खर्च होने वाले रुपये 67 वर्षीय लाखनसिंह राजपूत निवासी ग्राम शिकारपुर थाना सिविल लाइन (मुरैना) ने वहन किया। पांच दिन की रिमांड में जब्त किए दस्तावेज जानकारी के आधार पर पुलिस ने योजनाबद्ध तरीके से आरोपितों को अलग-अलग जगह से पकड़ा। पुलिस रिमांड में आरोपितों के कब्जे से फर्जी पावर आफ अटार्नी सहित अन्य दस्तावेज जब्त किए। झूठी पहचान करने और गवाही देने वाले दो अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी शेष है। फरियादी के ससुर लाखनसिंह राजपूत वर्ष 1996 से 2007 तक बड़वाह ब्लाक मे वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी के पद पर पदस्थ थे। इस दौरान उन्होंने पुत्र नेत्रपालसिंह के नाम पर कटघड़ा मे 1.517 हेक्टेयर कृषि भूमि खरीदी थी। वर्ष 2015 से लाखनसिंह का पुत्र नेत्रपालसिंह गुमशुदा होने और उसके संबंध मे कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो रही थी। लाखनसिंह पुत्र के नाम पर दर्ज भूमि को पारिवारिक अनबन के कारण उनकी पत्नी व बच्चों को नहीं देना चाहता था, इसलिए लाखनसिंह ने साथी दरबारसिंह राजपूत निवासी धरमपुरी, राजेश कुमार वर्मा निवासी उषानगर इंदौर, जितेंद्र सक्सेना निवासी श्याम नगर इंदौर, अरविंद तिवारी निवासी अकोदिया मंडी के साथ मिलकर साजिश रची। ये सभी पुलिस रिमांड पर हैं। बड़वाह रजिस्ट्रार कार्यालय में नेत्रपाल के स्थान पर जितेंद्र को प्रस्तुत कर अरविंद के पक्ष मे पावर आफ अटार्नी रजिस्टर्ड कराई गई। इंदौर में भी रची थी प्रापर्टी नाम करने की साजिश आरोपित लाखनसिंह पुत्र नेत्रपाल के नाम पर इंदौर विकास प्राधिकरण का स्कीम नंबर 136 में स्थित यावसायिक प्लाट, जिसकी वर्तमान कीमत लगभग दस करोड़ रुपये है, उसे भी इसी तरीके से विक्रय करने की साजिश रच रहा था। उल्लेखनीय लाखन सिंह वर्ष 1996 से 2007 तक बड़वाह जनपद मे वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी और वर्ष 2007 से 2011 तक जनपद पंचायत सेंधवा जिला बड़वानी मे मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद पर पदस्थ रहा। इस अवधि मे अवैध तरीके से अर्जित की गई आय से अधिक संपत्ति प्राप्त करने व नियम विरुद्ध कार्यों के संबंध मे तत्कालीन समय से आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा इंदौर व लोकायुक्त थाना इंदौर मे प्रकरण विवेचनाधीन है। थाना वरला जिला बड़वानी में अपराध दर्ज है और न्यायालय में विचाराधीन है। इसमें जनपद पंचायत सेंधवा की ग्राम पंचायतों से फर्जी खाते बैंकों में खुलवाकर पांच करोड़ 21 लाख 50 हजार रुपये की शासकीय राशि का गबन किया गया था। इसमें लाखनसिंह सहित 49 अन्य आरोपित भी शामिल थे।