बेंगलुरु (ईन्यूज एमपी)-कर्नाटक में नई सरकार के मुखिया को लेकर जारी बयानबाजी के बीच जेडीएस सुप्रीमो और पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा ने कहा कि हमने मुख्यमंत्री पद कांग्रेस को ऑफर किया था, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया. देवगौड़ा ने कहा, 'मुझसे कांग्रेस ने ही संपर्क किया और मैंने अपनी सहमति दे दी. कांग्रेस ने कहा कि इस कठिन परिस्थिति में कुमारस्वामी मुख्यमंत्री पद का प्रभार संभालें.' उन्होंने कहा, 'मैं सत्ता का भूखा नहीं हूं.' पढ़िए उनके इंटरव्यू की प्रमुख बातें- 1- हमारी हार के लिए मीडिया जिम्मेदार है. मीडिया अभी से ही ऐसा दिखा रहा है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी को कोई चुनौती नहीं दे सकता है. आखिर ऐसा क्यों सोचा जा रहा है? इस देश में कई महान नेता हुए? कर्नाटक में सरकार चलाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी सीट शेयरिंग या सीएम पोस्ट के रोटेशन के लिए कांग्रेस के साथ कोई बात नहीं हुई है. 2- मेरी उम्र काफी हो गई है. मैं साल 2019 का चुनाव नहीं लड़ना चाहता हूं. वैसे यह मेरी तबीयत पर निर्भर करेगा. हां, यह साफ है कि मैं राजनीति से रिटायर नहीं होने जा रहा हूं. राजनीति में मेरी उम्र सीमा कोई तय नहीं करेगा. 3- हमने गठबंधन बनाया है. वरिष्ठ होने के नाते मैं कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन को बचाए रखना चाहता हूं. मेरे साथ के नेता पहले ऐसा कर चुके हैं. यह कोई बड़ा मसला नहीं है. मेरी कोशिश रहेगी कि यह गठबंधन पांच साल तक चले. 4- मेरा कोई पर्सनल एजेंडा नहीं है. मैं ऐसी कोई बात नहीं करना चाहता, जिससे यह लगे कि मैं पीएम बनना चाहता हूं. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह अस्तित्व को बचाए रखने का सवाल नहीं हैं, बल्कि देश से सांप्रदायिक ताकतों को दूर रखने का सवाल है. 5- जो कश्मीर में हो रहा है, जो न्यायपालिका में क्या हो रहा है, जिस तरह विधायिका चल रही है और जिस प्रकार कार्यपालिका टूट रही है, ये संविधान के लिए खतरा है. मैं पीएम रहने के दौरान 10 महीने में पांच बार कश्मीर गया, लेकिन आज हालात बदतर हो गए हैं. 6- हम आज के हालात का पूरा आरोप एक राजनीतिक पार्टी पर नहीं मढ़ सकते हैं. यह कांग्रेस और क्षेत्रीय पार्टियों समेत कई राजनीतिक दलों की विफलता का नतीजा है. हम सभी इसके लिए जिम्मेदार हैं. मैं यह नहीं कहना चाहता हूं कि फला-फला पार्टी इसके लिए जिम्मेदार है. पिछली गलतियों को भूलना होगा और आगे बढ़ना होगा. 7- कांग्रेस के पास नौ सांसद हैं और हमारे पास दो. 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए सीटों का बंटवारा अभी कोई मुद्दा नहीं है. एकजुट होकर हम नेतृत्व करेंगे. कांग्रेस और क्षेत्रीय पार्टी में भी कई दिग्गज नेता हैं. मनमोहन सिंह ने 10 साल तक सरकार चलाई थी. हालांकि मीडिया में कुछ ही चीजों को उछाला जा रहा है. 8- मैं 13 दलों के गठबंधन की सरकार के दौरान किए गए कामों को गिनाना नहीं चाहता हूं. हमने भी गलतियां कीं, लेकिन किसी और पर आरोप नहीं लगाया. आज के हालात बहुत खराब हैं. गोरक्षा के नाम पर हमले किए जा रहे हैं. 9- तमिनलाडु की राजनीति में पदार्पण करने वाले फिल्म अभिनेताओं कमल हसन और रजनीकांत को कुमारस्वामी के सीएम पद के शपथ समारोह में बुलाने पर देवगौड़ा ने कहा कि अभी इन दोनों से बात नहीं हुई है और उन्हें बुलाने में कोई हर्ज भी नहीं है. 10- कावेरी विवाद में कोर्ट का फैसला सर्वमान्य होगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कोई उल्लंघन नहीं कर सकता. विवादों का निपटारा किया जाएगा. हम देखेंगे कि इस मामले में हम फिर से कोर्ट में जाना ठीक है या पड़ोसी राज्य से बात करना. 11- करुणानिधि के बेटे स्टालिन, बालू, शरद पवार, फारूक अब्दुल्ला, ममता बनर्जी समेत सभी लेफ्ट नेताओं को कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया गया है. सभी साथ चलने को तैयार हैं. यह शुरुआत हो सकती है, लेकिन कल का कुछ नहीं कह सकता हूं. क्या है कर्नाटक विधानसभा की तस्वीर दरअसल, येदियुरप्पा की सरकार गिरने के बाद अब जेडीएस के कुमारस्वामी मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जेडीएस के सिर्फ 37 विधायक जीते हैं और कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं, जबकि कांग्रेस के 78 विधायक जीते और उसको मुख्यमंत्री पद नसीब नहीं हो रहा है. मालूम हो कि इस चुनाव में 104 सीटें जीतकर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन बहुमत के लिए जरूरी 112 सीटों के जादुई आंकड़े तक नहीं पहुंच पाई. वहीं, कांग्रेस को 78 सीटों और जेडीएस को 37 सीटों पर विजय मिली. इस तरह कर्नाटक चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला, तो कांग्रेस ने बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए जेडीएस को समर्थन देने का ऐलान कर दिया. उठापटक भरा रहा घटनाक्रम उधर, राज्यपाल वजुभाई वाला ने चुनाव में सबसे ज्यादा सीट जीतने वाली बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया और येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली. इसके बाद कांग्रेस और जेडीएस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने येदियुरप्पा को शनिवार शाम चार बजे तक बहुमत साबित करने को कहा, लेकिन वो इसके लिए जरूरी विधायक नहीं जुटा पाए और सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद अब कुमारस्वामी कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने जा रहे हैं. कांग्रेस के पास 78 विधायक हैं, जबकि जेडीएस के पास सिर्फ 37 विधायक हैं. आमतौर पर गठबंधन के जिस दल के विधायकों की संख्या ज्यादा होती है, मुख्यमंत्री पद भी उसकी ही झोली में आता है. ऐसे में कांग्रेस पर सवाल उठना लाजमी है. राहुल गांधी और सोनिया गांधी से मिले कुमारस्वामी वहीं, जेडीएस के कुमारस्वामी सूबे के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले दिल्ली पहुंचे और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी व यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की. उन्होंने दोनों को अपने शपथ ग्रहण समारोह में आने के लिए आमंत्रित भी किया. इस दौरान राहुल गांधी के आवास पर जेडीएस के दानिश अली और कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल भी मौजूद रहे. सोमवार को कुमारस्वामी ने बसपा सुप्रीमो मायावती से भी मुलाकात की. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी से मुलाकात करने के बाद कुमारस्वामी ने कहा, 'मैं गांधी परिवार के प्रति अपना सम्मान जताना चाहता था. लिहाजा मैं राहुल गांधी और सोनिया गांधी से मिलने यहां आया हूं. मैंने दोनों से शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने की गुजारिश की. इस पर दोनों शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए राजी हो गए.' कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे राहुल इसके बाद राहुल गांधी ने एचडी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में जाने की बात कही. उन्होंने ट्वीट किया, 'मेरी एचडी कुमारस्वामी से दिल्ली में सोमवार शाम को सौहार्दपूर्ण मुलाकात हुई. हमने कर्नाटक के राजनीति हालात और आपसी हित के अन्य मसलों पर चर्चा की. मैं बुधवार को बेंगलुरु में उनके शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लूंगा.' कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह के लिए इनको भी न्योता कुमारस्वामी ने शपथ ग्रहण समारोह के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत अन्य नेताओं को आमंत्रित किया गया है. और भी हैं डर की वजह! कैबिनेट में जगह मिलने से नाराजगी सामने के अलावा कुछ और कारण भी कांग्रेस और जेडीएस के शीर्ष नेतृत्व की चिंता का सबब बने हैं. गठबंधन के तहत सीएम की कुर्सी जेडीएस के कुमारस्वामी को मिल रही है, जबकि कांग्रेस के खाते में डिप्टी सीएम की पोस्ट आ रही है. लेकिन इससे आगे बढ़कर अब लिंगायत समुदाय से भी एक डिप्टी सीएम की मांग उठने लगी है. लिंगायत समुदाय के संगठन ऑल इंडिया वीरशैव महासभा के नेता तिप्पाना खुला खत लिखकर कांग्रेस विधायक शमनूर शिवशंकरप्पा को उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग भी कर चुके हैं.