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Home देश-दुनिया नशेड़ी अपहर्ताओं से खुद को बचाने वाली लक्ष्मी को मिलेगा वीरता पुरस्कार

नशेड़ी अपहर्ताओं से खुद को बचाने वाली लक्ष्मी को मिलेगा वीरता पुरस्कार

रायपुर(ईन्यूज एमपी)-यह बिलकुल सच है कि हौसला इंसान को बुलंदियों पर ले जाता है। इसे छोटी-सी चॉल में रहनेवाली लक्ष्मी यादव ने चरितार्थ करके दिखा दिया है। लक्ष्मी की मां परमिला यादव को यह तक नहीं मालूम कि उनकी बेटी को क्या सम्मान मिल रहा है और किसलिए? उनकी बिटिया ने कितना साहसिक कार्य किया है, इससे वे बेखबर हैं। बकौल परमिला- 'मेरी बिटिया को सम्मान देने के लिए दिल्ली बुलाए हैं। वह दादी के साथ 15 जनवरी को दिल्ली गई है।

लक्ष्मी की मां झाड़ू-पोंछा का काम करती हैं और पिता सोलर पैनल का काम करते हैं। लक्ष्मी की एक छोटी बहन है। वह यह नहीं जानती है कि उसकी दीदी कहां गई? पिता ने कहा- कभी सपना तक नहीं आया कि मेरी बिटिया टीवी में पर आएगी।

18 वर्षीया लक्ष्मी 9वीं फेल है और इस वर्ष 10 वीं की प्राइवेट परीक्षा देगी। उसके अद्भुत साहस की बदौलत उसे राज्य सरकार सम्मानित कर चुकी है। अब 24 जनवरी को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथो से लक्ष्मी को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार दिया जाएगा।

लक्ष्मी का अदम्य साहस

लक्ष्मी के घर के पास रहने वाले दो युवकों ने 2 अगस्त, 2016 को अगवा कर लिया था। उसे गाड़ी में बैठा कर सुनसान जगह ले गए और उससे गाड़ी की चाबी निकालने के लिए बोले। लक्ष्मी ने दिमाग से काम लिया और चाबी को अपने दुपट्टे में बांधकर वहां से भाग निकली। आरोपी नशे में थे।

उन्होंने उसका पीछा किया, लेकिन उसे पकड़ नहीं पाए। डरी- सहमी लक्ष्मी चिल्लाते हुए भागती रही, लेकिन रास्ते में किसी ने भी उसकी मदद नहीं की। वह भागते-भागते मोवा थाने पहुंची और सारी बातें पुलिस को बताई। चाबी नहीं थी, इसलिए आरोपी गाड़ी से भाग नहीं सके,वे लौटकर गाड़ी के पास ही खड़े थे और पुलिस की गिरफ्त में आ गए।

पढ़ाई में नहीं पर साहस उसका अद्भुत है

लक्ष्मी के पिता द्वारका ने कहा- मेरी बिटिया ने बहुत सुझबूझ से अपनी रक्षा की थी। पढ़ने में तो वह होशियार नहीं है, लेकिन उसके अंदर किसी भी काम को करने का अद्भुत साहस है। घर में कई समस्याएं आती हैं, सब घबरा जाते हैं, लेकिन वह हमेशा रास्ता निकालने में अपना दिमाग लगाती है।

घर की समस्याओं को सुलझाने की कोशिश करती रहती है। सरकार द्वारा उसे राष्ट्रीय पुरस्कार मिलेगा, इसका तो हमे अंदेशा ही नहीं था। जब उसे राज्य सरकार द्वारा पुरस्कार मिला था, उस समय बाल कल्याण विभाग ने कहा था कि इसका नाम वीरता पुरस्कार के लिए दिल्ली भेजेंगे।

कुछ दिनों पहले ही वहां से जाने के लिए कहा गया कि बिटिया को दिल्ली से बुलावा आया है, तैयारी कर लो। घर का कोई एक सदस्य उसके साथ जा सकता है। मैंने सोचा कि अगर मैं गया तो काम कौन करेगा, इसीलिए मैंने अपनी को उसके साथ भेज दिया।

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