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जम्मू में बंधक रहे छत्तीसगढ़ के 89 मजदूरों की हुई घर वापसी

बिलासपुर(ईन्यूज एमपी )- जम्मू-कश्मीर के ईंट भट्टे में बंधक 89 मजदूरों की सुरक्षित घर वापसी हो गई है। सभी को निजामुद्दीन- दुर्ग संपर्कक्रांति एक्सप्रेस से रायपुर श्रम विभाग की टीम वापस लेकर लौटी। यहां स्टेशन में सभी को भोजन कराया गया। इनमें ज्यादातर मजदूर जांजगीर- चांपा जिले के हैं। बिलासपुर के मस्तूरी के 5 से 6 परिवार शामिल हैं।

मजदूरों की इस भीड़ में शामिल जांजगीर-चांपा जिला अंतर्गत चुरतेला निवासी भुरुवाराम ने पूरी घटना को विस्तार से बताया। उसका कहना है कि वह करीब सात साल से ईंट भट्टे में काम कर रहा था। वह परिवार के साथ करीब 9 महीने से ठेकेदारों की चंगुल से रिहा होने का प्रयास कर रहा था। लेकिन इसमें नाकाम रहा।

ईंट भट्टे में एक ऐसे व्यक्ति से परिचय हुआ, जिसने दिल्ली की एनसीसीईबीएल के कनवेनर निर्मल गोराना का नंबर दिया। इस पर सूचना देकर मदद मांगी गई। वह टीम के साथ पहुंचे और 200 से अधिक मजदूरों को रिहा कराया। इनमें छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य राज्यों के मजदूर थे।

दिल्ली पहुंचने के बाद छत्तीसगढ़ श्रम विभाग मुख्यालय को सूचना दी गई। इसके बाद एक टीम वहां पहुंची और सभी को ट्रेन से लेकर बिलासपुर पहुंचे। सूचना मिलने के बाद बिलासपुर के अलावा जांजगीर- चांपा के अधिकारी भी पहुंच गए। मजदूरों को वह यहां से लेकर रवाना हुए। सभी को सुरक्षित उनके गांव में छोड़ा गया।

20 साल से बंधक

जम्मू में ईंट भट्टों में मजदूरों के साथ होने वाले शोषण के साथ वहां की परेशानियां भी मजदूरों ने बताई। चौंकाने वाली बात यह थी कि वहां 15- 20 साल से मजदूर बंधक हैं जो वापस घर आना चाहते हैं। लेकन भट्टे के ठेकेदार उन्हें नहीं जाने नहीं देते हैं। मजदूरों ने यह भी जानकारी दी छत्तीसगढ़ में उनका ठेकेदार सक्रिय है जो मजदूरों को साथ लेकर जाता है या किसी के माध्यम से भेजता है। इसके बदले में उसे मोटी रकम मिलती है।

नहीं होती स्टेशन में जांच

मजदूरों को ईंट भट्टे में सालों से भेजा जाता है। व्हाया उसलापुर व बिलासपुर से होकर गुजरने वाली जम्मूतवी एक्सप्रेस में सबसे ज्यादा मजदूरों की ही भीड़ रहती है। लेकिन इसे रोकने का प्रयास न तो आरपीएफ करती है और न ही जीआरपी।

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