दंतेवाड़ा(ईन्यूज एमपी)- किसी फिल्मी कहानी की तरह का दृश्य स्थानीय न्यायालय परिसर में पिछले दिनों देखने को मिला। हत्या के प्रयास और विस्फोटक अधिनियम के तहत पुलिस यहां एक ऐसे गवाह को लाई थी, जिसे दिखाई नहीं देता। डंडे के साथ अपनी बेटी के सहारे कोर्ट परिसर पहुंचे गवाह को देख सभी भौंचक रह गए। मामले के सरकारी वकील ने जब यह दृश्य देखा तो पुलिस से कहा, इसे ड्राप करो। इतना ही नहीं पुलिस मासूम बच्ची के साथ पहुंचे सूरदास को वहीं छोड़कर चली गई। उसके पास वापसी के लिए वाहन किराया के पैसे तक नहीं थे। नक्सल मामलों में विवेचना और न्यायालय में अक्सर मात खाने वाली पुलिस की एक बड़ी लापरवाही फिर उजागर हुई है। सुकमा जिले की चिंतागुफा थाना पुलिस नक्सल मामले में एक सूरदास (दृष्टिहीन) को गवाह बनाकर न्यायालय में पेश करने वाली थी लेकिन समय रहते सरकारी वकील ने उसे ड्राप करने की सलाह दी। जानकारी के अनुसार बुरकापाल निवासी 40 वर्षीय माड़वी नंदा को सेशन ट्रायल नंबर 59/17 पर 30 नवंबर 2017 को समंस जारी हुआ था। समंस में 8 जनवरी को दंतेवाड़ा न्यायालय में पेश होना था। यह मामला गवाह माड़वी व अन्य के खिलाफ हत्या की कोशिश और विस्फोटक अधिनियम के तहत कार्रवाई का है। सुकमा पुलिस ने माड़वी नंदा (सूरदास) को आईपीसी की धाारा 307 और 3, 5 विस्फोटक अधिनियम के तहत साक्षी बनाया था। 8 जनवरी की दोपहर बाद माडवी नंदा अपनी 9 वर्षीय बेटी के साथ डंडे के सहारे कोर्ट परिसर में दाखिल हुआ। उसने मौजूद लोगों को बताया कि पुलिस ने कोर्ट में बुलाया है, नहीं आने से जेल हो सकती है। जब यह बात मामले के सरकारी वकील तक पहुंची तो वह भी गवाह को देख भौंचक रह गए। सूत्र बताते हैं कि सरकारी वकील ने तत्काल पुलिस पर नाराजगी जाहिर करते उसे ड्राप करने की सलाह दी। इधर दंतेवाड़ा पहुंचे सूरदास की गवाही ड्राप होने के बाद पुलिस उसे उसके हाल पर छोड़ कर चलता बनी। बुरकापाल से सुकमा होते दंतेवाड़ा पहुंचे माड़वी को सुरक्षित गांव वापसी की चिंता सता रही थी। इस दौरान न्यायालय पहुंची सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी ने उसे कोया कुटमा भवन में ठहराया और दूसरे दिन गांव जाने वाहन किराया दिया। माड़वी के मुताबिक पुलिस के कहने से वह बुरकापाल से अपनी मासूम बेटी के साथ सुकमा पहुंचा, जहां एक रात गुजारने के बाद 8 जनवरी को सुकमा से दंतेवाड़ा पहुंचा था। पुलिस ने उसे गांव लौटने के दौरान दोनों ओर का किराया राशि देने की बात कही थी। साथ ही कहा कि कोर्ट नहीं पहुंचने पर वह जेल जा सकता है। समझ से परे : आरोपी के अधिवक्ता इस मामले के आरोपी हेमला मंडावी की पैरवी कर रहे अधिवक्ता बिधोम पोंदी ने बताया कि यह आठ जनवरी का मामला है। चिंतागुफा थाना पुलिस ने माड़वी नंदा को गवाह बनाकर कोर्ट भेजा था। यह मामला आईपीसी की धाारा 307 और 3, 5 विस्फोटक अधिनियम का है। हालांकि सरकारी वकील ने ही उसकी गवाही नहीं होनी दी थी। बावजूद एक नेत्रहीन को किसी मामले का गवाह कैसे बनाया गया, यह समझ से परे है।