कैथल/हरियाणा(ईन्यूज एमपी)- कैथल के पूर्व एसपी सुमेर प्रताप सिंह एक केस में गवाही देने के लिए बिना वर्दी पहुंच गए। जज बोले- बिना वर्दी आना कोर्ट की अवमानना है। इस पर एसपी ने तुरंत माफी मांग ली तो जज ने चेतावनी देकर छोड़ दिया। भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत सरकार बनाम राममेहर नामक केस में बतौर गवाह सेशन जज एमएम धौंचक की कोर्ट में सुमेर प्रताप सिंह पेश हुए। जज ने देखा कि एसपी वर्दी में कोर्ट में नहीं आए। उनसे कारण पूछा तो सुमेर प्रताप सिंह ने बताया कि वह इन दिनों पुलिस के दूर संचार विंग में पंचकूला में तैनात हैं, जहां केवल 2 दिन ही वर्दी पहननी अनिवार्य है। उनके डीजीपी को भी वर्दी नहीं पहननी पड़ती। आज गुरुवार का दिन वर्दी पहनने के लिए निर्धारित नहीं है। जिस पर जज ने एसपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 226 व सीआरपीसी की धारा 345 का उल्लेख करते हुए बताया कि वर्दी में न आना न्यायालय की अवमानना है। इसलिए उनके खिलाफ क्यों न कार्रवाई की जाए। इस पर आईपीएस अफसर ने माफी मांग ली। लंच के बाद सेशन जज धौंचक ने एक पेज का फैसला पढ़कर सुनाया। जज ने कहा कि कोर्ट की अवमानना करने पर एक माह की सजा बनती है। आईपीएस अधिकारी ने न्यायालय की अवमानना की है लेकिन उन्होंने बिना शर्त माफी मांग ली है। इसलिए कोर्ट नर्म रवैया अपनाते हुए उन्हें केवल भविष्य में चेतावनी देकर छोड़ा जा रहा है। बता दें कि बिना वर्दी कोर्ट में आने पर सेशन जज पहले एक मुख्य सिपाही को एक माह की जेल में भेज चुके हैं।