रायपुर(ईन्यूज एमपी)-जेलों में कुख्यात कैदियों के बीच वर्चस्व को लेकर जिस तरह से गैंगवार होता है, वैसा ही गैंगवार रायपुर के बाल सुधार गृह में देखने को मिला. यहां पुराने कैदियों और नए लड़कों के बीच अचानक छिड़ा विवाद खुनी संघर्ष में तब्दील हो गया. गैंगवार में 10 के करीब कैदी लड़के घायल हो गए. हालांकि अब तक मामले में FIR दर्ज नहीं की गई है. बताया जा रहा है कि हफ्ते भर से बाल सुधार गृह में कैदियों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई थी. इस घटना को लापरवाही से जोड़ कर देखा जा रहा है. नए और पुराने कैदियों के बीच रोजाना होने वाली तकरार के बीच गृह अधीक्षक पर कोई कार्यवाही न करने का आरोप भी लग रहा है. रायपुर से 15 किलोमीटर दूर माना स्थित बाल सुधार गृह में नए और पुराने कैदियों का अपना-अपना गुट बन गया है. प्रत्येक गुट में 20 से 25 बच्चे हैं. आमतौर पर बाल सुधार गृह से बाहर भागने के लिए ज्यादातर बच्चे उतावले रहते हैं. कई बार तो कुछ एक कैदी बच्चे भाग भी चुके हैं. लिहाजा ऐसी घटनाओं से बचने के लिए प्रशासन ने नए और पुराने कैदी बच्चों के बीच रणनीतिक तौर पर खाई खीचीं हुई है, ताकि एकदूसरे गुट की सुचना मिल सके. बताया जाता है कि तमाम बच्चे संदिग्ध गतिविधियों की सूचना वहां मौजूद कर्मियों को देते रहते थे. सूचना लीक हो जाने के चलते दोनों गुटों के लड़के आपस में भीड़ गए. इस बाल सुधार गृह में लगभग 75 बच्चे रखे गए हैं. ये सभी गंभीर अपराधों में लिप्त रहे हैं. आठ बच्चे तो हत्या के अपराध में सजा काट रहे हैं. फिलहाल सीसीटीवी फुटेज के आधार पर गैंगवार में लिप्त बच्चों की पहचान की जा रही है. घायल कैदी बच्चों का बाल सुधार गृह के अंदर ही मौजूद अस्पताल में इलाज करवाया गया. बताते चलें कि इसी बाल सुधार गृह में वर्ष 2015 में गार्ड से मारपीट कर आठ बच्चे फरार हो गए थे. हालांकि हफ्ते भर बाद ही पुलिस ने सभी को धर दबोचा था. वर्ष 2016 में एकबार फिर 14 बच्चे बच्चे फरार हो गए थे. इस बार उन्होंने गार्डन के पिछले हिस्से का तार काटकर भागने का रास्ता बनाया था. वर्ष 2017 में भी दो बच्चे गार्ड को चकमा दे कर भागने में सफल रहे थे. इसके बाद प्रशासन ने बाल सुधार गृह के भीतर और बाहर सीसीटीवी कैमरे लगवा दिए थे. इलाके के थाना प्रभारी इंस्पेक्टर जीतेन्द्र ताम्ब्रकार के मुताबिक बाल सुधार गृह के अफसरों से गैंगवार को लेकर बातचीत हुई, लेकिन उन्होंने FIR दर्ज कराने कराने से मना कर दिया.