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नसबंदी का ऐसा भय कि अस्पताल से घर नहीं जा रहे पीड़ित

बिलासपुर (ई न्यूज एमपी )- कोटा ब्लॉक के नसबंदी शिविर से मौत के मुंह तक पहुंच चुके मरीज उपचार के बाद भयभीत हैं। जान बचाने के लिए निजी अस्पताल में कुछ और दिन इलाज कराना चाहते हैं। निजी अस्पताल प्रबंधन इलाज करने से मना कर रहा है। रातों-रात डिस्चार्ज करने की उनकी कोशिशों को परिजनों के विरोध से झटका भी लगा है। पीड़ितों के परिजनों व पत्नियों ने कलेक्टर से मिलकर मुआवजा व समुचित इलाज की गुहार लगाई है।

परिजनों ने बताया कि मरीजों की हालत में सुधार तो है पर चलने फिरने में चक्कर आने लगता है। इनका कहना है कि पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद ही गांव लौटेंगे नहीं तो कब जान चली जाए इसकी कोई गारंटी नहीं है।

इधर कोटा बीएमओ का अमला मरीजों को गांव के बजाय उसी अस्पताल ले जाने में जुटा रहा जहां उनकी ऐसी स्थिति हुई है। इन मरीजों का इलाज कर रहे निजी अस्पताल संचालक का कहना है कि चार में से तीन मरीजों की स्थिति में सुधार है।

अब किसी तरह की चिंता नहीं है। टांका खोल दिया गया है। राजकुमार, केशव और धर्मेंद्र को डिस्चार्ज कर दिया गया है। जबकि प्रमोद साहू को रोका गया है। प्रमोद दूसरे दिन भर्ती हुआ था। पीड़ितों ने बताया कि उनका नसबंदी के नाम पर तीन-तीन बार ऑपरेशन हुआ है।

पहले ऑपरेशन के 10 मिनट बाद ही सूजन आने लगा और तेज दर्द होने लगा था । तबीयत बिगड़ी तो रात में ही एंबुलेंस से बिलासपुर स्थित निजी अस्पताल लाया गया । जहां तीसरी बार ऑपरेशन हुआ। थोड़ा सा चलने में चक्कर आने लगता है और सिर घूमने लगता है।

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