वाराणसी(ईन्यूज एमपी)- कार्तिक पूर्णिमा पर वाराणसी में देव दीपावली मनाई जाती है। सूर्यास्त होते गंगा के घाट दीपक की रोशनी से नहा उठे। आसमान में पूर्णिमा के चांद की रोशनी ने अंधेरा दूर किया था तो दूसरी तरफ गंगा घाट पर दीपक के रुप में सजी माला की रोशनी ने धरती से लेकर आकाश के अंधेरे को दूर कर दिया। काशी के घाट पर देव दीपावाली देखने के लिए पूर्व गृहमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी , गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल के साथ सूबे की कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी भी पहुंची। काशी की देव दीपावली पर देश व विदेश से भारी संख्या में पर्यटक यहाँ की छटा को देखने के लिये कई दिन पहले से ही आ जाते हैं। दोपहर बाद से ही काशी के घाट पर लोगों की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई और भगवान भास्कर अभी अस्त भी नहीं हुए थे कि घाट लोगों की भीड़ से भर गया । सूर्योदय होने के पहले ही काशी के ८४ घाट पर दीपक लगने शुरू हो गये थे। सूर्योदय होते ही हल्का अंधेरा छा गया था और जब दीपक को जलाया गया तो काशी के घाट रोशनी से नहा गये। मां गंगा के अविरल धारा में बहते हुए दीपक अनोखी छटा बिखेर रहे थे। पंचगंगा से लेकर दशाश्वमेध घाट पर इतनी भीड़ हुई कि लोगों का एक-घाट से दूसरे घाट पर जाना बहुत कठिन हो गया था। इस अवसर पर विभिन्न घाट पर लोगों ने जमकर आतिशबाजी भी की। देव दीपावली के अवसर पर पद्म विभूषण स्व. गिरिजा देवी की स्मृति में वाराणसी के तुलसी घाट पर 51 फीट ऊंची आकृति लोगों के आकर्षण का केंद्र रही। बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी अपने बेटी प्रतिभा के साथ घाट पर पहुंच कर देव दीपावली का आनंद उठाया । खिड़किया घाट पर ही लाल कृष्ण आडवाणी ने ९० दीपक जला कर अपना ९० वां जन्मदिवस मनाया है। उनकी यात्रा को लेकर काशी के घाट पर सुरक्षा के सख्त इंतजाम किये गये थे। महादेव शिव की नगरी काशी में देव दीपावली का बहुत महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार त्रिपुर राक्षस के आतंक से धरती से लेकर स्वर्ग तक में हाहाकार मच गया था। आम आदमी से लेकर देवता सभी लोग त्रिपुर राक्षस से त्रस्त हो गये थे। भगवान शिव ने त्रिपुर राक्षस का वध करके सभी को आतंक से मुक्ति दिलायी थी, जिससे खुश होकर देवताओं ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन शिव की नगरी काशी में दीपक जला कर दीपावली मनायी थी। इसके बाद से ही कार्तिक पूर्णिमा की शाम को देव दीपावली मनाये जाने की परंपरा शुरू हुई।