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Home मध्य प्रदेश वन अमले और लकड़ी तस्करों के बीच मुठभेड़ दो वनकर्मी घायल, दो तस्कर गिरफ्तार....

वन अमले और लकड़ी तस्करों के बीच मुठभेड़ दो वनकर्मी घायल, दो तस्कर गिरफ्तार....

भोपाल (ईन्यूज एमपी)- विदिशा के लटेरी के जंगल से सागौन काटकर गुरुवार सुबह करीब 5 बजे मधुसूदनगढ़ की तरफ भाग रहे लकड़ी तस्कर और वनकर्मियों के बीच 2:30 घंटे तक मुठभेड़ हुई। 25 बाइकों से आए 50 से ज्यादा तस्करों ने 4 गाड़ियों में सवार 25 वनकर्मियों पर गोफन और पत्थरों से हमला कर दिया। हमले में वन विभाग के दो ड्राइवरों समेत 3 लोग घायल हो गए। 4 गाड़ियां भी क्षतिग्रस्त हुईं। वनकर्मियों ने हिम्मत दिखाते हुए 2 लकड़ी तस्करों को भी धरदबोचा। बौखलाए आरोपियों ने साथियों को छुड़वाने के लिए पथराव किया।

वनकर्मियों का पीछा भी किया। जान बचाने के लिए वनकर्मी लटेरी से 35 किमी दूर गुना जिले के मकसूदनगढ़ थाने पहुंचे। यहां भी लकड़ी चोरों ने अपने सहयोगियों की मदद से थाने पहुंचकर उन्हें घेर लिया। रेंजर मुकेश केन ने एक गाड़ी मधुसूदनगढ़ और एक सुठालिया थाने भेजी। पुलिस मौके पर पहुंची तब टीम निकल पाई।

विदिशा जिले के लटेरी में सागौन के जंगल हैं। यह इलाका गुना के मधुसूदनगढ़ की सीमा से लगा है। वनकर्मियों काे सूचना मिली थी कि तस्कर बाइक से सागौन की सिल्ली लेकर जा रहे हैं। रेंजर मुकेश केन अपनी टीम के साथ पहुंचे तो सभी तस्कर बाइक से भागते हुए गुना जिले की सीमा में मधुसूदनगढ़ बायपास पर पहुंच गए। इस बीच वनकर्मी भी लगातार पीछा कर रहे थे। इनकी एक टीम ने शहर के अंदर से घुसकर तस्करों को घेर लिया, लेकिन उनकी संख्या अधिक थी। तस्करों की बाइक से सागौन की सिल्लियां गिर गईं तो उन्होंने वनकर्मियों पर पथराव शुरू कर दिया और चारों ओर से इन्हें घेर लिया।

हमले के दौरान वन विभाग ने विदिशा के लटेरी जिला निवासी दो तस्कर बबलू पुत्र मूलचंद सहरिया और राजू पुत्र भगवान सिंह गुर्जर निवासी काे गिरफ्तार किया है। इसके अलावा 4 बाइक और 58 सिल्ली भी जब्त की हैं। वनकर्मी मधुसूनगढ़ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंचे, लेकिन पुलिस ने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि आप लोग पीछा विदिशा जिले की सीमा से कर रहे थे, इसलिए घटनास्थल वहीं का माना जाएगा।

वन बल प्रमुख आरके गुप्ता का कहना है कि लटेरी-सुठालिया और मकसूदनगढ़ में बुरहानपुर की तरह ही संगठित लकड़ी माफिया सक्रिय है, अकेले वन विभाग इसे नहीं रोक सकता है। पुलिस और प्रशासन की मदद के बिना इन्हें रोक पाना संभव नहीं हैं। जंगलों को बचाने के लिए यह व्यापक जनजागरुकता की जरूरत है।

रेंजर मुकेश केन ने बताया कि हमने बायपास पर तस्करों को घेरा तो उन्होंने पथराव कर दिया। हमलावरों की संख्या अधिक थी। वो बहुत बेरहमी से मारते हैं। हमने डायल-100 पर सूचना दी। एक गाड़ी को मधुसूदनगढ़ थाने भेजा। दूसरी सुठालिया थाने भी भेजी। हम करीब 3 घंटे तक डटे रहे। जब फोर्स आया, तब वहां से निकले।

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