भोपाल (ईन्यूज एमपी)-सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से पहली बार भारतीय गौर यानि बाइसन संजय टाइगर रिजर्व, सीधी भेजे जाएंगे। पार्क में विलुप्त हो चुके बायसन को दोबारा बसाने के लिए इस प्रोजेक्ट पर कार्य तेजी से जारी है। एसटीआर और कान्हा के बाइसन संजय टाइगर पार्क की शान बढ़ाएंगे। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और कान्हा नेशनल पार्क से करीब 50 बायसन भेजने की तैयारी है। बायसन को भेजने के बाद पार्क में कुनबा बढ़ाने पर कार्य होगा। करीब एक महीने के अंदर सतपुड़ा रिजर्व से 15 और कान्हा टाइगर रिजर्व से 35 बायसन भेजे जाएंगे। एक नर बायसन के साथ तीन मादा बायसन को रखने की योजना है। बायसन के अनुकूल पार्क का जंगल, समतल मैदान, बड़े-बड़े चारागाह, पीने के लिए पानी भी है। घास के मैदान के साथ बारहमासी नदियां बायसन को रास आएंगी। जंगली मवेशियों के बीच सबसे बड़ी प्रजाति, भारतीय बायसन जिसे गौर भी कहा जाता है। जो काफी मोटे और बड़े होते हैं। मप्र के जंगलों में बायसन रहते है। प्रदेश में सबसे ज्यादा करीब 5 हजार बाइसन सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में है। एसटीआर के फील्ड डायरेक्टर एल कृष्णमूर्ति ने बताया कि एसटीआर में ही करीब 5 हजार बायसन हैं। जो मप्र में सबसे ज्यादा है। पहली बार एसटीआर से 15 बायसन को संजय टाइगर रिजर्व भेजा रहा है। संजय टाइगर रिजर्व में करीब 1998 के बाद बायसन नहीं देखे गए थे। 25 साल बाद पार्क में बायसन नजर आएंगे। एसटीआर और कान्हा के बायसन पार्क की शोभा बढ़ाएंगे। भारतीय गौर की आबादी को पुनर्जीवित करने के लिए संजय दुबरी टाइगर रिजर्व में फिर से बायसन को लाया जा रहा है। भारतीय गौर यानी कि बायसन काफी बड़े व मोटे होते है। जंगली भैंस की तरह होते है। यह हमेशा झुंड में रहते हैं। भारतीय गौर को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) रेड लिस्ट में असुरक्षित के रूप में चिह्नित किया गया है। यह इतने ताकतवर होते है कि जंगल के खूंखार जानवर बाघ, तेंदुआ को भी कभी-कभी घेर लेते हैं। पिछले महीने अप्रैल में भारतीय गौर का एक वीडियो आया था, जिसमें टाइगर को मात देकर बायसन दौड़ भाग निकला था। हालांकि टाइगर, तेंदुआ, शेर अक्सर बायसन का शिकार करते हैं।