भोपाल (ईन्यूज एमपी)- प्रदेश भर में हड़ताल पर गए तहसीलदारो एवं नायब तहसीलदारों कि जिद और मेहनत आखिर रंग लाई और प्रदेश सरकार ने उनके पदोन्नति आदेश जारी कर दिए हैं।जारी आदेश में सीधी जिले के दो तहसीलदार रामेश्वर त्रिपाठी और शैलेश द्विवेदी को डिप्टी कलेक्टर के पद पर पदोन्नत किया गया है जबकि दो नायब तहसीलदार वीरेन्द्र कुमार पटेल को प्रभारी तहसीलदार जबलपुर और शिवशंकर शुक्ला को प्रभारी तहसीलदार रीवा के पद पर पदोन्नत किया गया है। मध्यप्रदेश के कुल 161 तहसीलदार को सरकार ने प्रभारी डिप्टी कलेक्टर बनाया है। वहीं, 170 नायब तहसीलदारों को तहसीलदार, 139 राजस्व निरीक्षकों को प्रभारी सहायक अधीक्षक भू-अभिलेख और 80 सहायक अधीक्षक भू-अभिलेख को यही पर प्रभारी बनाया है। इनके साथ ही सरकार ने इनकी जिलों में बदला-बदली भी की है। इस मांग को लेकर तहसीलदार और नायब तहसीलदार 4 दिन पहले छुट्टी पर चले गए थे। राजस्व मंत्री गोविंद सिंह समेत सीनियर अफसरों ने मांग को पूरा करने का भरोसा दिलाया था। तब वे वापस काम पर लौटे थे। बता दें कि प्रदेश में तहसीलदारों को कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर और नायब तहसीलदारों को तहसीलदार बनाने का मुद्दा फरवरी ही गरमाया हुआ था। वे चाहते हैं कि कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर और तहसीलदार को लेकर आदेश GAD यानी सामान्य प्रशासन विभाग ही निकाले, ताकि जिलों में उन्हें पदोन्नति उसी तहसील पर मिले, जो की गई है। इससे प्रभार के संबंध में दुविधा या दुरुपयोग नहीं होगा और अफसरों के सम्मान को ठेस भी नहीं पहुंचेगी। इसी मांग को लेकर उन्होंने सांकेतिक रूप से हड़ताल भी की थी । आखिरकार उनकी यह मांग पूरी हुई और शनिवार की शाम को जीएडी ने आदेश निकाल दिए। इससे अफसरों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा । बता दें कि जिन तहसीलदारों को प्रभारी डिप्टी कलेक्टर बनाया गया है, वे पिछले 7 साल से प्रमोशन का इंतजार कर रहे थे। वर्ष 1999 से 2008 के बीच के तहसीलदार इस क्राइटेरिया में आ रहे थे। जिनकी विभागीय जांच चल रही है, वे डिप्टी कलेक्टर नहीं बन पाए। इन्हें दिया गया है प्रभार वर्ष 1999 से 2008 के बीच जो नायब तहसीलदार बने और फिर तहसीलदार के पद पर पदोन्नत हुए, लेकिन इसके बाद उन्हें प्रमोशन नहीं मिला। उन तहसीलदारों को कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर नहीं बनाया गया है, जिन पर जांच चल रही हो। यानि, ऐसे तहसीलदारों को मौका नहीं मिला। PSC के जरिए भर्ती हुए, प्रमोशन का कर रहे थे इंतजार मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी संघ की मानें तो वर्ष 1999 से 2008 के बीच एमपी पीएससी के जरिए नायब तहसीलदारों की भर्ती की गई थी, लेकिन उन्हें प्रमोशन नहीं मिला।यदि नियम के अनुसार प्रमोशन होता तो दो बार पदोन्नति हो जाती । अब तक वे जॉइंट कलेक्टर बन चुके होते, लेकिन पदोन्नति रुकने के कारण डिप्टी कलेक्टर भी नहीं बन सके। इसके अतिरिक्त 170 नायब तहसीलदारों को भी फायदा हुआ है कुल 170 नायब तहसीलदारों को भी तहसीलदार का प्रभार दिया गया है। 80 सहायक अधीक्षक भू-अभिलेख को प्रभारी बनाया गया है साथ ही 139 राजस्व निरीक्षकों को प्रभारी सहायक अधीक्षक भू- अभिलेख बनाया गया है।