भोपाल(ईन्यूज एमपी)-मध्यप्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में आज 8वें दिन पुरानी पेंशन पर हंगामा हो गया। प्रश्नकाल के दौरान पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा के सवाल पर वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा- पुरानी पेंशन का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। मंत्री के जवाब पर कांग्रेस विधायक सदन से वॉकआउट कर गए। कमलनाथ ने कहा, हर सरकार कर्मचारियों से चलती है और अगर कर्मचारियों के साथ ही अन्याय हो, तो कैसे सरकार चलेगी। हमारे साथी सज्जन वर्मा ने सीधा सा प्रश्न पूछा कि क्या सरकार पुरानी पेंशन लागू करेगी? वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने जवाब में कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह घोर अन्याय है। सरकार ने सदन में स्पष्ट कर दिया है कि पुरानी पेंशन का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। कांग्रेस की सरकार बनेगी तो हम यह निर्णय करेंगे। सज्जन वर्मा ने शून्यकाल में कहा, भोपाल में गैस पीड़ितों की बड़ी आबादी है। इनके मुआवजे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है और यह कहा है कि 8000 करोड़ का मुआवजा केंद्र सरकार अपनी तरफ से दे। कमलनाथ ने कहा, सरकार ने सदन में स्पष्ट कर दिया है कि पुरानी पेंशन का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। कांग्रेस की सरकार बनेगी, तो हम यह निर्णय करेंगे। कमलनाथ ने कहा, सरकार ने सदन में स्पष्ट कर दिया है कि पुरानी पेंशन का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। कांग्रेस की सरकार बनेगी, तो हम यह निर्णय करेंगे। विधानसभा अपडेट्स... विकास यात्रा के लिए पैसे हैं ... पुरानी पेंशन के लिए नहीं सज्जन सिंह वर्मा ने कहा- ये निर्दयी सरकार पुरानी पेंशन लागू करने में कोई निर्णय नहीं ले रही है। इनके मंत्री हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों से ज्ञापन लेकर आते हैं और उसे कूड़े के डब्बे में डाल देते हैं। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा- सप्लीमेंट्री बजट में पुरानी पेंशन देने का कोई प्रस्ताव लाएंगे? वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा- सरकार के पास पुरानी पेंशन को लेकर कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा- आपके पास चीतों के लिए 3000 करोड़ हैं। विकास यात्रा के लिए पैसे हैं, पुरानी पेंशन के लिए नहीं हैं? नेता प्रतिपक्ष ने कहा- सरकार कर्मचारी विरोधी है। इसलिए कांग्रेस बहिर्गमन (वॉकआउट) कर रही है। संजय यादव बोलने खड़े हुए, तो स्पीकर ने पूछा आप बहिर्गमन में शामिल हो या नहीं? गोविंद सिंह ने पूछा- क्या सप्लीमेंट्री बजट में आप इसे लाएंगे? वित्त मंत्री ने साफ मना कर दिया। अनुकंपा नियुक्ति पर मंत्री बोले- बिना परीक्षा नहीं दे सकते शमशाबाद बीजेपी विधायक राजश्री रूद्र प्रताप सिंह ने कहा- मेरी विधानसभा क्षेत्र में लंबित अनुकंपा नियुक्तियां सरकार कब करेगी? स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा- संविदा शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने पर ही अनुकंपा नियुक्ति दी जाएगी। यशपाल सिंह सिसोदिया ने कहा- कई युवा अनुकंपा नियुक्ति के इंतजार में ओवरएज हो रहे हैं। समय पर पात्रता परीक्षा क्यों नहीं हो पा रही? मंत्री ने आश्वासन देते हुए कहा- हम पात्रता परीक्षा एक बार लेंगे। बार-बार पात्रता परीक्षा देने की आवश्यकता नहीं है। शिक्षा के मामले में योग्यता में समझौता नहीं करेंगे, इसलिए शिक्षक पात्रता परीक्षा देकर ही नियुक्ति की जा रही है। बीजेपी विधायक मंत्री से बोले- आश्वासन दें कि व्यापारी की बदनामी न हो जौरा से बीजेपी विधायक सूबेदार सिंह रजौधा ने पूछा- भीड़ और मीडिया को जमा कर फूड इंस्पेक्टर सैंपल लेते हैं। बाद में यही सैंपल मानक में पाया जाता है। क्या इसकी जानकारी मंत्री को दी जाती है? स्वास्थ्य मंत्री ने कहा- मीडिया को लेकर नहीं जाते। जहां सैंपल लिए जाते हैं, वहां किसी अन्य को जानकारी नहीं दी जाती। मंत्री के जवाब पर विधायक ने कहा- मैं सैंपल लेने के विरोध में नहीं हूं, लेकिन सैंपल जांचने में फूड इंस्पेक्टर्स की भी बदनीयति है। जब सैंपल लेकर ढिंढोरा पीटा जाता है, तो उस दुकान से कोई सामान लेने नहीं जाता। ये अधिकारी पूरी तरह से बेईमानी कर रहे हैं। बीच में कांग्रेस विधायक बापू सिंह तंवर बोले- मिलावटखोरों से बनी हुई सरकार है। सत्ता पक्ष के विधायक अपनी पीड़ा बता रहे हैं। मंत्री ने कहा- मैं विधायक जी से चर्चा कर लूंगा। शासन की ये कतई नीयत नहीं होती कि किसी व्यापारी को परेशान किया जाए। विधायक रजौधा ने कहा- फूड विभाग के इंस्पेक्टर और अधिकारी सालों से जमे हुए हैं। ट्रांसफर होने के बाद जाते नहीं, कैंसिल करा लेते हैं। मैं चाहता हूं कि सदन में मंत्री आश्वासन दें कि सैंपल भी ले लिए जाएं, उनकी जांच हो जाए और व्यापारी की बदनामी भी न हो। मंत्री ने कहा- किसी भी अधिकारी का ट्रांसफर कैंसिल नहीं किया गया। नेता प्रतिपक्ष का विधानसभा अध्यक्ष ने समर्थन किया नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने विभागों से पत्रों का जवाब नहीं आने का मुद्दा उठाया। कहा- पटवा जी की सरकार के बाद से ये परंपरा खत्म हो गई है। सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारी आदेश की धज्जियां उड़ा रहे। पत्रों का जवाब नहीं देते। विधानसभा अध्यक्ष ने भी नेता प्रतिपक्ष की बात का समर्थन किया। कहा- पत्रों के जवाब नहीं आते। अध्यक्ष ने मंत्री से कहा- सामान्य प्रशासन विभाग को ताकीद करें कि वे विधायको के पत्रों का जवाब दें। इसके अलावा बापू सिंह तंवर ने डॉक्टरों की कमी का मुद्दा उठाया। कहा- सदन से निर्देश जारी करना चाहिए कि डॉक्टर को जल्द से जल्द जिले में पदस्थ किया जाए। चांचौड़ा विधायक ने पूछा डॉक्टरों की कमी पर सवाल प्रश्नकाल में चांचौड़ा से विधायक लक्ष्मण सिंह ने सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को लेकर सवाल पूछा। सिंह ने कहा- सरकारी अस्पतालों को कोरोना काल में निजी क्षेत्रों को पीपीपी मॉडल पर देने का कोई प्रस्ताव है? स्वास्थ्य मंत्री डॉ. लक्ष्मण सिंह ने कहा- ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। अहीर रेजिमेंट के लिए प्रस्ताव अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग को लेकर विधानसभा में प्रस्ताव रखा गया। लंबे समय से प्रदेश और देश के अलग-अलग इलाकों में यादव समाज सेना में अहीर रेजिमेंट का गठन करने की मांग उठाता आ रहा है। आज विधानसभा में बरगी से कांग्रेस विधायक संजय यादव ने अहीर रेजिमेंट के गठन करने को लेकर अशासकीय संकल्प प्रस्तुत किया। ये दो संकल्प और पेश होंगे आज सदन में सतना जिले के बगहाई रोड रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रामपुर बघेलान रोड करने का अशासकीय संकल्प आएगा। रामपुर बघेलान से भाजपा विधायक विक्रम सिंह इस अशासकीय संकल्प को प्रस्तुत करेंगे। विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और नर्मदापुरम के भाजपा विधायक डॉ. सीताशरण शर्मा भोपाल के निशातपुरा रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर कैलाश सारंग के नाम पर करने का अशासकीय संकल्प प्रस्तुत करेंगे। भाजपा विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया दंड संहित में 1896 से चली आ रही तत्कालीन शब्दावली परिवर्तित कर हिंदी शब्दकोश के शब्दों का उपयोग करने का अशासकीय संकल्प पेश करेंगे। क्या होता है शासकीय और अशासकीय संकल्प विधानसभा में दो तरह के संकल्प लाए जाए सकते हैं। पहला वो जिसे सरकार की ओर से लाया जाए। दूसरा किसी भी विधानसभा सदस्य द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को पहले से सूचना देकर लाया जाता है। सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले होने वाली कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में इस पर विचार होता है। बैठक में सहमति बनने के बाद इसे विधानसभा की कार्यवाही के लिए सूचीबद्ध किया जाता है। दोनों ही संकल्प पर रखने वाला विधायक या मंत्री पहले अपना पक्ष रखता है। इस पर मत विभाजन भी हो सकता है। अगर संकल्प पारित होता है, तो सरकार उस पर काम भी कर सकती है।