सीधी (ईन्यूज एमपी)- सीएम शिवराज सिंह की विकास यात्रा आज खटाई में पड़ गई चुरहट क्षेत्र की जनता को साधने आए सीएम शिवराज सिंह चौहान की सभा के पूर्व ही सभा स्थल पर कोहराम मच गया और इस कोहराम की वजह राजनीतिक ना होकर एक करुण रुदन रहा जहां परिजन अपने परिवार के सदस्य की लाश को लेकर न्याय की गुहार लगाते रहे लेकिन सत्ता पक्ष के नुमाइंदों ने ना केवल उनकी गुहार को अनदेखा किया बल्कि परिजनों समेत लाश पर भी डंडे बरसाए। जी हां यह दुखद दृश्य आज लहिया का रहा जहां आवासीय विकास पत्र एवं जनहित योजनाओं का हितलाभ वितरण करने सीएम शिवराज सिंह पहुंचने वाले थे कि अचानक एक भीड़ का कांरवा शव लेकर मंच की ओर बढ़ा चला आ रहा था और उसके हाथ में एक युवक की लाश एक वयस्क युवक जिसका नाम कमलेश पटेल था उस की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। और परिजन उसकी मौत की जांच एवं कार्यवाही की मांग कर रहे थे लेकिन पूरा अमला मामा के आगमन की तैयारी में लगा था और उस और कोई ध्यान नहीं दे रहा था बेचैन परिजनों द्वारा आक्रोश में आकर जब सभा स्थल की ओर अपना रुख किया गया तो खाखी धारियों ने पहले तो उन्हें रोकने का प्रयास किया गया लेकिन प्रयास असफल होता देख उन पर जमकर लाठियां बरसाई गई एक नहीं दो दो बार और मामा के आने से पहले सबको बलपूर्वक तितर-बितर कर दिया गया हालांकि आते ही सीएम शिवराज ने मृतक को श्रद्धांजलि दी और उसके मौत के कारणों की जांच हेतु कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को निर्देशित किया है लेकिन लाश रखकर करुण रुदन कर रहे परिजनों का हाल तक किसी ने नहीं जाना परिजनों ने यह भी आरोप लगाया है कि पुलिस ने हमारे साथ साथ मृतक शरीर पर भी लाठियां बरसाई हैं और मृतक के पिता के साथ भी मारपीट की गई है। आज लहिया का दृश्य बेहद मार्मिक रहा और सत्ता एवं प्रशासन के मुंह पर तमाचा भी रहा एक ओर लाश रखकर परिजन और ग्रामीण चीखें मार-मार कर रो रहे थे तो दूजी और मंच से विकास गान गाया जा रहा था ताज्जुब तो यह भी है कि विपक्ष तकने मौके पर जाने की जहमत नहीं उठाई अक्सर देखा जाता है कि मृतकों के घर में जाकर शोक संवेदना व्यक्त की जाती है लेकिन आज जब इन परिजनों को इंसाफ के लिए विपक्ष की जरूरत थी और प्रदेश के मुखिया भी आ रहे थे उस समय विपक्ष ना जाने कहां दुबक कर बैठा हुआ था बलपूर्वक प्रशासन और पुलिस ने परिजनों की आवाज को दबा दिया गया और मामा ने मंच से मरहम का दिखावा कर दिया और अपना रटा रटाया पाठ पढ़कर तालियां बटोरी और रवाना हो गए लाश अभी भी सियासत पर है परिजन विलाप कर रहे हैं लेकिन उनकी सुनने वाला कौन प्रशासन आगे इस पर क्या कार्रवाई करता है यह देखने का विषय है चिंता इस बात की नहीं कि मृतक की मौत कैसे हुई बल्कि चिंता इस बात की है कि जनता के चुने हुए जनप्रतिनिधियों के लिए जनता की ही आवाज दबा दी गई।