भोपाल (ईन्यूज एमपी)- प्रदेश में अब तक 9828 सैंपलों की जीनोम सीक्वेंसिंग हो चुकी है। इनमें पाजिटिव मिले सैंपलों (वैरिएंट आफ कंसर्न) में से 1004 में ओमिक्रोन वैरिएंट मिला है। अभी चीन समेत कई देशों में तबाही मचा रहा बीएफ-7 भी ओमिक्रोन का सब वैरिएंट है। हालांकि, प्रदेश में अभी तक ओमिक्रोन के जो भी सब वैरिएंट मिले हैं, वह संक्रामक भले ही रहे, पर मरीज गंभीर नहीं हुए। अल्फा के 79, डेल्टा के 731 और डेल्टा प्लस के 14 मामले सामने आए हैं। अब सभी पाजिटिव सैंपलों की एम्स भोपाल और डीआरडीई ग्वालियर में जीनोम सीक्वेंसिंग कराई जा रही है। डेल्टा प्लस वैरिएंट का कोई भी मामला नहीं उल्लेखनीय है कि प्रदेश में दूसरी लहर में सबसे ज्यादा तबाही मचाने वाले डेल्टा प्लस वैरिएंट का कोई भी मामला पिछले साल अक्टूबर के बाद से नहीं मिला है। तीसरी लहर में सबसे ज्यादा मामले कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट और इसके सब वैरिएंट के ही मिले हैं। शुरू से लेकर इस वर्ष जनवरी तक ओमिक्रोन के 266 मामले सामने आए थे। इसके बाद तीसरी लहर के दौरान सबसे ज्यादा लोग इसी वैरिएंट से संक्रमित हुए। जनवरी से अप्रैल के बीच कराई गई जीनोम सीक्वेंसिंग में 738 सैंपलों में ओमिक्रोन या इसके सब वैरिएंट की पुष्टि हुई। अप्रैल से अभी तक सिर्फ पांच में यह वैरिएंट मिला है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर प्रत्येक पाजिटिव सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग कराने को कहा है। प्रदेश में दोनों प्रयोगशालाओं में हर माह 1200 सैंपलों की जीनोम सीक्वेंसिंग की क्षमता है। अभी राज्य में प्रतिमाह संक्रमित होने वालों की संख्या 20 से 30 के बीच है। इस कारण इतने ही सैंपलों की सीक्वेंसिंग हो पा रही है। रविवार को भी 144 सैंपलों की जांच की गई, पर कोई संक्रमित नहीं मिला है।