सीधी (ईन्यूज एमपी)- पंचायत चुनाव से जुड़ी एक बड़ी खबर सीधी जिले से सामने आई है जहां सरपंच पद की महिला प्रत्याशी का नामांकन पत्र महज इस कारण से खारिज कर दिया गया है कि उसके यहां शौचालय निर्माण नहीं हुआ है। जी हां एक ओर जहां पीएम मोदी स्वच्छता के प्रति अलख जगाने में लगे हुए हैं पूरे देश में स्वच्छता अभियान चल रहा है तो दूसरी ओर सीधी जिले के तहसीलदार एवं रिटर्निंग ऑफिसर सौरभ मिश्रा ने इस मुहिम पर मिसाल पेश करते हुए विजयपुर पंचायत से सरपंच पद की प्रत्याशी गुलाब सिंह का पर्चा निरस्त कर दिया गया है। गौरतलब है कि रिटर्निंग ऑफीसर तहसीलदार सौरव मिश्रा को शिकायत प्राप्त हुई थी कि विजयपुर से सरपंच प्रत्याशी पूर्व में भी खैरही पंचायत से सरपंच रह चुकी हैं साथ ही सरपंच रहते हुए भी इनके द्वारा अपने आवास पर शौचालय निर्माण नहीं कराया गया है जिसके बाद शिकायत की जांच करते हुए रिटर्निंग अफसर द्वारा प्रत्याशी का पर्चा निरस्त कर दिया गया है बता दें कि विजयपुर से गुलाब सिंह निर्विरोध प्रत्याशी रही हैं और अब उनका पर्चा निरस्त होने के बाद उक्त पंचायत में चुनाव नहीं होने की बात भी सामने आ रही है। शिकायत के बाद हुई कार्यवाही के बाद तरह-तरह की राजनीतिक एवं आमजन चर्चा तेज हो गई है तहसीलदार के इसमें की सभी प्रशंसा कर रहे हैं,तो वही इस मामले में एक तथ्य और सामने आ रहा है कि सरपंच पद के प्रत्याशी गुलाब सिंह द्वारा कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर शासन से हेर फेर कि गई है गुलाब सिंह का वास्तविक नाम गुलाब उर्फ सुशीला सिंह है और यह मूलतः जयसवाल जाति से हैं जो कि आदिवासी ना होकर पिछड़ा वर्ग विशेष आती है लेकिन उनके द्वारा नाम के आगे उर्फ लगाकर अपनी जाति को छुपाते हुए पर्चा भरा गया है और आदिवासी की तरह लाभ दिया जाता रहा है और चुनाव में भी उनके द्वारा गुलाब सिंह के नाम से नामांकन पत्र दाखिल किया गया था जबकि उनके दस्तावेजों में सुशीला जयसवाल नाम अंकित है अब ऐसे में शिकायत कर्ताओं की शिकायत के बाद आंकलन लगाया जा रहा है कि पर्चा निरस्त होने के अलावा इनके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही हो सकती है महज जो भी हो लेकिन वर्तमान कार्यवाही ने तहसीलदार के स्वच्छता प्रेम एवं नियम के प्रति कटिबद्धता को उजागर किया है। और हां तहसीलदार को अब आगे यह भी देखने की आवश्यकता है कि विजयपुर पंचातत में स्वाच्छता किस ओर खड़ा है ... ? प्रधानमंत्री की कितनी मंशा यंहा साकार हो रही है ...? पिछली पंचवर्षीय के लेखाजोखा पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है तब जाकर दूध का दूध और पानी का पानी उजागर होगा । हलाकि इसमें कोई दोराय नही कि सौरभ ने समूचे प्रदेश में भिन्नता का परिचय दिया है और भी मध्यप्रदेश के तहसीलदारों को इस निर्णय से सीख लेने की जरूरत है ।