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सीधी : दो बैंक मैनेजर सहित भ्रष्ट भुर्तिया पर एफआईआर

सीधी (ईन्यूज एमपी)- भ्रष्टाचार गबन एवं सरकार को चूना लगाने के लिए चर्चित सीधी जिले के बैट्री व्यापारी अनिल भुर्तिया पर आखिरकार पुलिस का शिकंजा कस ही गया, अनिल भुर्तिया,दो बैंक मैनेजरों समेत चार लोगों पर कोतवाली थाने में कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज हो गई है।

जी हां अनिल भुर्तिया सीधी जिले के लिए एक ऐसा नाम है जिसने शासन के सारे नियमों को धता बधाते हुए असंभव को संभव कर डाला और कई बार शासन से लोन ले लेकर गोमती नुमा दुकान में पूरी की पूरी फैक्ट्री लगा ली और शासन की लाखों रुपए की सब्सिडी हजम कर डाली और अचरज तो इस बात का है जो बैंक एक सामान्य व्यक्ति को लोन देने से पहले उसकी इतनी परेड करवाता है वह लोन का ख्याल ही छोड़ दें उसी तरह के बैंकों ने अनिल भुर्तियां के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर वस्तुस्थिति को दरकिनार कर उसे लोन बांट दिए एक बेरोजगार व्यक्ति जब शासन से किसी रोजगार के लिए मदद की आस करता है तो सरकारी विभाग तो किसी ना किसी तरह उसकी फाइल को आगे बढ़ा देते हैं लेकिन बैंक और बैंक मैनेजर ऐसे जीव हैं जो उन्हें नियमों का हवाला देकर लटकाए रखते हैं। लेकिन उसी तरह के बैंक और बैंक मैनेजरों की सांठगांठ से अनिल भुर्तिया जैसे व्यक्ति ने शासन को लाखों का चूना लगाया है। एक ही व्यक्ति द्वारा अलग-अलग विभागों से लोन प्रकरण तैयार कर सब्सिडी विराज कई बार गबन किया जबकि एक बार सब्सिडी पाने के बाद दोबारा उसी व्यक्ति को सब्सिडी नहीं दी जाती।

बतादें किएक अटल मिश्रा नामक व्यक्ति द्वारा शिकायती आवेदन कोतवाली व पुलिस अधीक्षक के समक्ष पेश किया की अनिल भुर्तिया द्वारा शासकीय योजनाओं के तहत संबंधित विभाग के कूट रचित दस्तावेज देकर एवं फर्जी किरायानामा लाकर तीन बार शासन से ऋण प्राप्त किया है जबकि शासकीय योजनाओ के तहत जिसमे अनुदान की राशि समाहित हो एक ही बार ऋण प्राप्त किया जा सकता है उक्त आवेदन की जांच उपनिरी, तरुण बेडिया द्वारा की गई , इस दौरान जांच ग्रामोद्योग विभाग जिला संचालनालय हंथकरघा एवं यूनियन बैंक शाखा डी. पी. काम्प्लेक्स सीधी से पत्र लिखकर अनिल भुर्तिया के ऋण के संबंध मे सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त की गई जो उद्योग विभाग सीधी से अनिल भुर्तिया द्वारा सन् 2013-14 एवं 2014-15 में प्राप्त ऋण मे अनुदान की राशि समाहित थी हथकरघा विभाग द्वारा बताया गया की सन् 2018-19 में अनुदान प्राप्त किया गया था जिसमे 2,00,000 रूपये की अनुदान राशि समाहित थी ग्रामोद्योग विभाग एवं हथकरघा विभाग द्वारा यह भी बताया गया की शासकीय योजनाओं के तहत जिसमे अनुदान की राशि समाहित हो एक ही बार ऋण प्राप्त किया जा सकता है। हथकरघा विभाग द्वारा यह भी बताया गया की उनके विभाग में उक्त लाभार्थी व्दारा झूठा शपथ पत्र देकर अनुदान की राशि प्राप्त की गयी जो वैधानिक कार्यवाही योग्य है। एवं यह भी बताया गया कि मुख्यमंत्री स्व रोजगार योजना नियम बिंदु क्र. 5 पात्रता मे 5.2.5 मे यह कहा गया है कि किसी शासकीय उद्यमी स्व रोजगार योजना के अन्तर्गत जो व्यक्ति सहायता प्राप्त कर चुका है वह इस योजना के अन्तर्गत पात्र नहीं होगा। दौरान जांच दिनांक 29.03.22 को अनावेदक अनिल भुर्तिया द्वारा थाना कोतवाली के नाम पर एक आवेदन पत्र भी पेश किया जिसमे इसके द्वारा सन् 2015 में उद्योग विभाग मे 25,00,000 रूपये का लोन आवेदन कर यूनियन बैंक शाखा डी.पी. काम्प्लेक्स सीधी से लिया गया था सन् 2014-2015 मे जो उद्योग विभाग में 22,00,000 रूपये का लोन बैटरी मैनुफैक्चरिंग की मशीन लगाने के लिए लिया गया था जो उक्त दुकान का सत्यापन तत्कालीन यू.बी. आई शाखा प्रबंधक संजीव कुमार, सम्राट घोष एवं ग्रामीण विकास अधिकारी महेश जोगदण्ड द्वारा किया गया था नगरपालिका सीधी के अनुसार दुकान की लंबाई एवं चौड़ाई 2.00x2.5 मीटर जबकि उक्त दुकान में लगायी जा रही मशीन की लंबाई 4500 एमएम चौड़ाई 1000 एमएम ऊंचाई 1300 एमएम है जो उक्त दुकान मे लगाया जाना संभव नही है। जो उक्त अधिकारियों द्वारा दुकान का वेरीफिकेशन कर दुकान में मशीने स्थापित कर इकाई का संचालन दिखाये है व उक्त दुकान को अनावेदक अनिल भुर्तिया ने शमसेर कोल का हस्ताक्षरित किराया नामा उक्त विभाग में लगाया है जो शमसेर कोल को बुलाकर कथन लेख किया गया जिसके द्वारा बताया गया की उसके द्वारा अनिल भुर्तिया को कोई दुकान नही दी गई है और न ही किरायेनामे पर मेरे द्वारा हस्ताक्षर किया गया है। । अनिल भुर्तिया द्वारा सन् 2018 में जिला संचालनालय हथकरघा विभाग मे जो ऋण प्राप्त करने हेतु शपथ पत्र दिया गया था जिसमे उसके द्वारा लिखा गया है की उसके द्वारा इसके पहले शासकीय योजनाओं के तहत ऋण प्राप्त नहीं किया गया है जबकि इसके द्वारा शासकीय योजनाओं के तहत जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र सीधी से शासकीय योजनाओं के तहत सन् 2013-14 एवं 2014-15 में ऋण प्राप्त किया गया था मामले में अटल मिश्रा द्वारा दिए गए आवेदन पत्र की जांच पर अनिल भुर्तिया निवासी जिला सीधी एवं मामले मे में सह आरोपी तत्कालीन शाखा प्रबंधक यूनियन बैंक डी. पी. काम्प्लेक्स सीधी संजीव कुमार, सम्राट घोष एवं ग्रामीण विकास अधिकारी महेश जोगदण्ड के विरुध्द प्रथम दृष्टया धारा 420, 467,468,471,34 ताहि का अपराध पाया जाता है। प्रकरण पंजीबध्द कर विवेचना मे लिया गया। सिटी कोतवाली सीधी जिला सीधी विषय शासन के ऋण एवं अनुदान के दुरुपयोग किये जाने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया डी. पी. काम्पलेक्स मुख्य शाखा सीधी से हितग्राही अनिल भुर्तिया पिता यजलाल भुर्तिया प्रोपाइटर अनिल इटरप्राइजेज पूजा पार्क दुकान नंबर 26 सीधी निवासी सीधी खुर्द वार्ड 24 जिला सीधी (म.प्र बार शासकीय अनुदान वाली योजना का लाभ तथा अनुदान राशि सम्पूर्ण तथ्यो को छिपाते हुए गलत एवं झूठे दस्तावेज की सहायता से ऋण प्राप्त किया गया है 1. अनिल भूर्तिया द्वारा वर्ष 2013-14 मे मुख्यमंत्री (म.प्र.) द्वारा क्रमशः 3 युवा स्व रोजगार योजना के अन्तर्गत राशि रूपये 5,38,000 बैटरी कार्य हेतु लिया गया था। 2. अ भुर्तिया द्वारा वर्ष 2014-15 मे पीएमईजीपी योजना के अन्तर्गत बैटरी निर्माण हेतु ( मैनुफैक्चरिंग इकाई) 22,50,000 का ऋण प्राप्त किया एवं अनुदान राशि 5.62,000 भी प्राप्त किया। 3. अनिल भुर्तिया द्वारा वर्ष 2018-19 मे मुख्यमंत्री स्व रोजगार योजना के अन्तर्गत परिवहन ऋण 8.50,000 रूपये लिया गया जिसकी अनुदान राशि 2 लाख रूपये भी प्राप्त किया गया। 4. तीनो ऋण व उसके अनुदान को भी प्राप्त किया जा चुका है। जबकि नियमानुसार हितग्राही केवल एक ही बार किसी अनुदान वाली योजना का लाभ ले सकता है। 5. अनिल भुर्तिया पूर्व से ही एक उद्यमी होकर अनिल इंटरप्राइजेज नाम दुकान संचालन करता था तथा आयकर दाता भी था। 6. अनिल भुर्तिया ने ऋण प्राप्त करने के लिए जो दस्तावेज दिए है पूर्ण रूप से कूटरचित है जिनमे शपथ पत्र पत्र किरायानामा बिल इत्यादि भी शामिल है। 7. अनिल भुर्तिया द्वारा किसी प्रकार की इकाई की स्थापना किए बिना उक्त ऋण व अनुदान का उपयोग स्वयं के निजी कार्यों में किया को अनुदान के नियम के पूर्णतः विपरीत है। अतः महोदय से अनुरोध है कि अनिल भुर्तिया पिता यज्ञलाल भुर्तिया द्वारा किया गया है


विभाग द्वारा यह भी बताया गया की शासकीय योजनाओं के तहत जिसमे अनुदान की राशि समाहित हो एक ही बार ऋण प्राप्त किया जा सकता है। हथकरघा विभाग द्वारा यह भी बताया गया की उनके विभाग में उक्त लाभार्थी व्दारा झूठा शपथ पत्र देकर अनुदान की राशि प्राप्त की गयी जो वैधानिक फार्यवाही योग्य है। ए कमंत्री रोजगार योजना नियम बिंदु क्र. 5 पात्रता मे 5.2.5 मे यह कहा गया है कि किसी शासकीय उद्यमी स्व रोजगार योजना के अन्तर्गत जो व्यक्ति सहायता प्राप्त कर चुका है वह इस योजना के अन्तर्गत पात्र नही होगा। दौरान जाव दिनांक 29.03.22 को अनावेदक अनिल भुर्तिया द्वारा थाना कोतवाली के नाम पर एक आवेदन पत्र भी पेश किया जिसमें इसके द्वारा सन् 2015 में उद्योग विभाग मे 25,00,000 रूपये का लोन आवेदन कर यूनियन बैंक शाखा डी. पी. काम्प्लेक्स सीधी से लिया गया था सन् 2014-2015 मे जो उद्योग विभाग में 22,00,000 रूपये का लोन बैटरी मैनुफैक्चरिंग की मशीन लगाने के लिए लिया गया था जो उक्त दुकान का सत्यापन तत्कालीन यू.बी. आई शाखा प्रबंधक संजीव कुमार, सम्राट घोष एवं ग्रामीण विकास अधिकारी महेश जोगदण्ड द्वारा किया गया था नगरपालिका सीधी के अनुसार दुकान की लंबाई एवं चौडाई 2.00x2.5 मीटर जबकि उक्त दुकान मे लगायी जा रही मशीन की लंबाई 4500 एमएम चौड़ाई 1000 एमएम ऊचाई 1300 एमएम है जो उक्त दुकान में लगाया जाना संभव नहीं है। जो उक्त अधिकारियो द्वारा दुकान का वेरीफिकेशन कर दुकान मे मशीने स्थापित कर इकाई का संचालन दिखाये है व उक्त दुकान को अनावेदक अनिल भुर्तिया ने शमसेर कोल का हस्ताक्षरित किराया नामा उक्त विभाग मे लगाया है जो शमसेर कोल को बुलाकर कथन लेख किया गया जिसके द्वारा बताया गया की उसके द्वारा अनिल भुर्तिया को कोई दुकान नही दी गई है और न ही किरायेनामे पर मेरे द्वारा हस्ताक्षर किया गया है। अनिल भुर्तिया द्वारा सन् 2018 में जिला संचालनालय हथकरघा विभाग मे जो ऋण प्राप्त करने हेतु शपथ पत्र दिया गया था जिसमे उसके द्वारा लिखा गया है की उसके द्वारा इसके पहले शासकीय योजनाओं के तहत ऋण प्राप्त नहीं किया गया है जबकि इसके द्वारा शासकीय योजनाओं के तहत जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र सीधी से शासकीय योजनाओं के तहत सन् 2013-14 एवं 2014-15 में ऋण प्राप्त किया गया था मामले मे अ अटल मिश्रा द्वारा दिए गए आवेदन पत्र की जाच पर अनिल भुर्तिया निवासी जिला सीधी एव सहू मामले में आरोपी तत्कालीन शाखा प्रबंधक यूनियन बैंक .पी. काम्प्लेक्स सीधी संजीव कुमार, सम्राट घोष एवं ग्रामीण विकास अधिकारी महेश जोगदण्ड के विरुध्द प्रथम दृष्टया धारा 420,467,468,471.34 ताहि का अपराध पाया जाता है। प्रकरण पंजीबध्द कर विवेचना मे लिया गया। नकल आवेदन पत्र अक्षरस जैल है।

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