भोपाल (ईन्यूज एमपी)- अभी हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा रोजगार सहायकों के मानदेय में वृद्धि की गई है, और उनके कार्यों का आकलन और समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए यह वृद्धि की गई है लेकिन गौर करें एमपी गवर्नमेंट कि तो रोजगार सहायक लगातार अपनी मांगों को लेकर सरकार से विनती कर रहे हैं बावजूद इसके सरकारी कानो में जूं तक नहीं रेंग रही है। पंचायत रोजगार सहायक एक ऐसा पद है जो कुशल एवं तकनीकी होने के बाद भी अकुशल श्रेणी के श्रमिक के वेतनमान पर सरकार द्वारा सौंपे पर जा रहे सभी कार्यों को लगातार किए जा रहे हैं, समय-समय पर सरकार द्वारा अन्य विभाग के कार्य को भी रोजगार सहायकों के सर पर मढ़ दिया जाता है, लेकिन जब बात मानदेय और उनके हितों की आती है तो सरकार मौन धारण कर लेती है। पंचायत सचिवों से अधिक कार्य करने वाले रोजगार सहायकों की हालत यह है कि अकुशल श्रेणी के मानदेय में इनसे तकनीकी कार्य तक लिए जा रहे हैं और कार्य में तनिक भी चूक होने पर सीधे सेवा समाप्त करने की कार्यवाही की जा रही है या इसकी धमकी दी जा रही है बावजूद इसके बेरोजगारी से बेगारी ही भली की सोच पर लगातार रोजगार सहायक कार्य कर रहे हैं, ना तो इन्हें नियमितीकरण का लाभ मिल रहा है नाही अनुकंपा नियुक्ति का और तो और पूरे तौर से अभी तक इन्हें सरकारी कर्मचारी का दर्जा भी नहीं प्राप्त हो सका है। महंगाई के इस दौर में गांव गांव भ्रमण कर शासन के कार्य को मूर्त रूप देने वाले रोजगार सहायक शोषण का शिकार हो रहे हैं जिस पर सरकार को अन्य राज्यों से सीख लेनी चाहिए और इनके हितों पर ध्यान देना चाहिए।