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मध्य प्रदेश में अब नहीं करना पड़ेगा विस्थापन, मुख्य धारा में आएंगे वनवासी

भोपाल (ईन्यूज एमपी)- राज्य सरकार द्वारा 827 वनग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित करने के निर्णय से इनके निवासियों की विस्थापन की समस्या खत्म हो गई है। राजस्व ग्राम का दर्जा मिलते ही इन गांवों में विकास कार्यों के रास्ते खुल गए हैं। खासकर पक्के मकान बनाने पर कोई रोकटोक नहीं होगी। अनुमति लेकर नियमानुसार कोई भी मकान बना सकेगा। इस निर्णय से ग्रामीणों को तो लाभ होगा ही, केंद्र और राज्य सरकार को भी फायदा हुआ है। शासन को इन गांवों से ग्रामीणों के विस्थापन के लिए राशि खर्च नहीं करनी पड़ेगी और दूसरी जगह बसाने के लिए भूमि का इंतजाम भी नहीं करना होगा। प्रदेश के 29 जिलों में 925 वनग्राम हैं।

ये 240431.220 हेक्टेयर में बसे हैं। जिनमें 19,782 पट्टेधारी हैं। इनमें से 827 ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित कर दिया गया है। यानी अब संरक्षित क्षेत्रों में मौजूद वनग्रामों के निवासियों को विस्थापन का दर्द नहीं झेलना पड़ेगा। हालांकि यह रास्ता भी खुला रहेगा कि निवासी मर्जी होने पर विस्थापन की सहमति दे सकते हैं। सरकार उन्हें उपयुक्त स्थान तलाशकर बसाएगी। अभी तक ज्यादातर मामलों में ग्रामीण गांव नहीं छोड़ना चाहते हैं क्योंकि उनका भावनात्मक जुड़ाव होता है। उल्लेखनीय है कि अभी सरकार दो साल में विस्थापन में करीब सौ करोड़ रुपये खर्च कर देती है। इसके लिए एक परिवार को 15 लाख रुपये दिए जाते हैं।

भूमि का वैधानिक स्वरूप नहीं बदलेगा

वन विभाग के जानकार बताते हैं कि सरकार ने वन अधिकार अधिनियम-2006 की धारा-तीन के तहत वनग्रामों को राजस्व ग्राम बनाने का रास्ता निकाला है। इसमें प्रविधान है कि भूमि का वैधानिक स्वरूप बदले बगैर अधिकार दिए जा सकते हैं। हालांकि इस भूमि को बेचा नहीं जा सकता है। ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल पार्क से भूमि डि-नोटिफाई करने के अधिकार राष्ट्रीय वन्यप्राणी मंडल को दे दिए हैं। सामान्य वनमंडल की सीमा में स्थित ग्रामों के मामले में ऐसे ही अधिकार केंद्र सरकार लेना चाहती है। यह प्रक्रिया चल रही है। सेवानिवृत्त वन अधिकारी जेपी शर्मा कहते हैं कि केंद्र सरकार की अनुमति और भूमि डि-नोटिफाई किए बगैर कोई विशेष फायदा नहीं होगा।


ग्रामीणों की होंगे ये लाभ

- भूमि की खसरा-खतौनी, अक्स बन जाएंगे।

- भू-अभिलेख व्यवस्थित हो जाएगा।

- फोती, नामांतरण-बंटवारा, भूमि संबंधी विवाद सुलझाए जा सकेंगे।

- प्राकृतिक आपदा से फसल खराब होने या अन्य नुकसान होने पर मुआवजा मिलने लगेगा।

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