भोपाल(ईन्यूज एमपी)- मध्य प्रदेश की साढ़े चार हजार से ज्यादा प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों और 38 जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों से जुड़ी शिकायतों की सुनवाई अब स्वतंत्र निकाय करेगा। इसके लिए सहकारी लोकपाल की नियुक्ति होगी। यह ठीक वैसे ही काम करेगा, जैसे अन्य बैंकों के लिए नियुक्त लोकपाल करता है। मध्य प्रदेश में पहली बार यह व्यवस्था लागू की जा रही है। सहकारिता आयुक्त कार्यालय ने प्रस्ताव शासन को भेजा है। लोकपाल सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी, सहकारिता विभाग के अपर या संयुक्त पंजीयक स्तर के अधिकारी को बनाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में सहकारी समितियों से 50 लाख से ज्यादा किसान जुड़े हैं। हर साल 25 लाख से ज्यादा किसान अल्पावधि कृषि ऋण लेते हैं। इसके लिए सरकार जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों को 800 करोड़ रुपये से अधिक का ब्याज अनुदान देती है। कई समितियों और बैंक की शाखाओं से फर्जी तरीके से किसान के नाम पर ऋण चढ़ाने, राशि जमा होने के बाद भी बकाया बताने सहित अन्य शिकायतें आती हैं। सामने आ चुके हैं किसानों के नाम पर धोखाधड़ी के मामले : पिछले दिनों ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, छिंदवाड़ा, छतरपुर सहित अन्य बैंकों से जुड़ी शाखाओं में किसानों के नाम पर धोखाधड़ी किए जाने की घटनाएं भी सामने आई हैं। अभी समितियों के विरुद्ध शिकायतें सहायक पंजीयक, उप पंजीयक, संयुक्त पंजीयक, अपर पंजीयक के स्तर पर सुनी जाती हैं। इसमें अधिकारियों को बचाने और पक्षपात किए जाने की शिकायतें होती हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने भी की स्वतंत्र निकाय की सिफारिश भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक ने भी शिकायतों के समाधान के लिए स्वतंत्र निकाय गठित करने की सिफारिश की है। इसे देखते हुए सहकारिता आयुक्त कार्यालय ने लोकपाल की नियुक्ति का प्रस्ताव तैयार किया। संयुक्त पंजीयक अरविंद सिंह सेंगर का कहना है कि प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है। अंतिम निर्णय सरकार के स्तर पर होगा। सामने आ चुके हैं सौ करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले मध्य प्रदेश के राजगढ़, ग्वालियर, शिवपुरी, सागर, उज्जैन, गुना, देवास और छिंदवाड़ा जिला सहकारी बैंक से जुड़ी शाखाओं में सौ करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले सामने आ चुके हैं। इन सभी मामले में किसानों के नाम पर फर्जी तरीके से ऋण राशि निकाली गई। कर्ज माफी की राशि में भी अनियमितता की गई।