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Home मध्य प्रदेश एमपी हाई कोर्ट ने निरस्त की लोकायुक्त के खिलाफ दायर जनहित याचिका.....

एमपी हाई कोर्ट ने निरस्त की लोकायुक्त के खिलाफ दायर जनहित याचिका.....

जबलपुर(ईन्यूज एमपी)- हाई कोर्ट ने क्लास थ्री व फोर्थ ग्रेड कर्मचारियों के ट्रेप व आय से अधिक संपत्ति की अंतिम खात्मा रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने से पहले लोकायुक्त से स्वीकृति लेने को चुनौती देने वाली जनहित याचिका निरस्त कर दी। लोकायुक्त की ओर से अधिवक्ता अभिजीत अवस्थी ने अतिरिक्त जवाब पेश करते हुए कहा कि यह जनहित याचिका प्रायोजित है। इसके पीछे संभवत: कोई पुलिस अधिकारी है जिसने ऐसी क्लोजर रिपोर्ट पेश की है।

उन्होंने दलील दी कि लोकायुक्त द्वारा जारी सर्कुलर की जो फोटोकापी याचिका के साथ पेश की गई है, वह किसी पुलिस अधिकारी या जांच की जद में आए आरोपित की मदद से याचिकाकर्ता को उपलब्ध कराई गई है। लोकायुक्त कार्यालय द्वारा परिपत्र की फोटोकापी विशेष पुलिस स्थापना के डीजी को दी गई थी। याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी जिसे मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव की युगलपीठ ने स्वीकार कर लिया।आय से अधिक अनुपातहीन संपत्ति के प्रकरणों में क्लास वन व टू ग्रेड के अधिकारियों की अभियोजन स्वीकृति व खात्मे का अधिकार लोकायुक्त को था। वहीं क्लास थ्री व फोर्थ ग्रेड के कर्मचारियों के मामलों में इसके लिए डीजी लोकायुक्त प्राधिकृत अधिकारी थे। लोकायुक्त को इस बात की शिकायत मिली कि कई ऐसे मामले हैं जिनमें आय से अधिक अनुपातहीन संपत्ति 643 प्रतिशत से भी अधिक है, लेकिन विशेष पुलिस स्थापना ने उनमें खातमे लगा दिए हैं।

इस पर लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके गुप्ता ने 11 अक्टूबर को एक परिपत्र जारी कर कहा कि क्लास थ्री व फोर्थ ग्रेड कर्मचारियों के ट्रेप और आय से अधिक संपत्ति की अंतिम खातमा रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने से पहले लोकायुक्त से स्वीकृति लेनी होगी। लोकायुक्त ने यह दलील दी कि जून 2020 से अगस्त 2021 के बीच उक्त कर्मियों की विवेकहीन तरीके से खातमा रिपोर्ट अदालत में पेश की गईं हैं। भोपाल के सतीश नायक ने इस परिपत्र को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने 17 जनवरी को उक्त परिपत्र पर रोक लगा दी थी। जनहित याचिका में कहा गया कि लोकायुक्त और विशेष पुलिस स्थापना के बीच अधिकारों को लेकर वर्षों से विवाद है। इस परिपत्र के चलते अब कार्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा था।

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